आईक्यू एयर की लिस्ट में यूपी के सिटीज की स्थिति ठीक पीएम 2.5 में एक बार भी 50 के ऊपर नहीं गई वाराणसी की एयर


वाराणसी (ब्यूरो)किसी भी रैंकिंग में टॉप पर रहना सबकी चाहत होती है, लेकिन आज हम जिस रैंकिंग की बात करने जा रहे हैं, उसमें टॉपर कोई नहीं बनना चाहता। जी हां, हम बात कर रहे हैं वल्र्ड में सबसे पॉल्यूटेड सिटीज की। मंगलवार को स्विटजरलैंड के संगठन आईक्यू एयर की ओर से जारी लिस्ट ने सभी का ध्यान खींचा है। इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है और बेगूसराय दुनिया का सबसे प्रदूषित महानगर है। लेकिन अच्छी बात ये है कि इसमें यूपी के शहरों ने अपने प्रयास से काफी सुधार किया है। वाराणसी की हवाओं ने तो पीएम 2.5 में वर्ष 2023 में एक बार भी 50 के आंकड़े को पार नहीं किया।

पॉल्युशन में यूपी के सिटीज की रैंकिंग

मेरठ 34

लखनऊ 108

गोरखपुर 142

कानपुर 157

प्रयागराज 203

बरेली 261

आगरा 280

वाराणसी 325

(साल 2023 में वाराणसी में सबसे शुद्ध हवाएं जुलाई में बहीं तो सबसे खतरनाक हवाओं का माह नवंबर रहा.)

क्या है पीएम

पीएम (पर्टिकुलेट मैटर) को कण प्रदूषण भी कहा जाता है। ये वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण हैं। हवा में मौजूद कण इतने छोटे होते हैं कि आपको नजर नहीं आते। इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके ही देखा जा सकता है। इसके दो प्रारूप हैं जिसमें पीएम 2.5 और पीएम 10 शामिल हैं। ये दोनों ही बहुत खतरनाक होते हैं।

पीएम का स्रोत

पर्टिकुलेट मैटर के श्रोत प्राइमरी और सेकेंडरी हो सकते हैं। प्राइमरी स्रोत में ऑटोमोबाइल उत्सर्जन, धूल और खाना पकाने का धुआं शामिल है। प्रदूषण का सेकेंडरी स्रोत सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे रसायनों की जटिल प्रतिक्रिया हो सकता है। ये कण हवा में मिश्रित हो जाते हैं और इसको प्रदूषित करते हैं। इनके अलावा, जंगल की आग, लकड़ी के जलने वाले स्टोव, खेतों में पुआल जलाना,क्र उद्योग का धुआं, निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल वायु प्रदूषण आदि से भी ये बढ़ते हंै.

पीएम का हेल्थ पर असर?

पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनों गैस के रूप में कार्य करते हैं। जब आप सांस लेते हैं तो ये कण आपके फेफड़ों में चले जाते हैं, जिससे खांसी और अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं। हाई ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक के साथ ही ये कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर धुंध बढ़ती है और साफ दिखना भी कम हो जाता है। इन कणों का हवा में स्तर बढऩे का सबसे बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है.

पीएम का हेल्थ पर असर

- सांस लेने में दिक्कत

- आंख, नाक और गले में जलन

- सीने में खिंचाव

- फेफड़ों का सही से काम ना कर पाना

- गंभीर श्वसन रोग

- अनियमित दिल की धड़कन

सबसे अधिक खतरा किसे?

एक अध्ययन में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों और वरिष्ठ नागरिक बुरी तरह प्रभावित होते हैं। दिल और फेफड़ों की बिमारी वाले लोगों को वायु प्रदूषण से काफी खतरा हो सकता है.

कैसे बचाव करें?

- मास्क का इस्तेमाल कंटीन्यू करें, दिक्कत पर डॉक्टर से सलाह लें.

- प्रदूषण स्तर उच्च होने पर बाहर व्यायाम करने से बचें.

- लकड़ी या थ्रैश न जलाएं, क्योंकि ये कण प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं.

- घर के अंदर पौधे लगाएं, खान-पान का ध्यान रखें.

- इम्युनिटी बूस्टर फल और सब्जियों को अपने डाइट में शामिल करें।

- समय समय पर अपने आसपास की वायु गुणवत्ता की जांच करते रहें।

100

माइक्रॉन अधिकतम होना चाहिए पीएम 10 का एयर में स्तर

50

माइक्रॉन अधिकतम होना चाहिए पीएम 2.5 का एयर में स्तर

बनारस में एक्यूआई पर नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम लगातार काम करती है। वीडीए की सख्ती के चलते आम लोग निर्माण कार्य में मानकों का पालन भी करते हैं। सभी के सामूहिक प्रयास से ही बनारस की आबोहवा अ'छी है.

कौशल राज शर्मा, कमिश्नर

Posted By: Inextlive