राहुल गाँधी ने आगरा में कहा था कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने उदयोगपतियों को एक रुपए वर्गमीटर की दर से ज़मीन दी है. यह क़ीमत टॉफ़ी की क़ीमत के बराबर ही है.

दूसरी ओर बिहार के हज़ारीबाग़ में नरेंद्र मोदी ने राहुल गाँधी की टिप्पणी पर जबाव देते हुए कहा कि राहुल का दिमाग़ बच्चों जैसा है और इसीलिए वो महंगाई और बेरोज़गारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के बजाए हमेशा टॉफ़ियों और गुब्बारों के बारे में ही सोचते हैं.

बालकमन

मोदी ने कहा, "मुझे उम्मीद थी कि देश के सामने जो मुद्दे हैं उन पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच गंभीर बहस होगी, लेकिन मैं निराश हो गया हूँ. समझ में नहीं आता कि कांग्रेस टॉफ़ियों और गुब्बारे जैसी बचपन की चीज़ों में डूबे बालकमन के नेता को क्यों सामने लाई है."

उन्होंने कहा कि पंद्रह दिनों तक राहुल गाँधी का मन गुब्बारे में उलझा रहा और एक ही खिलौने से खेलकर थक गए और अब किसी बच्चे की तरह वे अब टॉफ़ी की बातें कर रहे हैं.

मोदी ने कहा, "यह बालक मन गुब्बारे और टॉफ़ी से बाहर निकल ही नहीं पा रहा है. उनके लिए टॉफ़ी ही सबकुछ है लेकिन हमारा मिशन विकास के क्षेत्र में देश के लिए नई-नई ट्राफ़ियाँ अर्जित करना है."

'टॉफ़ी-गुब्बारे' में उलझे राहुल-मोदी

टॉफ़ी की क़ीमत पर ज़मीन

आगरा में मंगलवार रात करीब नौ बजे एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि गुजरात सरकार ने किसानों की क़रीब पैंतालिस हज़ार एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण कर उसे उद्योगपतियों को एक रुपए प्रति वर्गमीटर के टॉफ़ी की क़ीमत जितने दाम पर दे दिया.

राहुल गाँधी ने कहा कि इस ज़मीन पर मॉल और दुकाने बनेंगी लेकिन ग़रीबों को रोटी-कपड़ा नहीं मिल पाएगा.

राहुल गाँधी ने कहा, "आप एक रुपए में टॉफ़ी ही ख़रीद सकते हैं लेकिन गुजरात में सरकार ने उद्योगपतियों को एक रुपए वर्गमीटर के हिसाब से ज़मीन दे दी है. इसलिए ही मैंने गुजरात के विकास मॉडल को टॉफ़ी मॉडल की संज्ञा दी है."

उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात का विकास मॉडल किसी हवा भरे गुब्बारे की तरह हैं जो सुई चुभोने पर फट जाएगा.

राहुल ने कहा कि 2004 में इंडिया शाइनिंग का दावा खोखला साबित होने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी गुजरात विकास मॉडल लेकर आई है. यह मॉडल ग़रीबों का रोजगार छीन रहा है जबकि

कांग्रेस सभी ग़रीबों और शोषितों के उत्थान के लिए काम कर रही है.

इससे पहले सोमवार को राहुल गाँधी ने महाराष्ट्र के हिंगोली में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए गुजरात के विकास मॉडल को टॉफ़ी मॉडल की संज्ञा दी थी.

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