सूचना आयुक्त ने अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक लापरवाही को लेकर दी चेतावनी

वाराणसी (ब्यूरो)सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने कहा कि अधिकारी जन सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट) के तहत समय से प्रार्थना पत्रों को निपटाएं। जवाब देने में किसी भी तरह की लापरवाही व देर नहीं होनी चाहिए। समय से जवाब देकर ही आयोग की कार्रवाई से बचा जा सकता है, वरना विलंब पर दंड तय है। वाराणसी में पिछले तीन माह में समय से जवाब न देने, लापरवाही बरतने के मामले में 125 जनसूचना अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है। इन सभी से 31 लाख 25 हजार रुपये की वसूली होनी है।

वेतन से होगी कटौती

अधिकारियों के वेतन से यह राशि कटेगी व राजस्व कोष में जमा होगी। इसमें जिलाधिकारी कार्यालय के 20, मंडलायुक्त के चार, नगर निगम के दस, ग्राम विकास विभाग के 18 व वाराणसी विकास प्राधिकरण के तीन समेत अन्य कार्यालयों के शेष जनसूचना अधिकारी शामिल हैं। सूचना आयुक्त सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों को इस बात की जानकारी होगी कि आरटीआई एक्ट 2005 के अंतर्गत सूचनाएं तीस दिन के अंदर देनी होती है। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरतें, न ही सूचना देने में विलंब करें।

सुनवाई में हों उपस्थित

अफसरों को यह भी हिदायत दी कि आयोग में सुनवाई के दौरान जन सूचना अधिकारी स्वयं उपस्थित हों, किसी कारण से अगर उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं तो वरिष्ठ अधिकारी को वादों की पैरवी के लिए भेजें। सूचनाएं प्रमाणित करके ही दें। अधिनियम की धारा 6 (3) अंतर्गत वादों के पत्र को अंतरित (दूसरे विभाग के हवाले करना) की आवश्यकता पड़ती है तो पांच दिन के अंदर हो। कहा कि कुछ प्रश्न के जवाब विभाग से जुड़े होते हैं पर इसका उत्तर किसी अन्य यानी गांव में तैनात अधिकारी के पास होते हैं इसलिए इस प्रक्रिया में देर नहीं होनी चाहिए।

नाम कार्यालयों में कराएं डिस्प्ले

राज्य सूचना आयुक्त ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया कि कार्यालयों की दीवार पर जनसूचना अधिकारी के नाम लिखवाए जाएं। अधिनियम की धारा 4 (1) बी के तहत जनसूचना अधिकारी का नाम डिस्प्ले होना आवश्यक है ताकि पब्लिक आसानी से उन तक पहुंचकर आवेदन दे सके।

जनसुनवाई आज व कल

सूचना आयुक्त ने बताया कि मंगलवार व बुधवार को सर्किट हाउस के सभागार में 250-250 प्रकरणों की सुनवाई होगी। सूचना आयोग, लखनऊ में होने की वजह से लोगों को वहां जाने-आने में समय व पैसा व्यय होता है। आयोग ने इसी को ध्यान में रखकर इस बार जिले में सुनवाई की व्यवस्था की है.

Posted By: Inextlive