नई दिल्ली (एएनआई)। सुप्रीम कोर्ट की तीन जस्टिस की पीठ द्वारा आज 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा का इंतजार कर रहे चार दोषियों में से एक की याचिका पर सुनवाई हुई। न्यूज एजेंसी एएनआई के ट्वीट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों जस्टिस आर बनुमथी, अशोक भूषण और एसए बोपन्ना की बेंच ने इस मामले में फैसला सुना दिया है।& दोषी की याचिका खारिज हो गई है।

अक्षय का नाम इसमें गलत तरीके से शामिल
वहीं आज इस मामले की सुनवाई के दाैरान अक्षय के वकील डॉक्टर एपी सिंह ने बचाव के लिए कई अलग-अलग दलीलें दी हैं। उन्होंने कोर्ट में कहा कि अक्षय कुमार सिंह का नाम इसमें गलत तरीके से शामिल किया गया। अक्षय बेकसूर है।

राजनीतिक दबाव में दोषी करार दिया गया
बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को मीडिया, पब्लिक और राजनीतिक दबाव में दोषी करार दिया गया है। वकील ने कोर्ट में दलील दी कि फर्जी रिपोर्ट तैयार किए गए।


2017 के फैसले की समीक्षा की मांग की थी
दोषी अक्षय ने उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले की समीक्षा की मांग की थी। अक्षय के वकील ने यह दलील देते हुए क्षमादान की मांगी थी कि दिल्ली में बढ़ते वायु और जल प्रदूषण के चलते वैसे ही उम्र कम हो रही है। इस मामले की सुनवाई कल हो नहीं थी लेकिन चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने मंगलवार को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई करने वाली पीठ से खुद को वापस ले लिया था। इसके बाद अक्षय कुमार सिंह की समीक्षा याचिका को सुनने के लिए जस्टिस आर बनुमथी, अशोक भूषण और एसए बोपन्ना सहित एक नई बेंच का गठन किया था।

अक्षय ने सजा में संशोधन और क्षमा मांगी

अक्षय ने अपने 2017 के फैसले की समीक्षा के लिए अदालत का रुख किया है, जिसमें उन्हें और तीन अन्य को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है। अक्षय ने सजा में संशोधन और क्षमा मांगी है। जस्टिस आर बनुमथी और अशोक भूषण अदालत की उस पीठ का हिस्सा थे जिन्होंने मामले में अन्य तीन दोषियों की समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया और मृत्युदंड को बरकरार रखा। मई 2017 में, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए थे, जिसने सितंबर 2013 में ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें दी गई मृत्युदंड की पुष्टि की थी। इसके बाद अक्षय के अलावा तीन दोषियों ने फैसले की समीक्षा की मांग की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था।

एक दोषी ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की थी
16 दिसंबर, 2012 की रात को एक चलती बस में दिल्ली की 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या करने के मामले में इन्हें फांसी का सामना करना पड़ रहा है। चार दोषियों के अलावा, मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने मामले की सुनवाई के दौरान कथित ताैर पर तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। इस मामले का एक अन्य आरोपी किशोर को किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था। उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था।

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