एक रात में दो बार हिली देहरादून की धरती

-देहरादून जिले की हिमाचल सीमा पर था केंद्र

-विशेषज्ञों ने कहा, कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप

-दून के राजपुर, सहस्त्रधारा रोड व मालसी इलाके सबसे ज्यादा संवेदनशील

देहरादून, मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात देहरादून की धरती भूकंप के झटकों से दो बार हिली। मंगलवार देर रात भूकंप का पहला झटका 12.44 बजे आया। इसका केंद्र देहरादून जिले के सीमा पर उत्तराखंड और हिमाचल के बॉर्डर पर था। इसकी तीव्रता रेक्टर स्केल पर 3.9 मापी गई। इसके बाद दूसरा झटका बुधवार अर्ली मॉर्निग 4.11 बजे महसूस किया गया। इसका केंद्र देहरादून और उत्तरकाशी जिले की सीमा के पास बताया गया है। इसकी तीव्रता 3.4 मापी गई। भूकंप के झटके गंगा और यमुना घाटी के क्षेत्रों में भी महसूस किए गए। हालांकि भूकंप से कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन लोग इससे सहमे हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हल्के भूकंपों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। ये खतरे का अलार्म हैं और कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है। देहरादून जिला भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। ये जोन 4 में है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर दून में 6 और इससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आया तो भारी तबाही मच सकती है।

क्यों आ रहे हैं भूकंप?

आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों के मुताबिक इंडियन प्लेट चाइना की तरफ ढाई इंच तक मूव कर चुकी है। यही वजह है कि हिमालयी रीजन वर्तमान समय में भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक कहा जा सकता है। हालांकि रेक्टर पैमाने पर कब बड़ा भूकंप आएगा, कहा नहीं जा सकता है। मगर छोटे भूकंप किसी अलार्म से कम नहीं हैं।

देहरादून में है बेहद खतरा

विशेषज्ञ कहते हैं कि भूकंप की दृष्टि से देहरादून संवेदनशील शहर है। भारतीय मानक ब्यूरो यानि बीआईएस कोडिंग के मुताबिक देहरादून में बड़े स्तर पर हो रहे निर्माण कार्यो में भूकंपरोधी नियमों की अनदेखी की जा रही है। दून में 80 फीसदी से ज्यादा निर्माण काय मानकों के अनुसार नहीं हैं। वॉडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी व आईआईटी रुड़की ने मिट्टी की संरचना के हिसाब से भूकंप को लेकर दून के राजपुर रोड, सहस्त्रधारा रोड व मालसी इलाके को सबसे खतरनाक बताया है। आपको बता दें कि सबसे ज्यादा बहुमंजिला इमारतें भी इन्हीं इलाकों में बनी हैं और अभी भी बन रही हैं।

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क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

कुछ सालों पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो। डब्ल्यूडी लेम फिन ने भूकंप को लेकर अपने विचार रखे थे। ये विचार आईआईटी से साझा किए गए थे। उन्होंने उत्तराखंड के देहरादून, नैनीताल व बागेश्वर जिले को भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील बताया था।

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आईआईटी रुड़की के चौंकाने वाले शोध

आईआईटी रुड़की के अर्थक्वेक डिपार्टमेंट के प्रो। सरन स्वामी ने अर्थक्वेक रजिस्टेंट ऑफ फाउंडेशन पर शोध प्रस्तुत किए थे। इसमें दून के 44 स्कूलों व 39 अस्पतालों को भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना गया।

:::प्वाइंटर्स:::

-सूबे के कई जिले भूकंप के दृष्टिकोण से जोन 4 और जोन 5 में हैं।

-वैज्ञानिकों ने साफ कहा है राज्य में बड़ा भूकंप आया तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।

-केंद्र दून, मसूरी व नैनीताल शहरों में रेक्टर स्केल पर 6 से ज्यादा के भूकंप पर भारी नुकसान की आशंका जता चुका है।

-जोन-4 और 5 में 6, 7 व 8 तीव्रता के भूकंप भारी तबाही मचाते हैं।

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::उत्तराखंड में आए बड़े भूकंप:::

वर्ष---स्थान---तीव्रता

29 मार्च 1999--चमोली---6.8

20 अक्टूबर 1991--उत्तरकाशी--6.6

29 अगस्त 1968 ---धारचूला(पिथौरागढ़)--7.0

ख् अक्टूबर क्9फ्7--देहरादून--8.0

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कौन सा िजला किस जोन में

जोन ब्

देहरादून

नैनीताल

टिहरी

उत्तरकाशी

हरिद्वार

उधमसिंहनगर

जोन भ्

चमोली

रुद्रप्रगया

अल्मोड़ा

बागेश्वर

पिथौरागढ़

चंपावत

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::वर्जन:::

इस प्रकार के छोटे भूकंप हमें तैयार रहने के लिए सचेत करते हैं। इससे हमको आगाह होना चाहिए। कब बड़े स्तर का भूकंप आएगा, कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकता, लेकिन उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। देहरादून भी बेहद संवेदनशील शहरों में आता है। सुरक्षा की तैयारी पहले की जानी चाहिए।

प्रो। अशोक माथुर, भूकंप अभियांत्रिकी विभाग, आईआईटी, रुड़की।

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Posted By: Inextlive