-अधूरे मानकों की बुनियाद पर टिकी नब्बे फीसद इमारतें

-एमडीए ने अभी तक जारी किए दस फीसद कंपलीशन सर्टीफिकेट

-मानचित्र की आड़ में उड़ा जाती है नियम कायदों की धज्जियां

Meerut: महानगर को लगातार लग रहे भूकंप के झटकों ने जहां शहरवासियों की नींद छीन ली है, वहीं नेपाल समेत देश के कुछ अन्य हिस्सों में हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। यहां खतरे वाली बात भूकंप के झटके नहीं, बल्कि कच्ची बुनियादों पर टिकी वो इमारतें हैं जो शायद ही भूकंप के झटकों को बर्दाश्त कर पाएं। इससे भी अधिक हैरत में डालने वाली बात यह है कि शहर में 90 फीसद इमारतें अधूरे मानकों की कच्ची बुनियाद पर खड़ी हैं, जो शायद भूकंप का एक भी झटका बर्दाश्त न कर पाए।

मानकों से खिलवाड़

शहर में किसी भी इमारत को खड़ा करने से पहले उसका नक्शा मेरठ विकास प्राधिकरण से स्वीकृत कराना पड़ता है। इसके लिए एमडीए की ओर से तमाम शर्तो के साथ भूकंप विरोधी स्ट्रक्चर स्थापित करने की शर्त भी शामिल होती है। निर्माणकर्ता वक्त और पैसा बचाने के फेर में कागजों का पेट भर किसी तरह से एमडीए से नक्शा तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन उसके अनुरूप निर्माण नहीं किया जाता। एक ओर जहां बिल्डर एमडीए की शर्तो को धता बताकर उल्टा सीधा निर्माण कराता है। वहीं घटिया सामग्री का इस्तेमाल का सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ भी करता है।

मानचित्र की आड़ में खेल

एमडीए से मानचित्र मिलना मानों बिल्डर को खुला खेल करने का प्रमाण पत्र मिल जाता है। इस नक्शे की आड़ में बिल्डर न केवल फायर सुरक्षा, भूकंप सुरक्षा व वाटर हार्वेस्टिंग जैसे मानकों की खिल्ली उड़ाता है। वहीं दूसरी और मानचित्र से अधिक या उसके बिल्कुल उलट अवैध निर्माण कर एमडीए के मोटे राजस्व का नुकसान भी करता है। उधर, मानचित्र होने की स्थिति में न तो कोई उसकी शिकायत कर पाता है और न ही एमडीए कोई कार्रवाई कर पाता है।

दस फीसद कंपलीशन सर्टीफिकेट

ताज्जुब की बात यह है कि शहर की नब्बे फीसद इमारतों को अभी तक एमडीए से कंपलीशन सर्टीफिकेट नहीं मिल पाया है। ऐसा हम एमडीए का रिकॉर्ड बोल रहा है। एमडीए के मुताबिक नक्शा स्वीकृत करने के बाद केवल दस फीसद यहां से केवल दस फीसद इमारतों के ही कंपलीशन सर्टीफिकेट जारी किए गए हैं।

यहां भी बड़ा खेल

कंपलीशन सर्टीफिकेट जारी न करने के पीछे भी एमडीए का बड़ा खेल छिपा है। दरअसल, अधिकतर मामलों में बिल्डर स्वीकृत नक्शे के विपरीत निर्माण करता है। उधर, कंपलीशन सर्टीफिकेट की कार्रवाई से पूर्व एमडीए को मौके का निरीक्षण कर नक्शे के मुताबिक निर्माण के लिए परखना होता है। ऐसे में बिल्डर के फंसने के अधिक चांस रहते हैं। इससे बचने के लिए बिल्डर एमडीए अफसरों की जेब भर न केवल उनको निरीक्षण के लिए रोकता है, बल्कि कंपलीशन सर्टीफिकेट भी नहीं प्राप्त करता।

नेशनल बिल्डिंग कोड से सेफ्टी

भवन निर्माण तकनीक के एक्सपर्ट आर्किटेक्ट आदित्य बताते हैं कि जब भी कोई हाईराइज बिल्डिंग तैयार होती है तो उसकी लंबाई के मुताबिक बेस के लिए नींव में कंक्रीट का प्लेटफार्म तैयार किया जाता है। यह हाईट के अनुसार ही लंबा और चौड़ा होता है। ऐसी बिल्डिंगों में नेशनल बिल्डिंग कोड का ध्यान रखा जाता है। नक्शा जितने भी फ्लोर के हिसाब से पास हुआ हो, बिल्डिंग भी उससे ज्यादा की फ्लोर का नहीं होनी चाहिए। यदि कोई बिल्डर रिवाइच्ड नक्शा पास कराना चाहता है तो उसे बुकिंग कराने वाले इन्वेस्टरों से एनओसी लेनी होती है।

भूकंप रोधी टेक्नोलॉजी

एमडीए के पूर्व चीफ टाउन प्लानर यशपाल सिंह का कहना है कि कोई भी हाईराइज बिल्डिंग बनाते वक्त मिट्टी की टेस्टिंग और पानी की कंडिशन देखी जाती है। जापान में अब कोई हाईराइज बिल्डिंग नहीं गिरती, जबकि वहां खूब भूकंप खूब आते हैं। यही वजह है कि हाईराइज बिल्डिंग ज्यादा सेफ हैं।

सेफ्टी और मजबूत स्ट्रक्चर

अंसल हाउसिंग के मार्केटिंग मैनेजर सुनील तनेजा का कहना है कि सभी हाईराइज बिल्डिंगों को भूकंपरोधी बनाना जरूरी है। इस तरह की बिल्डिंग बनाने के लिए फाउंडेशन को मजबूत करने की दिशा में सबसे अहम काम किया जाता है। मिट्टी की टेस्टिंग के बाद पाइलिंग की जाती है। फाउंडेशन का बेस मजबूत करने के बाद इसे फ्रेम स्ट्रक्चर में बनाकर बिल्डिंग का निर्माण किया जाता है। इसमें अब जम्प फोम और माईवान (मलेशियन टेक्नालाजी) का इस्तेमाल किया जाता है। अब स्लैब और दीवार को एक साथ मिलाकर शेयर वॉल बनाई जाती है।

हवा हवाई भूकंपरोधी दावें

शहर में तेजी से बढ़ते ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स के बीच शनिवार को आए भूकंप के झटकों ने इनकी सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं पैदा कर दी हैं। एमडीए और आवास विकास परिषद अपनी हाई राइज बिल्डिंगों में भूकंपरोधी तकनीक के इस्तेमाल का दावा तो करता है, लेकिन मानकों का पालन हो रहा है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग का कोई तंत्र नहीं है। आवास बंधु के पास एमडीए, आवास विकास परिषद या शहर के दूसरे निजी डिवेलपरों द्वारा बनाई जा रही ग्रुप हाउसिंग में भूकंपरोधी तकनीक के इस्तेमाल का ब्योरा नहीं है। सबसे ज्यादा चिंता निजी डिवेलपर और बिल्डरों द्वारा बनाई जा रही बहुमंजिला इमारतों को लेकर है। शनिवार को आए भूकंप के झटकों से सबसे ज्यादा चिंता अपार्टमेंट में रहने वाले परिवार के लोगों के चेहरों पर दिखी।

इस तरह करवाएं मकान की जांच :

मौके पर जाकर जरूर देखें

क्। अंडरकंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में फ्लैट बुक कराया है तो साइट विजिट जरूर करें।

ख्। वहां मौजूद एक्सपर्ट/प्रॉजेक्ट इंचार्ज से मटीरियल की जानकारी लें।

प्लास्टर टेस्ट :

क्। एक कील या गाड़ी की चाबी लें, इसे दीवार पर हाथ से गाड़ने की कोशिश करें।

ख्। कील दीवार में धंसती है और रेत झड़ता है तो साफ है कि खराब मटीरियल लगाया गया है।

बिल्डिंग मटीरियल :

किसी प्रफेशनल एजेंसी से भी बिल्डिंग मटीरियल की टेस्टिंग कराई जा सकती है। एजेंसियां पूरी बिल्डिंग या किसी हिस्से के मटीरियल की टेस्टिंग कर क्0-क्भ् दिन में रिपोर्ट दे देंगी।