Fly high towards commonwealth games
फोर्थ क्लास से हुई थी शुरुआत कनुप्रिया भाटिया जब 4 साल की थी तो उनके टीचर ने उनके अंदर एक अलग प्रकार की फुर्ती और जोश देखा और उनके फादर को स्कूल में बुलाकर कनुप्रिया को मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस ज्वॉइन करने की सलाह दी। कनुप्रिया के फादर विक्रम भाटिया ने टीचर की सलाह को माना और कनुप्रिया को मार्शल आर्ट ज्वॉइन कराई। आज उस ही की बदौलत यह चैंपियन प्लेयर हर बार नए रिकॉर्ड बनाती जा रही है। 2009 में बीजिंग में हुई वल्र्ड कराटे चैंपियनशिप में यह प्लेयर पार्टिसिपेट कर चुकी है। और यह दूसरा मौका है जब वह इंडिया को रिप्रजेंट करेगी। 10 साल में जीता नेशनल मेडल
दून के जाखन क्षेत्र में रहने वाली कनुप्रिया भाटिया ने महज 10 साल की ऐज में ग्वालियर में हुई नेशनल कैडेट कराटे चैंपियनशिप में पहली बार ब्रॉन्ज मेडल जीता। इसके बाद कामयाबी का कारवां बढ़ता चला गया। साल 2010 व 2013 में एक बार फिर नेशनल चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता। कनुप्रिया ने इंडिपेंडेंस कप में भी 2011,2012 व 2013 में लगातार तीन साल इंडिपेंडेंस कप में गोल्ड मेडल जीतकर अपनी हैट्रिक पूरी की। इस साल दिल्ली में ताल कटोरा स्टेडियम में इंडिपेंडेंस कप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद ही इनका कनाडा में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए टिकट पक्का हुआ। कनुप्रिया वर्तमान में 15 प्लस के 54 केजी कैडेट वर्ग में पार्टिसिपेट करती है। कराटे खेल की दो टाइप्स है। पहला काता व दूसरा कुमित्य। काता गेम में एक्शन का रिदिमिक डेमोन्स्ट्रेशन होता है। जबकि कुमित्य में डायरेक्ट फाइट होती है और अपने विरोधी प्लेयर को कमर के ऊपर वार करना होता है। इसी गेम में कनुप्रिया को महारथ हासिल है। पढ़ाई में भी अव्वल है कनुप्रिया
कनुप्रिया इस समय डीआईएस में 10वीं की स्टूडेंट है। इस साल उसके बोर्ड एग्जाम भी हैं। ऐसे में दोहरा चैलेंज इनके सामने हैं, क्योंकि एक तरफ बोर्ड एग्जाम हैं और दूसरी तरफ 11 से 13 अक्टूबर तक कनाडा में कॉमनवेल्थ गेम्स हैं, लेकिन कनुप्रिया ने इसके लिए टाइम मैनेजमेंट किया हुआ है। वह दिन भर स्कूल में स्टडी करती है और एक घंटे शाम को कराटे की कोचिंग करने के अलावा रात को घर पर 3-4 घंटे डेली कराटे की प्रेक्टिस करती हैं। कनुप्रिया के फादर विक्रम भाटिया बताते हैं कि हर साल उनकी बेटी के क्लास में 90 परसेंट माक्र्स आते हैं। वह कहते कि कौन कहता कि एक अच्छा प्लेयर एक अच्छा स्टूडेंट नहीं हो सकता। कनुप्रिया का गेम बहुत ही फास्र्ट है और कराटे गेम में शार्पनेस चाहिए। यही वजह है कि शार्प माइंड होने की वजह से कनुप्रिया पढ़ाई को पढ़ाई में मदद मिलती है।ओलंपिक में खेलना है सपनाअन्य प्लेयर की तरह भी कनुप्रिया भी ओलंपिक में जाने का सपना देखती है। वह कहती हैं कि कॉमनवेल्थ व वल्र्ड चैंपियनशिप में खेलना उनका सौभाग्य है, लेकिन ओलंपिक में खेलना उनका सपना है। जो एक दिन जरूर पूरा होगा। फिलहाल उनका फोकस कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने पर है।