- प्राइवेट एंबुलेंस वाले उठा रहे स्थिति का फायदा

- देहरादून की नौ लाख के आबादी के लिए मात्र 7 एंबुलेंस

DEHRADUN: एक समय पहाड़ की लाइफ लाइन कही जाने वाले 108 आपातकालीन सेवा से क्या लोगों का विश्वास उठ रहा है। 108 सेवा के कंट्रोल रूम में आने वाली कॉल्स की संख्या में आई गिरावट तो इसी तरफ इशारा कर रही है। 108 सेवा की विश्वसनीयता में गिरावट के वैसे तो कई कारण गिनाये जा रहे हैं, लेकिन इनमें मुख्य कारण इसके बेड़े की ज्यादातर गाडि़यों का बूढ़ी हो जाना है। 108 के बेड़े की ज्यादातर एंबुलेंस 5 लाख किमी से ज्यादा का सफर पूरा कर चुकी हैं।

कॉल्स में आई कमी

1 दिसम्बर 2016 से 28 फरवरी 2017 के बीच 108 सेवा के कंट्रोल रूम में राज्यभर से रोड एक्सीडेंट की कुल 3215 कॉल्स आई थीं, लेकिन एक साल बाद इसी अवधि में यानी दिसम्बर 2017 से फरवरी 2018 के बीच कुल 2144 कॉल्स ही कंट्रोल में आई हैं। सबसे ज्यादा कॉल्स वाले देहरादून जिले में पिछले साल इस अवधि के दौरान 972 कॉल्स आई थी, जबकि इस साल यह संख्या घटकर 609 हो गई, जबकि इस दौरान रोड एक्सीडेंट की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।

बूढ़ी हो चुकी गाडि़यां

108 के बेड़े की ज्यादातर गाडि़यां बूढ़ी हो चुकी हैं। यह गाडि़यां सड़कों पर बुरी तरह से हांफ जाती हैं, ऐसे में मरीज का सकुशल पहुंचाने को लेकर आशंका बनी रहती है। गाड़ी का रास्ते में खराब हो जाना अब आम बात हो गई है। इस एंबुलेंस में लगाये गये जीवन रक्षक उपकरण भी अब ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।

कब कितनी एंबुलेंस

2008 90

2010 20

2011 28

दून के लिए सिर्फ 7 एंबुलेंस

देहरादून की आबादी करीब नौ लाख तक पहुंच चुकी है, लेकिन इतनी बड़ी आबादी के लिए मात्र 7 एंबुलेंस ही उपलब्ध हैं। यानी की एक लाख से ज्यादा लोगों के लिए एक एंबुलेंस ही उपलब्ध है। खास बात यह है कि पड़ोसी हिमाचल प्रदेश में 50 हजार की आबादी में पर एक एंबुलेंस उपलब्ध है। देहरादून में ये एंबुलेंस रायपुर, जाखन, कोरोनेशन अस्पताल, विधानसभा, प्रेमनगर, आईएसबीटी और रेसकोर्स में तैनात की गई हैं।

110 एंबुलेंस बदलने की योजना

बूढ़ी हो चुकी 108 बेड़े की 110 एंबुलेंस को बदलने की बातें पिछले कई सालों से हवा में हैं। इस योजना पर पिछली सरकार के दौरान ही काम शुरू गया था, लेकिन अब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं है। हालांकि अब एक बार फिर बताया जा रहा है कि 61 एंबुलेंस खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

रिस्पांस टाइम भी ज्यादा

कम एंबुलेंस होने के कारण 108 का रिस्पांस टाइम भी काफी ज्यादा है। 108 मैनेजमेंट ने रिस्पांस टाइम मैदानी क्षेत्रों में 27 मिनट तक बताया है। हालांकि यदि किसी क्षेत्र की एंबुलेंस दूसरे केस में हो तो यह समय काफी ज्यादा हो जाता है। मैनेजमेंट का दावा है कि रिस्पांस टाइम पहले के मुकाबले कम हुआ है।

कॉल्स में कमी

जिला पहले अब

अल्मोड़ा 68 38

बागेश्वर 40 33

चमोली 73 35

चम्पावत 77 52

देहरादून 972 609

हरिद्वार 454 361

नैनीताल 383 309

पौड़ी 184 122

पिथौरागढ़ 70 52

रुद्रप्रयाग 28 35

टिहरी 201 112

यूएस नगर 589 357

उत्तरकाशी 76 29

कुल 3215 2144

कंट्रोल रूम में आने वाली कॉल्स की संख्या में कुछ कमी आई है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि 108 की विश्वसनीयता कम हुई है। कुछ लोगों को उल्टी आती है, इसलिए एंबुलेंस के बजाय दूसरी गाड़ी करते हैं। इसके अलावा पहाड़ों से पलायन भी इसका एक बड़ा कारण हो सकता है।

- मनीष टिंकू, स्टेट हेड, 108 इमरजेंसी सर्विस।

Posted By: Inextlive