- गांधी शताब्दी हॉस्पिटल में पेशेंट और हेल्थ वर्कर खतरे में

- कहीं नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

- कैमरा देख कहीं सुरक्षा गार्ड तो कहीं डॉक्टर खुद लाइन लगवाने में जुटे

देहरादून

दून हॉस्पिटल के कोविड हॉस्पिटल बनने के बाद शहर में 80 परसेंट से ज्यादा प्रेशर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की विंग गांधी शताब्दी हॉस्पिटल पर है। कुछ महीने पहले जिस हॉस्टिपल में गिने-चुने पेशेंट पहुंचते थे वहां अब हर रोज हजारों की संख्या में पेशेंट पहुंच रहे हैं। भीड़ बढ़ने के साथ ही इस हॉस्पिटल में व्यवस्थाएं भी चरमरा गई हैं। कोरोनाकाल में यहां सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं। वेटिंग रूम हो या फिर डॉक्टर्स के केबिन के बाहर, पैथोलॉजी लैब हो या फिर रजिस्ट्रेशन काउंटर, कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है।

कैमरा देखा तो दौड़ पड़े

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब हॉस्पिटल में हो रही सोशल डिस्टेंसिंग के वॉयलेंस को रिकॉर्ड करना शुरू किया तो पूरे हॉस्पिटल में कर्मचारी लाइन लगवाने और पेशेंट को सोशल डिस्टेंशन बनाने के लिए चेतावनी देने लगे। महिला डॉक्टर के केबिन के बाहर दर्जनों की संख्या में महिलाएं चेकअप करवाने के लिए लाइन में एक-दूसरे से करीब-करीब चिपककर खड़ी थी। वहां एक महिला गार्ड भी थी। फोटो खिंचती देख एक डॉक्टर केबिन के बार आकर सोशल डिस्टेंसिंग न होने के लिए डांटने लगी। महिला गार्ड भी अपनी तरफ से प्रयास करने लगी, लेकिन वहां इतनी जगह ही नहीं थी कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो पाता।

डॉक्टर खुद दौड़ पड़े

फोटो खींचे जाने की बात सुनते ही एक डॉक्टर केबिन से बाहर निकलकर खुद भीड़ की तरफ दौड़ पड़े ताकि सोशल डिस्टेंसिंग बनवाई जा सके। अल्ट्रासाउंट केबिन का स्टाफ भी बाहर आकर वहां मौजूद लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के लिए डांटने लगा।

जगह है पर व्यवस्था नहीं

इस हॉस्पिटल में जगह की कमी नहीं है। आसानी से फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करवाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए स्टाफ की जरूरत है, जिसकी हॉस्पिटल में सख्त कमी बनी हुई है। पेशेंट्स को वेटिंग रूम में या बाहर बरामदे में बिठाकर एक-एक करके डॉक्टर्स के पास भेजा जा सकता है, लेकिन इस काम को व्यवस्थित तरीके से करने के लिए हर डॉक्टर के पास दो-दो स्टाफ की जरूरत होगी। जिसकी हॉस्पिटल में कमी है।

मास्क में नहीं लापरवाही

सोशल डिस्टेंसिंग की बेशक हॉस्पिटल में व्यवस्था न हो, लेकिन मास्क के मामले में लोग पूरी तरह से अवेयर नजर आये। रजिस्ट्रेशन से लेकर डॉक्टर के केबिन तक की लाइन पर कहीं भी कोई पेशेंट या अटेंडेंट बिना मास्क नजर नहीं आया। डॉक्टर्स और अन्य कर्मचारी भी मास्क के मामले में पूरी तरह से सचेत नजर आये।

हेल्थ वर्कर्स खतरे में

सोशल डिस्टेंस न होने और जरूरी उपकरणों की कमी के कारण इस हॉस्पिटल में हेल्थ वर्कर्स सबसे ज्यादा खतरे में हैं। डॉक्टर्स के अलावा अन्य सभी कर्मचारी सामान्य कपड़ों और सामान्य मास्क में ही नजर आये। इन हेल्थ वर्कर्स को भीड़ के बीच से ही इधर-उधर आना-जाना पड़ रहा है, जबकि हॉस्पिटल में लगातार ड्यूटी करने वाले वर्कर्स को बचाव के लिए सभी इक्विप्मेंट उपलब्ध करवाये जाने चाहिए।

कोई सूचना तक नहीं

कोविड-19 के दौर में जबकि हर जगह लोगों को मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर अवेयर करने के लिए पोस्टर बोर्ड आदि लगाये गये हैं, गांधी शताब्दी हॉस्पिटल में कहीं भी ऐसा न तो कोई पोस्टर लगा है और न ही नोटिस। हॉस्पिटल प्रशासन यह मानकर चल रहा है कि यहां आने वाला हर व्यक्ति इस बारे में अवेयर हैं। हालांकि इसके बावजूद हॉस्पिटल के हर कोने से ऐसी सूचनाएं चस्पा की जानी चाहिए।

हमारे पास जितने संसाधन हैं उनसे लगातार प्रयास कर रहे हैं। हॉस्पिटल आने वाले हर पेशेंट और अटेंडेंट से हमारा अनुरोध है कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में अवश्य पालन करें। ताकि हम सभी सुरक्षित रह सकें।

प्रवीन पंवार, डिप्टी सीएमएस

गांधी शताब्दी हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive