सैटरडे नाइट के एपिसोड से एविक्शन के बाद गुलाबो ने कहा, ‘औरत-औरत दोस्त होते हैं, दुश्मन नहीं. पर इस शो में तो सभी दुश्मन हैं.’
दो वीक के अंदर ही बिग बॉस का घर वहां की कंटेस्टेंट्स पूजा मिश्रा, शोनाली नाग्रानी, जूही परमार, अमर उपाध्याय और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के लिए लड़ाई का मैदान बन गया है. गुलाबो कहती हैं, ‘वुमेन बिग बॉस के घर में दुश्मन हो सकती हैं पर मेरे घर में, मेरे दिल में वह एक दोस्त हैंं, सपोर्टर्स हैं. पर यहां सब फेम की भूखी हैं.’


गुलाबो अपने पेरेंट्स की सातवीं बेटी हैं और बंजारों की कलबेलिया कम्यूनिटी में पैदा हुई थीं. उन्हें उनके फादर ने जिंदा ही जमीन में दफना दिया था क्योंकि वह एक और बेटी की देखभाल नहीं कर सकते थे. उनकी आंटी ने उन्हें बचाया था. उन्हें लगता है उनकी सिम्प्लीसिटी वहां के स्टुपिड और चेहरे पर चेहरा लगाए कंटेस्टंट्स के बीच में दब कर रह गई. बिग बॉस से आउट होने का रीजन देते हुए वह कहती हैंं, ‘मुझे वहां छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई करने के लिए नहीं बुलाया गया था. मैं यह कर भी नहीं सकती, मैं शो को लड़ाई झगड़े से स्पाइसी नहीं बना सकती. मैंने वहां गॉसिप्स भी नहीं कि और ना पार्टीसिपेंट्स के बीच दो चेहरे बना कर रहती थी. मैं जैसी रियल लाइफ में हंू वैसी ही शो पर थी. आखिरकार मैं एक आर्टिस्ट हंू और मुझे चीजें मैनुप्यूलेट करना या लोगों के पीठ पीछे बातें करना नहीं आता.’


I wanted to stay longer


‘मैं तीन महीने के लिए तीन बॉक्स लेकर गई थी. मुझे लगा था मैं ज्यादा दिन तक वहां रहंूगी पर ऐसा हो न सका. पर यह एक्सपीरियंस काफी अच्छा था, मुझे वहां काफी कुछ देखने और सीखने को मिला. मैैंने स्ट्रांग बनना सीखा है. पहले मैं चाय या कॉफी ज्यादा पीती थी पर अब मैंने इसके बिना भी रहना सीख लिया है, या पहले से कम तो कर ही दी है. मैंने वहां यह भी सीखा कि लोग गेम कैसे खेलते हैं.’
गुलाबो मिलने वाले कैश प्राइज से अपने होमटाउन में एक स्कूल बनाना चाहती थीं. वह कहती हैं, ‘लोग पहले मुझे नाम से जानते थे पर मैं इस शो को क्रेडिट देना चाहती हंू कि उसने मुझे फेस वैल्यू दी. मुझे बुरा लग रहा कि मैं वह अमाउंट नहीं जीत पाई जो मुझे स्कूल बनाने में हेल्प कर सकती थी. मगर स्कूल तो बनेगा ही. मैं एक कलबेलिया स्कूल खोलना चाहती हंू जहां बच्चों को सिर्फ डांस नहीं बल्कि ज्वैलरी बनाने जैसे और भी हैंडवर्क सिखाए जाएंगे.