मंडलीय हॉस्पिटल में भर्ती युवक की हत्या कर लटकायी लाश

-रहस्यमय तरीके से ट्रेन से गिरकर गंभीर रूप से हुआ था घायल

-मृतक दोनों हाथ की कई अंगुलियां गंवा चुका था, फिर भी पुलिस दे रही आत्महत्या का रंग

VARANASI : जिंदगी की तलाश में मंडलीय हॉस्पिटल में भर्ती युवक को मौत मिल गयी। मरीजों से भरे वॉर्ड नम्बर पांच में उसकी हत्या करके लाश को लोहे के राड से लटका दिया गया। जान लेने वाले ने मामले को आत्महत्या का रूप देने के लिए गले में गमछे का फंदा डाल दिया। एक पखवारा पहले ट्रेन से रहस्यमय ढंग से गिरने से गंभीर रूप से जख्मी होकर भर्ती हुआ था। तीमारदारी में लगे बाप को बेटे के मौत की जानकारी मंगलवार की भोर में हुई तो उसने चीख-चीखकर हत्या का आरोप लगाया। मौके की स्थिति उसके आरोप को सच साबित कर रही थीं। हत्यारा कौन है और उसका मकसद क्या है यह बाप को नहीं पता। वहीं पुलिस का मानना है कि बिजली ने आत्महत्या की है।

भोर में मचा शोर

बिहार के बेतिया (लउरिया) का रहने वाला बिजली पटेल मंडलीय हॉस्पिटल के वॉर्ड नम्बर पांच के बेड नम्बर ख्क् पर भर्ती था। यह बेड मेन रूम से गैलरी में है। उसकी तीमारदारी में लगे पिता रामवृक्ष पटेल और बड़ा भाई संदीप पटेल रात में बेड के पास जमीन पर सो रहे थे। भोर में लगभग चार बजे संदीप की नींद खुली तो देखा कि भाई बेड पर नहीं है। इधर-उधर तलाश करने के बाद गैलरी की दूसरी ओर गया तो देखा कि भाई की लाश दीवार में लगे राड से लटक रही है। गले में गमछे का फंदा था। उसने तत्काल पिता समेत हॉस्पिटल स्टॉफ को जानकारी दी। चंद मिनटों में पूरे हॉस्पिटल में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। हॉस्पिटल के अधिकारी पहुंच आए। सूचना पर कोतवाली पुलिस आकर छानबीन शुरू किया।

हर सवाल का एक जवाब

बिजली की मौत कैसे हुई इसका सही-सही जवाब किसी के पास नहीं है। पुलिस ने पिता और भाई से पूछताछ शुरू की तो दोनों के पास किसी सवाल का जवाब नहीं था। लेकिन पिता को यह यकीन था कि उसका बेटा सुसाइड नहीं कर सकता है। उसकी हत्या करके लाश को लटका दिया गया है। पुलिस के सामने पिता चीख चीख कर बेटे की हत्या का आरोप लगा रहा था। हत्या किसने की और किस वजह से? इसका जवाब उसके पास नहीं था। परिजनों के मुताबिक हत्या रात को दो बजे से भोर चार बजे के बीच की गयी है। बिजली रात लगभग एक बजे तक किसी से मोबाइल पर बात कर रहा था। उसका बड़ा भाई भी उस वक्त तक जगा हुआ था। वॉर्ड में भर्ती अन्य मरीजों के तीमारदारों की आंखें खुली हुई थीं। दो बजते-बजते ज्यादातर लोग नींद के आगोश में आ गए। जिस बेड पर बिजली एडमिट था वह वॉर्ड के मेन रूम से लगी गैलरी में था। वहां सिर्फ उसके पिता और भाई ही थे। बिजली की हत्या की गयी तो उसमें किसी करीबी का हाथ है। जिसे उसकी मौत का लाभ मिल सकता था।

एक पखवारा पहले आया था

बिजली पटेल (ख्भ् वर्ष) ख्ख् मई को मुगलसराय के पास ट्रेन से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। जीआरपी ने उसे मंडलीय हॉस्पिटल में एडमिट कराया था। बिजली के दोनों हाथ बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। दाहिने हाथ का अंगूठा और बाएं हाथ की तीन अंगुलियां कट चुकी थीं। डॉक्टर्स ने हाथ को काम करने लायक बनाने के लिए ऑपरेट करने की सलाह दी थी। तीमारदारी के लिए पिता रामवृक्ष पटेल और बड़ा भाई संदीप पटेल हॉस्पिटल में उसके साथ थे। चार दिन पहले मंडलीय हॉस्पिटल के डॉ। सीपी कश्यप ने उसके दाहिने हाथ की सर्जरी की थी। बाएं हाथ की सर्जरी शनिवार को की गयी थी। बिजली को हॉस्पिटल में एडमिट हुए एक पखवारा हो रहा था। इस बीच पिता और भाई को छोड़कर कोई भी हॉस्पिटल में नहीं आया। यहां तक कि पत्नी भी उसे देखने नहीं आयी थी।

आसान नहीं इतनी ऊंचाई तक पहुंचना

बिजली की लाश जिस रॉड से लटक रही थी वह जमीन से लगभग क्ब् फुट ऊपर है। वहां तक पहुंचने के लिए नीचे मौजूद बेड के ऊपर स्टूल रखा गया था। बेड से लगी खिड़की है जिसे जाली से बंद किया गया है। दीवार पर बिजली सप्लाई के लिए मोटे तार गुजर रहे हैं। किसी भी हाल में सामान्य कद के इंसान का वहां तक पहुंचना आसान नहीं था। इसके बाद रॉड में जिस तरह से गमछा बांधकर फंदा बनाया गया था वह भी ऐसे किसी इंसान के लिए बेहद मुश्किल जिसके हाथों की कई अंगुलियां नहीं हैं। बड़े भाई ने सुबह जब लाश देखी तो पैर बेड से टकरा रहा था। पिता का आरोप है कि रात में सोते वक्त किसी ने बिजली की गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद आत्महत्या का शक्ल देने के लिए लाश को गमछे का फंदा बनाकर लटका दिया।

एक्सिडेंट बना रहा रहस्य

बिजली राजगीर मिस्त्री का काम करता था। काम की तलाश में ज्यादातर वक्त वह घर से दूर दूसरे जिलों या प्रदेश में रहता था। तीन साल पहले उसकी शादी हुई थी। आठ महीने का एक बच्चा है। पिता रामवृक्ष चंडीगढ़ में रहकर राजगीर मिस्त्री का काम करते हैं। दोनों भाई गांव पर ही रहकर छोटा-मोटा काम करते थे। ख्ख् मई को काम की तलाश करने के लिए बिजली ट्रेन से बिहार से सीतामढ़ी जा रहा था। जनरल बोगी में भीड़ होने की वजह से दरवाजे के पास खड़े होकर सफर कर रहा था। मुगलसराय स्टेशन से थोड़ा पहले रहस्यमय ढंग से ट्रेन से गिर पड़ा। उसके हाथों में गंभीर चोट लगी। बिजली ट्रेन से कैसे गिरा उसे नहीं मालूम। उसके परिजनों के सामने यह शक जाहिर किया था कि किसी ने उसे ट्रेन से धक्का दे दिया था।

कौन देगा इन सवालों का जवाब

-दोनों हाथों में गंभीर चोट होने के बाद भी बिजली जान देने के लिए क्ब् फुट ऊंचे रॉड तक कैसे पहुंच गया?

-जान देने का कोई आसान तरीका क्यों नहीं अपनाया?

-बिजली के दोनों हाथ काम नहीं कर रहे थे तो फंदे के लिए इस्तेमाल गमछे की मजबूत गांठ किसने लगायी?

-फंदे के लिए भाई-भाई का गमछा लेते वक्त उसे पता क्यों नहीं चला?

-बेड पर स्टूल रखकर फंदा बनाने में क्भ् से ख्0 मिनट लगा होगा और मशक्कत करनी पड़ी होगी इसका एहसास भाई-पिता को क्यों नहीं हुआ?

-बिजली एक पखवारे से हॉस्पिटल में एडमिट था, उसे अपने हाथ की स्थिति का पता था तो पहले उसने जान देने की कोशिश क्यों नहीं की?

-काम की तलाश में जाते वक्त कौन ऐसा था जिसने ट्रेन से गिराकर बिजली की जान लेने की कोशिश की?

-इतने दिनों से हॉस्पिटल में भर्ती होने के बावजूद पत्नी या परिवार का कोई और उसके पास क्यों नहीं आया?

-आखिर क्यों पिता ने हत्या का आरोप लगाया लेकिन हत्यारे के बारे में कुछ नहीं बोला?

-अगर हत्यारा बाहर का था तो उसे किसी ने वॉर्ड में आते-जाते क्यों नहीं देखा?

-वह कौन है जिसे बिजली की मौत का फायदा मिल सकता है?

हॉस्पिटल में सुरक्षा पर सवाल

बिजली की मौत ने मंडलीय हॉस्पिटल में मरीजों और उनके तीमारदारों की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। फ्ख्म् बेड के हॉस्पिटल में मरीज, तीमारदार, स्टॉफ समेत सात से आठ सौ लोग हर वक्त रहते हैं। इनकी सुरक्षा के लिए महज दो होमगॉर्ड और दो चौकीदार की तैनाती है। हॉस्पिटल से लगे जिला महिला अस्पताल से लगभग एक साल के भीतर आधा दर्जन नवजात बच्चों की चोरी हो चुकी है। दिन-रात हॉस्पिटल का हर हिस्सा हर किसी के लिए खुला रहता है। निगरानी के लिए किसी तरह का इंतजाम नहीं है।

पुलिस मामले की जांच कर रही है। डेडबॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। परिजनों के साथ ही वॉर्ड में मौजूद अन्य लोगों से पूछताछ की जा रही है।

सुधाकर यादव

एसपी सिटी

मामला फांसी लगाने का सामने आ रहा है। इसकी जांच की जा रही है। हॉस्पिटल में इस तरह की पहली घटना है। मरीजों और तीमारदारों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

डॉ। आरपी चतुर्वेदी

एसआईसी, मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा

Posted By: Inextlive