- हर एजीएम के व्हीकल एक्सपेंसेज करीब एक लाख महीना

- 20 एजीएम के खर्चे में कटौती करके बचेंगे 20 लाख महीना

देहरादून।

लगातार घाटा झेल रहे रोडवेज ने इससे उबरने के लिए अब अफसरों की सुविधाओं में कटौती शुरू कर दी है। रोडवेज के 20 एजीएम पैदल कर दिए गए हैं, इन्हें सरकारी वाहन की सुविधा फिलहाल नहीं मिलेगी। उन्हें अपने व्हीकल से ही ऑफिस आना-जाना होगा। कहा जा रहा है कि स्टाफ की सुविधाओं में और कटौती की जा सकती है।

2003 से एजीएम ले रहे थे वाहन का लाभ

2003 में उत्तराखंड रोडवेज के बनने के बाद से यहां तैनात सहायक महाप्रबंधक (एजीएम ) को ऑफिस आने और जाने के लिए एक सरकारी गाड़ी परिवहन निगम की ओर से दी जा रही थी। एक ड्राइवर भी हमेशा इन गाड़ी में तैनात रहता था। यह ड्राइवर परमानेंट और स्किल्ड होता है। जिसका वेतन 50 हजार से 65 हजार रुपए तक होता हैं।

उत्तराखंड में है 20 डीपो में एजीएम

देहरादून - 3

हरिद्वार - 2

भवाली -1

टनकपुर-1

काशीपुर - 1

पिथौरागढ़ -1

रुड़की - 1

ऋषिकेश -1

रामनगर -1

रुद्रपुर- 1

हल्द्वानी -1

काठगोदाम - 1

रानीखेत- 1

अल्मोडा- 1

टनकपुर - 2

लोहाघाट - 1

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डीजल, ड्राइवर, मेंटेनेंस पर 20 लाख खर्च

हर माह 100 लीटर डीजल

रोडवेज के हर एजीएम के वाहन में औसतन हर माह 100 लीटर डीजल खर्च होता है। रोडवेज में 20 एजीएम तैनात हैं, ऐसे में हर माह 2000 लीटर डीजल 20 वाहनों पर खर्च होता है। इसका भुगतान रोडवेज को खुद वहन करना होता है।

व्हीकल मेंटेनेंस पर भी खर्चा

एजीएम को इस्तेमाल के लिए दिए गए व्हीकल का खर्च भी रोडवेज ही उठाता था। हर माह इन व्हीकल के सर्विस से लेकर इनकी रिपेयरिग पर हजारों रुपए खर्च होता है।

ड्राइवर की सैलरी भी मोटी

एजीएम लेवल के अफसरों को दिए गए वाहनों में ड्राइवर भी सरकारी हैं। ये विभाग के सबसे स्किल्ड ड्राइवर हैं, इनकी सैलरी 50 हजार से 65 हजार रुपए महीना तक है।

कोरोना ने बिगाड़ा रोडवेज का बजट

कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन पीरियड में रोडवेज के चक्के जाम रहे। इसके बाद भी सीमित संख्या में बसें संचालित हुईं, लेकिन सवारियों का भारी टोटा रहा। ऐसे में कोरोना के चलते रोडवेज को करीब 75 से 80 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। रोडवेज मौजूदा समय में करीब 179 करोड़ रुपए के नुकसान पर है।

खर्च में कटौती से बच रहा 2 करोड़ महीना

अफसर कर्मचारियों की सुविधाओं में कटौती व अन्य तरह के खर्चो को अवॉइड करके रोडवेज फिलहाल 2 करोड़ रुपए हर महीने बचा रहा है। काफी हद तक घाटे से उबरने के लिए रोडवेज का यह कदम कारगर साबित हो रहा है।

रोडवेज को लगातार हो रहे नुकसान को देखते हुए निगम ने यह ऑर्डर जारी किए थे। इन्हें लागू करते हुए एजीएम लेवल के अफसरों से सरकारी वाहन की सुविधा वापस ले ली गई है। घाटे से उबरने के बाद इस सुविधा पर फैसला लिया जाएगा।

- दीपक जैन, जीएम, तकनीकि एंव संचालन, रोडवेज

Posted By: Inextlive