-एमडीए ने कहा मानचित्र पास करते हैं, भवनों की जांच नहीं

-स्कूली भवनों पर एमडीए ने लगाया के भूकंपरोधी होने पर क्वेश्चन मार्क

Meerut: एक ओर जहां भूकंप पड़ोसी देश में तबाही मचा रहा है, वहीं दूसरी ओर मेरठ के लाखों बच्चे खतरों के साए में बैठकर अपना भविष्य संवार रहे हैं. ऐसा हम नहीं बल्कि एमडीए द्वारा दिए गए आरटीआई का जवाब बोल रहा है. आरटीआई के जवाब में एमडीए ने खुले तौर पर कहा कि वह भवनों के केवल मानचित्र स्वीकृत करता है उनकी जांच नहीं करता. उसको स्कूलों के सुरक्षित भवनों से कोई सरोकार नहीं. एमडीए को तो इस बात की भी जानकारी नहीं है कि शहर में कोई स्कूल भूकंपरोधी मानकों के अनुसार बना भी है या नहीं?

क्या था सवाल

आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने डीएमए, डीपीएस, गार्गी, जेपी, करन, एमपीएस, शांति, कुबेर, व‌र्द्धमान एकेडमी समेत मेरठ शहर के ख्0 प्रमुख स्कूलों की सूची उपलब्ध कराते हुए एमडीए से आरटीआई के तहत पूछा था कि क्या संबंधित स्कूलों के भवनों का निर्माण नेशनल बिल्डिंग कोड ख्00भ् के तहत हुआ है अथवा नहीं?

चौंकाने वाला था जवाब

प्राधिकरण अफसरों द्वारा आरटीआई के इस आवेदन का भूकंप जैसी भयावह प्राकृतिक आपदा पर जो जवाब दिया गया है वह काफी चौंकाने वाला है. अपने जवाब में प्राधिकरण ने स्पष्ट लिखा है कि प्राधिकरण इन संस्थानों के मानचित्र आर्किटेक्ट व स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाणपत्र और अन्य विभागों की एनओसी मिलने पर स्वीकृत करता है. यानी केवल प्रमाणपत्र देखकर ही मानचित्र पास कर दिया जाता है और उसके बाद स्कूल प्रबंधन जैसे चाहे वैसे भवन का निर्माण करे. उसे इसे कोई सरोकार नहीं.

खतरे की जद में शिक्षा का उजियारा

एमडीए की ओर से दिया गया जवाब न केवल कई मायनों में चौंकाने वाला है, बल्कि उसने अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. बताते चलें कि पिछले एक हफ्ते में मेरठ में चार बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप को लेकर प्रशासन ने जहां शहर में अलर्ट जारी कर रखा है, वहीं शहरवासी भी अभी भूकंप के खौफ से उबर नहीं पाए हैं. मोटे तौर पर भी देखा जाए तो शहर में इस समय दस लाख स्टूडेंट्स विभिन्न स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

कहीं स्कूल बंद करने की यही वजह तो नहीं?

पड़ोसी मुल्क में तबाही का मंजर और शहर को लग रहे भूकंप के झटकों को ध्यान में रखते हुए शहर भर के स्कूलों को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था, जबकि जनपद के अन्य सरकार व गैरसरकारी संस्थानों में कोई अवकाश नहीं रखा गया था. ऐसे में शासन और प्रशासन की ओर से घोषित केवल स्कूलों का ही अवकाश इस बात को और अधिक बल देता है कि शासन और प्रशासन को भी यह बखूबी पता है कि शहर के स्कूलों की इमारतें भूकंपरोधी नहीं हैं.

खतरे के साएं में दस लाख छात्र

बोर्ड स्कूल छात्र

सीबीएससी 90 पांच लाख

यूपी फ्फ्भ् ढ़ाई लाख

बेसिक ब्7भ् दो लाख

फाइलों पर होता है नक्शा पास

असल में एमडीए किसी भी इमारत का मानचित्र स्वीकृत करते समय संबंधित विभागों से एनओसी और केवल सर्टीफिकेट देखता है. कागजों के आधार पर नक्शा पास कर दिया जाता है, जबकि मौके पर जाकर यह तक नहीं देखा जाता कि इमारत नक्शे के अनुसार भी बन रही है या नहीं? एमडीए की इसी लापरवाही का परिणाम है कि आज जहां शहर की नब्बे फीसदी इमारतें असुरक्षा की जद में है, वहीं शहर के दस लाख छात्र खतरे की जद में बैठकर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं.

नक्शों की स्वीकृति में मोटा खेल

समस्या के अगर मूल में जाएं तो परिणाम चौंकाने वाले सामने आते हैं. दरअसल, शहर में सुनियोजित विकास का दावा करने वाला एमडीए ही शहर को बेतरतीबी की और धकेल रहा है. मोटे कमीशन के फेर में ऊंची-ऊंची इमारतों के नक्शे चुटकी बजाते ही स्वीकृत कर लिए जाते हैं, जबकि ईमानदारी से अपने मकान का भी नक्शा स्वीकृत कराने में भले आदमी के पसीने छूट जाते हैं. एमडीए में जेई से लेकर उच्च अफसरों तक मानचित्र को लेकर बडी-बड़ी डील की जाती हैं, जिसके चलते तमाम सर्टीफिकेट और एनओसी बिना कुछ करे ही हासिल हो जाती हैं.

स्कूल भवन भूकंपरोधी हैं या नहीं इसकी जांच करने का अधिकार प्राधिकरण के पास नहीं है. मानचित्र स्वीकृति के समय सभी प्रमाणपत्र चेक किए जाते हैं. नक्शे के विरुद्ध निर्माण पर कार्रवाई होती है.

-राजेश कुमार, उपाध्यक्ष एमडीए

नक्शा स्वीकृति से पूर्व हर पहलू पर गौर किया जाता है. संबंधित विभागों से एनओसी ली जाती है. स्ट्रक्चरल डिजायन और बिल्डिंग कोड का पूरा खयाल रखा जाता है.

टीसी गौतम, मुख्य नगर नियोजक एमडीए

स्कूलों की बिल्डिंग काफी पुरानी है. निर्माण के समय ही मानचित्र पास कराए गए होंगे. स्कूली स्तर पर सुरक्षा के सभी इंतजाम किए जाते हैं.

डॉ. रजनी शंखधर आरजी इंटर कॉलेज

स्कूल की इमारत मानचित्र के अनुसार ही बनाई गई होगी. यदि ऐसा होता तो कोई मामला संज्ञान में आता. यदि ऐसा है तो इसकी जांच कराई जाएगी.

मनु भारद्वाज खालसा इंटर

स्कूल की बिल्डिंग मानकों के बिल्कुल अनुरूप हैं. एमडीए की ओर से भी सारी औपचारिकताएं पूर्ण की गई हैं. यदि फिर भी कोई ऐसी बात है तो इसकी जांच कराई जाएगी.

कपिल सूद, जीटीबी