पिछले छह वर्षों की अगर बात करें, तो ऐसे क्या चेजेंज हैं जो आपने अपने आसपास के माहौल में ऑब्जर्व किए हैं?Changing society

उमंग-मुझे लगता है कि लड़कियों को लेकर लोगों की सोच बदली है और इसमें बदलाव जारी है. आज से छह साल पहले मैं सिर्फ 15 साल की थी और मुझे याद है कि उस समय लड़कियों के लिए हर जगह के माहौल को इनसिक्योर माना जाता था. कई फैमिलीज में तो उन्हें जॉब करने से भी रोका जाता था. आज मेरा मानना है कि इस सोच में ज्यादा नहीं तो 35 परसेंट तक का चेंज आया है. अब लड़कियों को अपने डिसीजन लेने की आजादी ज्यादा है, उनकी बात को सुना जाता है और उसे तवज्जो दी जाने लगी है. अथॉरिटीज की सोच भी थोड़ी बदली है. अब लड़कियों को सिर्फ ‘सेक्स सिंबल’ या फिजिकल नीड पूरी करने का जरिया नहीं माना जाता है.

क्या आप मानती हैं कि पहले जिन इश्यूज पर बात करने से लोग कतराते थे, उन्हें लेकर उनके व्यूज ज्यादा ब्रॉड माइंडेड हो गए हैं?

उमंग-बिल्कुल और इसका पता आपको आसपास रोजमर्रा की जिंदगी में दाखिल होने वाले नए ट्रेंड्स से लग जाएगा. दिल्ली में यूपी, बिहार या फिर झारखंड जैसी जगहों से हजारों यंगस्टर्स आते हैं. जब हम इनसे बात करते हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि दिल्ली में आने के बाद इनकी सोच में खुलापन आया है. वो लिव-इन रिलेशंस पर खुलकर बात करते हैं, प्री-मैरिटल सेक्स को लेकर उनकी राय भी मेट्रो में रहने वाले लोगों की तरह होती है और ड्रेसिंग सेंस भी बड़े शहरों जैसा ही होता है. चेंज तो आ ही रहा है लेकिन डर है कि इस चेंज के लिए बाउंड्रीज सेट न कर दी जाए.

Umang Sabharwalआप एक डिफेंस बैकग्राउंड से आती हैं, कभी लगता है कि अगर सारी चीजें डिसिप्लिन में हों तो देश का सिस्टम काफी इजी गोइंग हो जाएगा?

उमंग-डिसिप्लिन और रुटीन तो किसी की सक्सेस की सबसे बड़ी निशानी होते हैं. बिना डिसिप्लिन के आप कोई काम नहीं कर सकते हैं. मेरा मानना है कि अभी हमारे लीगल सिस्टम, एडमिनिस्ट्रेशन और अथॉरिटीज को डिसिप्लिन की सख्त जरूरत है. सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करने से कुछ नहीं होगा बल्कि हमें खुद आगे आना होगा और एक रिस्पांसिबिल सिटीजन का रोल अदा करना पड़ेगा.

छह साल बाद आप सोसायटी को किस पोजीशन पर देखना चाहती हैं?

उमंग-जो चेंजेज आए हैं उस पर खुश होकर बैठ नहीं जाना चाहिए बल्कि सोसायटी में मौजूद प्रॉब्लम्स को दूर करने की कोशिशें करनी चाहिए. फीमेल फिटीसाइड, रेप, डाउरी, सेक्सुअल हैरसमेंट और ऐसी कई बातें मुझे काफी डिसअप्वाइंट करती हैं. अब भी काफी कुछ करना बाकी है. सीनियर सिटीजन चैन से रह सकें, लड़कियां किसी भी तरह की ड्रेस पहन कर बिना किसी डर के कहीं आ जा सकें, दहेज का डर दूर हो जाए और करप्शन खत्म हो, छह साल बाद मैं इसी सेफ और सिक्योर एटमॉसफियर को इमैजिन कर रही हूं.

Umang Sabharwal

Organiser, Slutwalk, India

She is the girl who represents the new face of Indian society. She is fearless and is open to talk tough. Testimonial of her boldness and go getter attitude is Slutwalk that she organised in India to protest the so called dressing code for girls.

Content: Vishesh shukla

Interview: Recha Bajpai

Design: Mohd. Amin Ullah Khan