ये मच्छर तो बड़े ढीठ हैं
-गर्मी के दस्तक देते ही सिटी में बढ़ा मच्छरों का आतंक
-इस बार ताकतवर बनकर पैदा हुए हैं मच्छर -मच्छरों के आगे फेल हुआ लिक्विड, क्वॉयल और स्प्रे मौसम में गर्माहट आते ही घरों में मच्छरों की तादाद बढ़ने लगी है। लेकिन इस बार मच्छर ढीठ हो गये हैं। मच्छरों को रोकने के सारे इंतजाम फेल हो रहे हैं। न तो उन पर स्पे्र काम कर रहा है और न ही क्वॉयल असरदार साबित हो रहा है। क्या आप जानते हैं कि मच्छर कैसे सब चीजों को झेल जा रहे हैं। दरअसल मच्छरों की नयी प्रजाति ऐसे तमाम केमिकल से लड़ने में सक्षम हो गयी है जो उन्हें नुकसान पहुंचाते है। ऐसे में अब मच्छरों से छुटकारा सिर्फ मॉस्क्यूटो नेट या फिर फैन ही दिला पा रहा है। रेसिस्ट हो गए मच्छरएक्सपर्ट की मानें तो मच्छरों को मारने के लिए मच्छररोधी रसायन भी अब अप्रभावी हो गये हैं। मच्छर भगाने के लिए इस्तेमाल मे आने वाले मच्छररोधी रसायन डीडीटी, मैलाथाइन व पाइरोथ्राइड का असर अब कम हो गया है। इन दवाओं से मच्छर रेसिस्ट हो गये हैं। इसलिए अब लोगों के पास मच्छरों से बचने के लिए सिर्फ मॉस्क्यूटो नेट ही एक मात्र विकल्प बचा है। उनका कहना हैं कि इनवॉयरमेंटल चेंजेस की वजह से मच्छरों की ताकत बढ़ रही है। ठंडी के समय गर्मी, बिन मौसम बारिश और अचानक से मौसम में होने वाले बदलाव की वजह से इनका एडप्टेशन बढ़ गया है।
मच्छर जग गए, पर सो रहे अधिकारी गर्मी के दस्तक देने के बाद भले ही शहर में आतंक मचाने के लिए मच्छर जग गए हों लेकिन इनके खात्मे की जिम्मेदारी निभाने वाला नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के अफसर अभी भी सोए हुए हैं। इन दोनों विभाग की मच्छरमुक्ति योजनाएं कागज पर ही चल रही हैं। स्वास्थ्य विभाग मलेरिया उन्मूलन के लिए न दवा का छिड़काव कर रहा और न ही फॉगिंग। कैसे बचें मच्छरों से - सोते वक्त मच्छरदानी का यूज करें - शाम होने से पहले ही खिड़कियों और दरवाजों को बंद कर दें - घर के आसपास साफ-सफाई और दवा का छिड़काव करें - फुल बांह के कपड़े पहनें - शाम के समय ज्यादा अलर्ट रहें - बच्चों को गंदगी में जानें से रोकें - घर की प्रॉपर सफाई रोजाना करें -एयरकंडीशनर को ऑन रखें और पंखा चलाते रहे हैं। -पब्लिक कोटपिछले एक सप्ताह से मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। शाम होते ही ये घरों में प्रवेश कर जा रहे हैं। क्वायल और लिक्विड व रिफिल से मच्छर नहीं मर रहे हैं।
-पुनीत जायसवाल मच्छरों का आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अब इनसे बच पाना मुश्किल है। रात में ठंड होने के बाद भी फैन चलाकर सोना पड़ता है। क्योंकि कोई भी क्वॉयल काम नहंी आ रहा। -सौरभ सिंह यह सही बात है कि मच्छरों के ऊपर कोई भी लिक्विड या क्वायल असर नहीं कर रहा। इसकी वजह इनवॉयरमेंट चेंजेस है। मच्छरों में जेनेटिक बदलाव भी हुआ है। मच्छरों ने खुद को इस पर्यावरण के अनुरूप ढाल लिया है। प्रो। मौसमी मत्सुद्दी-बायोलॉजिस्ट, बीएचयू यही सही है कि गर्मी के दस्तक देते ही मच्छरों का झुंड निकल आया है। इन्हें भगाने के लिए अभियान चलाकर सभी एरिया में फॉगिंग कराया जाएगा। साथ ही साफ-सफई के लिए जागरूक भी किया जाएगा। शरत चंद्र पांडेय, डीएमओ