काउंटर नहीं कंप्यूटर सेंटर से मिल रहा टिकट
-रेलवे के रिजर्वेशन काउंटर पर तत्काल टिकट मिनटों में हो जा रहा वेटिंग
-वेबसाइट को हैक कर बाहर बन जा रहा कंफर्म टिकट, पब्लिक से वसूल रहे मुंहमांगा रेट केस-1 जौनपुर निवासी प्रदीप को मुंबई जाना है। तत्काल टिकट के लिए कैंट स्टेशन के रिजर्वेशन काउंटर पर तत्काल टिकट लेने पहुंचे। लाइन में लगे। जब नंबर आया तो पता चला कि तत्काल टिकट वेटिंग हो गया। अगले दिन मार्केट में एक कम्प्यूटर सेंटर से उन्हें तत्काल टिकट अधिक पैसे देकर मिल गया। केस-2 लंका निवासी अखिलेश सिंह को कोलकाता जाना है। लेकिन कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है। तत्काल टिकट लेने कैंट स्टेशन पहुंचे। लेकिन जब तक इनका नंबर आता टिकट वेटिंग हो गया। मजबूरी में बाहर एक साइबर कैफे जाना पड़ा। वहां तत्काल टिकट आसानी से मिल गया।ये दो केस तो सिर्फ बानगी भर हैं। ऐसे तमाम पैसेंजर्स हैं जिन्हें तत्काल टिकट रिजर्वेशन काउंटर से नहीं मिल पा रहा है। वहीं बाहर स्थित कंप्यूटर सेंटर, साइबर कैफे व ट्रैवेल एजेंसी में धड़ल्ले से टिकट बन रहे हैं। यही नहीं आईआरसीटीसी के एजेंटों द्वारा भी पर्सनल आईडी के थ्रू तत्काल टिकट निकालकर उसे ब्लैक में बेचने का सिलसिला जारी है। इस समय जब फेस्टिवल सीजन है तो लोग अपने घर आने को किसी भी तरह से तैयार हैं। किराए से कई गुना अधिक रुपया भी दे रहे हैं। हालांकि आरपीएफ की ओर से इनके खिलाफ चलाए गए कैंपेन में कई हत्थे भी चढ़ चुके हैं।
साइबर कैफे से ट्रैवेल एजेंसी तक पब्लिक की सुविधा के लिए रेलवे के रिजर्वेशन सेंटर से तत्काल टिकट बुक किया जा रहा है। लेकिन आलम यह है कि घंटों पहले से लाइन में लगे लोगों को कंफर्म टिकट नसीब नहीं हो रहा है। वो मायूस होकर वापस लौट जा रहे हैं। ऐसे में लोग गली गली स्थित टिकट काउंटर के चक्कर में फंस जा रहे हैं। यहां पलक झपकते ही कंफर्म टिकट मिल जा रहा है। इसके बदले में मोटी रकम वसूल रहे हैं। खास बात यह कि साइबर कैफे व ट्रैवेल एजेंसी पर फेक मोबाइल एप से रेलवे की वेबसाइट को हैक कर धड़ल्ले से टिकट बुक हो रहे हैं। सॉफ्टवेयर कंपनी भी निशाने परआरपीएफ ऑफिसर्स के मुताबिक हैकर्स के इस खेल में विभाग की निगाह उस सॉफ्टवेयर कंपनी पर भी है जिसने आईआरसीटीसी की वेबसाइट तथा टिकट बुकिंग का फेक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। अफसरों का मनाना है बिना सॉफ्टवेयर कंपनी के डेवलपर्स की मदद के लिए ऐसे हैकिंग सॉफ्टवेयर डेवलप करना संभव नहीं कि साइट भी हैक हो जाए और किसी को पता भी न चले। इस मामले में अभी और भी लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं क्योंकि ये खेल काफी बड़ा है।
ऑनलाइन मौजूद हैं अवैध सॉफ्टवेयर ऑनलाइन तमाम ऐसी वेबसाइट्स हैं जो रेल टिकट बुकिंग के लिए फेक सॉफ्टवेयर की सíवस देने का दावा करती हैं। इसमें कुछ तो टिकट बुकिंग की संख्या पर यूजर से चार्ज लेती हैं। जैसे दो टिकट की बुकिंग के लिए चार्ज 2500 और चार टिकट के लिए 2800. छह टिकट के लिए 3000 तथा 12 के लिए 4400. ब्लैक टीएस नामक एक वेबसाइट टिकट बुकिंग में हेल्प करने वाले सॉफ्टवेयर्स की मुश्किलों को दूर करने का दावा करती है। ये वेबसाइट टिकट बुकिंग के पेमेंट में वन टाइम पासवर्ड (ओटीएस) की बाध्यता खत्म करने का दावा करती है। वहीं तत्काल डॉट कॉम नामक वेबसाइट ऐसे सॉफ्टवेयर्स प्रोवाइड करने का दावा करती है जिसके थ्रू आप तत्काल टिकट भी बुक कर सकते हैं। अवैध टिकट का धंधा करने वालों के खिलाफ आरपीएफ की ओर से कैंपेन चलाया जा रहा है। कई अब तक हत्थे भी चढ़ चुके हैं। यह अभियान आगे भी चलता रहेगा। अनूप सिन्हा, इंस्पेक्टरआरपीएफ, कैंट स्टेशन
ऐसे होता है पूरा खेल
-सॉफ्टवेयर में पहले ही टिकट से जुड़ी सारी इंफॉर्मेशन जैसे पैसेंजर का नाम, उम्र, यात्रा तिथि, ट्रेन नम्बर फीड कर दिया जाता है। -बुकिंग के लिए सर्वर शुरू होने के साथ साइट को हैक कर लिया जाता है और पहले से तैयार टिकट जनरेट करने के लिए डाटाबेस साइट पर अपलोड किया जाता है। -साफ्टवेयर के थ्रू एक साथ सैकड़ों टिकट का पेमेंट होता है और पीएनआर जनरेट हो जाता है। टिकट को बाद में प्रिंट किया जाता है। -टिकट के ऑर्डर वाट्सएप पर आते हैं और टिकट डिलेवरी के बाद रुपये अकाउंट में जमा करा दिए जाते हैं।