Spot-1कचहरी का गेट नंबर एक जहां पर सुरक्षा के नाम पर एक मेटल डिक्टेक्टर तो लगा था लेकिन काम नहीं कर रहा था. मेटल डिक्टेक्टर को ऑपरेट करने वाली मशीन कोने में ही सूटकेस में बंद पड़ी थी. पास में ही पुलिस के दो जवान मौजूद थे लेकिन वो भी अपने ड्यूटी पॉइंट पर नहीं थे बल्कि पास की दुकान पर चाय की चुस्की का मजा ले रहे थे.Spot-2आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में कचहरी के गेट नंबर तीन की सिक्योरिटी को जब हमने परखा तो ये यकीन हो गया कि यहां सुरक्षा से जबरदस्त ढंग से खिलवाड़ हो रहा है. गेट नंबर दो और तीन पर सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं था. गेट नंबर दो पर भी लगा मेटल डिक्टेक्टर खराब पड़ा था. जबकि गेट नंबर तीन पर न ही पुलिस के जवान थे और न ही कोई मेटल डिटेक्टर. इसी का फायदा उठाकर हर कोई हाथों में कुछ भी पकड़े कचहरी परिसर में चला जा रहा था.Spot-3अपने रियलिटी चेक में हमने न सिर्फ कचहरी के एंट्री पॉइंट्स को चेक किया बल्कि कचहरी परिसर के अंदर की सुरक्षा भी परखी. जब हम कचहरी कैंपस में सिक्योरिटी चेक करने पहुंचे तो हमारा दिमाग ही घूम गया. ब्लास्ट प्लेस से लेकर पूरे परिसर में बाइक और साइकिल कहीं भी खड़ी दिख रही थी. ये हाल तब है जब पिछला ब्लास्ट साइकिल के जरिए ही अंजाम दिया गया था.ये वो सच्चाई है जो कचहरी में छह साल पहले हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद शुक्रवार को आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में सामने आई है. छह साल पहले जब कचहरी धमाकों से दहला था और कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी तो उस वक्त कचहरी में सुरक्षा को पुख्ता करने के कई दावे हुए थे लेकिन हुआ कुछ नहीं. यही वजह है कि आज भी कचहरी परिसर में मौजूद लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं.


सारे इक्विपपेंट्स सिर्फ नाम के2006 में कचहरी में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद शासन स्तर पर कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई प्लैनिंग की गई थी। इस प्लैंनिग के तहत कुल तीन फेज में कचहरी की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हाईटेक सिक्योरिटी इक्विपमेंट्स लगाने की बात थी। इसके बाद फस्र्ट फेज में एक दर्जन मेटल डिक्टेक्टर भेजे गए थे। इन्हें कचहरी परिसर में एंट्री करने वाले गेट्स पर लगाया गया था। ये इक्विपमेंट्स शुरुआत में तो ठीक चलते थे लेकिन वर्तमान में कचहरी के गेट नंबर एक, दो, चार और अंदर लगे तमाम मेटल डिटेक्टर्स खराब पड़े हैं। वहीं कचहरी परिसर में सीसी कैमरों से निगरानी की भी प्लैनिंग थी लेकिन बम धमाकों के छह साल बीत जाने के बाद भी आज तक कचहरी परिसर में कहीं पर भी सीसी कैमरे नहीं लगे हैं।


एक गेट पर है सिर्फ कड़ाई

कचहरी परिसर में हुए ब्लास्ट के बाद कैंपस में साइकिल सहित किसी भी व्हीकल के जाने पर रोक थी लेकिन इस रोक का कोई असर नहीं होता था। हालांकि डीएम प्रांजल यादव के आने के बाद उन्होंने जिला मुख्यालय के राइफल क्लब की ओर एंट्री करने वाले गेट से सभी वाहनों का प्रवेश बैन कर दिया। इसके बाद इस गेट से तो गाडिय़ों को अंदर नहीं आने दिया जाता लेकिन बाकी गेट्स से गाडिय़ां आसानी से अंदर जाती हैं और कैंपस में कहीं भी पार्क होती हैं।सिर्फ आज के लिए टाइट रहेगी सिक्योरिटीआई नेक्स्ट की ओर से किए गए रियलिटी चेक में मिली कई खामियों के बाबत जब हमने एसपी सिटी राहुल राज से बात की तो उन्होंने बताया कि फ्यूचर में कचहरी की सिक्योरिटी क्या होगी ये तो प्लैनिंग के बाद डिसाइड होगा लेकिन शनिवार को बर्सी के दौरान कचहरी परिसर में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम होंगे। एसपी सिटी के मुताबिक 23 नवंबर को कचहरी के सभी एंट्री पाइंट पर लगे खराब मेटल डिटेक्टर की जगह नये मेटल डिटेक्टर एक दिन के लिए लगाये जायेंगे। इसके अलावा सिक्योरिटी टाइट रखने के लिए कचहरी कैंपस में तीन एसओ, 15 एसआई, एक कम्पनी आरएएफ, 65 कांस्टेबल्स समेत ट्रैफिक पुलिस देा एसआईज और आठ कांस्टेबल्स को तैनात किया जायेगा।ये होना था लेकिन हुआ नहीं- ब्लास्ट के बाद कचहरी के कोने-कोने में लगने थे सीसी कैमरे- हाई फाई मेटल डिटेक्टर से हर आने-जाने वाले की होनी की तलाशी- हर एंट्री पॉइंट पर तैनात होने थे दो सुरक्षाकर्मी

- रोज बम और डॉग स्क्वॉड को करनी थी कचहरी परिसर की चेकिंग- पुलिस मित्र के जरिये वकीलों को पुलिस से जोडऩे की थी प्लैनिंग"सुरक्षा के हर मुद्दे पर खिलवाड़ हो रहा है। सेंट्रल बार एसोसिएशन की ओर से सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए डीएम व एसएसपी को लेटर दिया गया है। देखिये क्या होता है।प्रमोद कुमार पाठक, अध्यक्ष, सेंट्रल बार एसोसिएशनपुलिस अपना काम कर रही है। डीएम एसएसपी समेत कई अधिकारियों ने सुरक्षा का प्लैन बनाया है। उम्मीद है कि ये प्लैन जल्द ही लागू होगा।वीरेन्द्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष, बनारस बार एसोसिएशन

Posted By: Inextlive