कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Sheetala Ashtami 2021: शीतला अष्टमी को 'बसोड़ा' के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी पंचाग के अनुसार चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ माह की अष्टमी को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। आषाढ़ माह की अष्टमी तिथि 2 जुलाई दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। शीतला अष्टमी उत्तर भारतीय राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अधिक लोकप्रिय है। इन राज्यों में यह बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाई जाती है। मान्यता है कि देवी शीतला आमतौर पर एक गर्दभ यानी कि गधे पर बैठती हैं और अपने हाथों में 'कलश' और 'झाड़ू' लेकर चलती हैं। किंवदंतियों का कहना है कि 33 करोड़ देवी-देवता उस 'कलश' में निवास करते हैं जिसे देवी शीतला धारण करती हैं।
शीतला अष्टमी का महत्व
भक्तों का मानना है कि देवी शीतला चेचक, चेचक, खसरा आदि को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को देवी शीतला की पूजा करने से वे कई बीमारियों से दूर हो जाते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर अपने घर की सफाई करने व स्नान के बाद, भक्त देवी शीतला की पूजा करते हैं। देवी शीतला को फल, फूल व विभिन्न प्रकार की मिठाइयां चढ़ाते हैं।
बासी भोजन का सेवन करते
बसोड़ा रिवाज के अनुसार अष्टमी के दिन, देवी शीतला को भी बासी जल व भोजन चढ़ाते हैं। इसके बाद उसे लोगों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। कुछ भक्त इस दिन देवी शीतला का आशीर्वाद लेने के लिए उपवास भी रखते हैं। वहीं अधिकांश परिवार शीतला अष्टमी के दिन खाना पकाने के लिए आग नहीं जलाते हैं। वे एक दिन पहले खाना बनाते हैं और बासी भोजन का सेवन करते हैं।
॥ शीतला माता की आरती ॥
जय शीतला माता,मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानीसब फल की दाता॥
ॐ जय शीतला माता...।
रतन सिंहासन शोभित,श्वेत छत्र भाता।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर डोलावें,जगमग छवि छाता॥
ॐ जय शीतला माता...।
विष्णु सेवत ठाढ़े,सेवें शिव धाता।
वेद पुराण वरणतपार नहीं पाता॥
ॐ जय शीतला माता...।
इन्द्र मृदङ्ग बजावतचन्द्र वीणा हाथा।
सूरज ताल बजावैनारद मुनि गाता॥
ॐ जय शीतला माता...।
घण्टा शङ्ख शहनाईबाजै मन भाता।
करै भक्त जन आरतीलखि लखि हर्षाता॥
ॐ जय शीतला माता...।
ब्रह्म रूप वरदानीतुही तीन काल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देतीमातु पिता भ्राता॥
ॐ जय शीतला माता...।
जो जन ध्यान लगावेप्रेम शक्ति पाता।
सकल मनोरथ पावेभवनिधि तर जाता॥
ॐ जय शीतला माता...।
रोगों से जो पीड़ित कोईशरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल कायाअन्ध नेत्र पाता॥
ॐ जय शीतला माता...।
बांझ पुत्र को पावेदारिद्र कट जाता।
ताको भजै जो नाहींसिर धुनि पछताता॥
ॐ जय शीतला माता...।
शीतल करती जन कीतू ही है जग त्राता।
उत्पत्ति बाला बिनाशनतू सब की माता॥
ॐ जय शीतला माता...।
दास नारायणकर जोरी माता।
भक्ति आपनी दीजैऔर न कुछ माता॥
ॐ जय शीतला माता...।