DEHRADUN : संपूर्ण राष्ट्र राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है. राजधानी देहरादून में भी महात्मा गांधी को याद किया जा रहा है लेकिन देहरादून से भी बापू का पुराना नाता रहा है. बताया जाता है कि जब 17 अक्टूबर 1929 को महात्मा गांधी किसी सम्मेलन में शिरकत करने के लिए देहरादून पहुंचे थे. उसी दौरान राजपुर के शहंशाई आश्रम के पास स्थित एक स्थान पर उन्होंने पीपल का एक पेड़ रोपा था जो आज भी मौजूद है.


यादें हो जाती है ताजा जाहिर है कि जब भी गांधी जयंती मनाई जाती है, तो उनके द्वारा रोपे गए इस पेड़ को देखकर महात्मा गांधी की यादें ताजा हो जाती हैं। यह पेड़ गवाही देने के लिए काफी है कि राष्ट्रपिता का देहरादून से गहरा नाता रहा था। पीपल के इस हरे-भरे पेड़ की उम्र भी आगामी 17 अक्टूबर को 2013 को 84 साल पूरे हो जाएंगे। इससे इत्तेफाक ही कहा जाएगा कि दो अक्टूबर को गांधी जयंती और महज 15 दिन बाद राजपुर में गांधी द्वारा रोपे गए पीपल की उम्र भी 84 साल पूरी हो रही है। खतरे में पड़ गया था अस्तित्व
स्थानीय लोगों के अनुसार गांधी की ये स्मृति पिछले कुछ समय पहले सूखने के कारण अस्तित्व खोने के करीब थी। कुछ लोग इसको नुकसान पहुंचाना चाहते थे, लेकिन स्थानीय लोगों के प्रयासों के कारण अब वह हरा-भरा है। वेडनसडे को शहरभर में गांधी की प्रतिमा के साथ उन्हें श्रद्धासुमन याद किया गया, लेकिन गांधी की इस सुनहरी याद तक पहुंचने की किसी भी सरकारी और गैर सरकारी स्तर से कोशिश नहीं की गई। बापू की 84 साल पुरानी यादें आज भी 'हरी है

Posted By: Inextlive