-जीर्णोद्धार के बाद भी शहर के दर्जनों तालाब की हालत दयनीय

-पुष्कर सहित संकुलधारा और कंदवा तालाब सुंदरीकरण के बाद भी बदहाल

स्मार्ट सिटी बनारस के तालाबों को जितनी तेजी से स्मार्ट बनाने का काम शुरू हुआ था, उतनी ही तेजी से इसकी बदहाली भी नजर आ रही है। जी हां यकीन न हो तो खुद जाकर देख लीजिए। हर तरफ बदहाली ही नजर आएगी। स्मार्ट सिटी योजना और हृदय योजना के तहत शहर के प्रमुख तालाबों को स्मार्ट बनाने के लिए उसके सुंदरीकरण का काम कराया गया था। लेकिन आज इन तालाबों की हालत फिर से पहले जैसी हो गई है। सीधे तौर पर कहें तो अधिकारियों और जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते तालाब का पैसा पानी में बह गया। दर्जनों तालाब अपनी हालत पर आंसू बहा रहे हैं।

छह करोड़ बह गए पानी में

स्मार्ट सिटी योजना के तहत दुर्गाकुंड, सोनिया तालाब, शिवपुर तालाब, शंकुलधारा आदि तालाबों को खूबसूरत बनाने के लिए करीब दो करोड़ रूपए खर्च किए गए, जबकि अस्सी स्थित पुष्कर तालाब की सूरत बदलने को 4.5 करोड़ दिया गया। इस तालाब के जीर्णोद्धार पर तीन करोड़ खर्च तो कर दिया गया। लेकिन इसकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ। हालत ये है कि आज इस कुंड में पानी के ऊपर जलकुंभी की भरमार है। किनारों पर बन रही आधी अधूरी सीढि़यां भी टूटने लगी है।

शंकुलधारा तालाब भी संकट में

पिछले साल सीएम योगी के आदेश पर संकुलधारा तालाब का कायाकल्प किया गया था। यहां महंगे पत्थर और लाइटिंग से तालाब को नया स्वरुप दिया गया था। लेकिन आज ये बेहद गंदा हो चुका है। यही हाल कंदावा पोखरे का भी है। पिछले साल इस पोखरे के सुंदरीकरण के लिए एक संस्था की मदद से करीब 30 लाख रूपए खर्च कर इसका जीर्णोद्धार कराने का काम शुरू हुआ था। लेकिन आधे-अधूरे काम की वजह से इसकी हालत भी पहले जैसी हो गई।

अवैध कब्जा भी है वजह

कहने को जल संरक्षित करने के लिए शहर में कई तालाब और पोखरे हैं। उसे संरक्षित करने के लिए शासन प्रशासन की ओर से कई अभियान भी चलाए गए। फिर भी वे अपने अस्तित्व में नहीं आ पा रहे। इसकी मुख्य वजह तालाबों पर अतिक्रमण का होना है। हर साल तालाबों का क्षेत्रफल सिमटता जा रहा है। हालत ये है कि कोर्ट, शासन, प्रशासन के आदेश के बाद भी अवैध कब्जे खाली नहंी हो रहे। कई बार प्रशासनिक टीम मौके पर जाकर लौट आई। इसके बाद अफसरों ने इस मामले में दिलचस्पी लेनी ही बंद कर दी।

तालाबों की दिखेगी आकर्षक छटा

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के पितृ कुंड व मातृ कुंड का सुंदरीकरण होना है। इसमें वाटर ट्रीटमेंट, फौव्वारा, लाइटिंग, ग्रिल व सीढ़ी निर्माण होगा। इसके अलावा इससे पहले दुर्गाकुंड, लाट भैरव कुंड, लक्ष्मी कुंड का सुंदरीकरण किया जा चुका है।

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एक नजर

136

तालाब हैं शहरी एरिया में

87

तालाब निगम के रिकार्ड में हैं दर्ज

63

तालाबों की कमिश्नर लेवल पर की जाती है मॉनीटरिंग

32

के करीब तालाबों पर अभी भी अतिक्रमण

तालाबों के जीर्णोद्धार का काम कई विभाग कर रहे हैं। इसमें कुछ तालाबों की जिम्मेदारी वीडीए को भी मिली है। जहां की स्थिति खराब हो रही है इसकी जांच होगी। रही बात तालाबों पर अवैध कब्जे की तो इसकी निगरानी तेज की जाएगी।

अजय कुमार, अपर नगर आयुक्त