हर साल अंडर ग्राउंड वाटर करीब 1 मीटर के नीचे खिसक रहा है। दून अभी रेड जोन में नहीं है लेकिन जिस तरह पानी को लेकर गर्मी में हालात हो रहे हैं वह अलार्मिंग टाइमिंग का सिग्नल दे रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय के साथ-साथ यह स्पीड बढ़ती जाएगी और वह दिन ज्यादा दूर नहीं होगा जब वाटर लेवल 100 मीटर नीचे चले जाएगा।

देहरादून (ब्यूरो) पैनल डिस्कशन के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आए विशेषज्ञों ने बताया कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग (आरडब्ल्यूएच) आज समय की मांग है। वर्षा जल संग्रहण जमीन को रिचार्ज करने का सबसे सरल तरीका है। कहा कि शहरी क्षेत्रों में अंडर ग्राउंड वाटर का लेवल तेजी से गिर रहा है। बढ़ती आबादी के चलते शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहे हैं। वर्षा जल संरक्षण अब जरूरी हो गया है। इसलिए घर-घर में जल संरक्षण के साथ ही तकनीक के जरिए जल की बरबादी को रोकने के गंभीर प्रयास होने चाहिए। डीएवी पीजी कॉलेज से आए स्टूडेंट््स रितिक नौटियाल, कृष्ण खंडूड़ी और गर्व गोयल ने भी वाटर कंजर्वेशन के लिए जन-जागरुकता पर जोर दिया।

70 परसेंट पानी इरीगेशन पर खर्च
सीजीडब्ल्यूबी के साइंटिस्ट डॉ। विकास तोमर ने कहा कि 70 परसेंट पानी सिंचाई पर खर्च हो रहा है। 20 परसेंट घरेलू कार्यों और 10 परसेंट इंडस्ट्रियल यूज हो रहा है। उन्होंने बताया कि यह बात सही है कि अधिकांश जगहों पर पानी का लेवल नीचे खिसक रहा है, लेकिन जिन क्षेत्रों में वाटर कंजर्वेशन के काम चलाए जा रहे हैं वहां लेवल अप भी उठ रहा है।

नदियों में हर 10 मीटर पर हों गड्ढे
सोसायटी ऑफ पॉल्यूशन एंड इनवायरमेंटल कंजरवेशन साइंटिस्ट (स्पेक्स) के सचिव डॉ। बृज मोहन शर्मा ने कहा कि वर्षों से दून की प्रमुख रिस्पना और बिंदाल नदी में चुगान बंद कर दिया है, जिससे वाटर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। नदी में जमा भारी सिल्ट बरसात में विनाशकारी साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि नदियों में हर 10 मीटर में गड्ढे होने चाहिए। उन्होंने वाटर कंजर्वेशन के लिए हर घर में काम करने पर जोर दिया।

सरकार नहीं गंभीर
डॉ। बृजमोहन शर्मा ने कहा कि वर्षा जल संरक्षण को सरकार गंभीर नहीं है। 24 हो गई, लेकिन वाटर पॉलिसी नहीं बनी है। हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में बिल्डरों की ओर से निजी ट्यूबवेल खोदे जा रहे रहे हैं इस पर किसी की मॉनिटरिंग नहीं है। जहां-तहां हैंडपंप खोदे जा रहे हैं। कोई पॉलिसी न होने से पानी का दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि पानी की बरबादी रोकने के लिए सरकार को जल्द वाटर पॉलिसी लागू करनी चाहिए।

सरकारी बिल्डिंग्स से हो शुरुआत
हर्षल फाउंडेशन की संयोजिका रमा गोयल ने कहा कि सरकार को वाटर कंजर्वेशन की शुरुआत सरकारी बिल्डिंग्स से शुरू करनी चाहिए। इसके लिए सख्त पॉलिसी बनानी चाहिए। सबसे पहले मंत्री व विधायकों का अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग करना चाहिए। उन्होंने राजस्थान के सहस्रघट मंदिरों में आरडब्ल्यूएच का उदाहरण देते हुए इसे उत्तराखंड में लागू करने की सरकार से मांग की है।

कैंचमेंट एरिया में लगाएं पेड़
महाकाल के दीवाने संस्था के मेंबर गौरव जैन ने कहा कि पानी के स्रोतों के आस-पास वृक्षारोपण जरूरी है। हम जमीन से पानी निकाल रहे हैं, लेकिन उसमें डाल कुछ नहीं रहे हैं। ऐसे ही चलता रहा, तो एक दिन अंडर ग्राउंड वाटर खत्म हो जाएगा। तब जीवन बचाना मुश्किल हो जाएगा।

करोड़ों लीटर पानी की होगी बचत
उत्तराखंड जल संस्थान पेयजल कंज्यूमर्स को आजकल अवेयरनेस प्रोग्राम चला रहा है। संस्थान के कर्मचारी लोगों को बाथरूम में लगे फ्लश बॉक्स में रेत की बॉटल रख पानी की बचत के बारे में जागरूक कर रहा है। जल संस्थान के सहायक अभियंता हिमांशु नौटियाल ने बताया कि इससे एक बार में फ्लश दबाने पर एक लीटर तक पानी की बचत होगी। एक घर में कम से 20 बार भी फ्लश होता है, तो 20 लीटर एक घर में बचत हो रही है। इस तरह करोड़ों लीटर रोजाना पानी बचाया जा सकता है। इसके अलावा लीकेज को भी टोल फ्री नंबर जारी करके तत्काल ठीक कर पानी को बरबाद होने से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

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Posted By: Inextlive