माइक्रोसॉफ्ट कंपनी मंगलवार से विंडोज़ एक्सपी ऑपरेटिंग सिस्टम से अपना सपोर्ट हटाने जा रही है.


इसका मतलब है कि इस ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए यूज़र्स को माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से अब सुरक्षा और बग से बचने के लिए आधिकारिक अपडेट नहीं मिलेगा.कुछ सरकारों ने सपोर्ट को बनाए रखने के लिए कंपनी के साथ अनुबंध को बढ़ाया है ताकि इस ऑपरेटिंग सिस्टम को इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स को सुरक्षा प्रदान की जा सके.सिक्योरिटी कंपनियों का कहना है कि जो भी व्यक्ति इस 13 वर्ष पुराने सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल कर रहा है उसके डेवाइस पर वायरस हमले और ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वालों का ख़तरा बढ़ जाएगा.आंकड़े बताते हैं कि 20 से 25 प्रतिशत यूज़र्स विंडोज़ एक्सपी का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि साल 2001 में विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम लांच होने के बाद इसके तीन बड़े संस्करण पेश किए जा चुके हैं.ख़तराब्रितानी सरकार ने सपोर्ट को बनाए रखने के लिए कंपनी के साथ क़रीब 55 लाख पौंड का क़रार किया है.


इसी तरह पुर्तगाल सरकार ने एक्सपी आधारित 40,000 कम्प्यूटरों पर काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों की मदद के लिए करोड़ों यूरो के क़रार पर दस्तख़त किए.एक सिक्योरिटी फ़र्म कैस्पर्स्की से जुड़े वरिष्ठ विश्लेषणकर्ता डेव एम का कहना है कि जो व्यक्ति विंडोज़ एक्सपी पर काम कर रहा है वो पहले से ही मालवेयर के ख़तरे का सामना कर रहा था.

दुनिया भर में अधिकांश एटीएम विंडोज़ एक्सपी ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही आधारित हैं.साइबर सुरक्षा फ़र्म सिमैंटेक के वरिष्ठ प्रबंधक ओरल कॉक्स ने कहा कि आपराधिक समूहों द्वारा एक्सपी की साइबर हमलों के प्रति उन अतिसंवेदनशील ख़ामियों को इकट्ठा किए जाने की संभावना है जिनके बारे में वे अच्छी तरह जानते हैं. बजाए इसके कि वे मालवेयर के सहारे इसका इस्तेमाल करें जिसे लाखों लोग स्पैम में डाल देते हैं.कॉक्स के अनुसार इन समूहों द्वारा कॉरपोरेट ख़ुफ़ियागीरी और बड़े लक्ष्यों को निशाना बनाए जाने की संभावना है.उन्होंने कहा, ''उन संस्थाओं को ख़ास ध्यान रखने की ज़रूरत होगी, जिनके सामने एक्सपी संस्करण से हटने में काफ़ी दिक्कतें हैं.''उन्होंने कहा कि किसी कॉरपोरेट लक्ष्य पर साइबर हमले के दोहराए जाने की संभावना ज़्यादा है.सुरक्षाकॉक्स के अनुसार, ''एक बार साइबर हमला ऑनलाइन हो जाता है तो यह मालवेयर किट में चला जाता है और फिर यहां से व्यापक पैमाने पर वितरित होता रहता है. अब इसके ख़िलाफ़ कोई सुरक्षा नहीं उपलब्ध होगी.''

आंकड़ों का प्रबंधन करने वाली फ़र्म एक्सवे के प्रवक्ता मार्क ओ' नील के अनुसार, एक्सपी जैसे जटिल प्रोग्राम के अलावा बहुत सारे ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो पहले से ही सिक्योरिटी सपोर्ट से बाहर हो चुके हैं, क्योंकि इनको बनाने वाली कंपनियां या तो बंद हो गईं या उनका अधिग्रहण हो गया.इसके अलावा कई अन्य सॉफ़्टवेयर पुराने प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में बनाए गए, जिससे उनका रखरखाव और अपडेट बेहद ख़र्चीला है.नतीजन ज़्यादातर आईटी डिपार्टमेंट इस तरह के पुराने होते सॉफ़्टवेयर प्रोग्रामों को संवेदनशील मानते हैं और यदि सुरक्षा की ज़रूरत पड़ती है तो वे उसके बाहरी कोड को अपडेट करते हैं.ओ' नील के अनुसार, आप पुराने अप्लीकेशन का बाहरी घेरा बना सकते हैं और यह आपको सुरक्षा मुहैया कराता है.उनका कहना है, ''इस तरह के ख़तरों के लिए कोई सुरक्षा अपडेट नहीं होने की स्थिति में भी कंपनियां बिल्कुल निरीह नहीं बन गई हैं.''

Posted By: Satyendra Kumar Singh