आगरा। आज अधिकतर लोग नेट यूज करते हैं। युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, लेकिन आपकी इस वेब सर्फिंग पर कोई नजर रख रहा है। वेब पर आपकी हर मूवमेंट को साइबर शातिर ट्रेस कर रहे हैं। यहां की गई एक छोटी सी लापरवाही का शातिर फायदा उठा लेते हैं। आपकी प्रोफाइल में सेंध लगाकर आपके दोस्तों की जानकारी चुरा लेते हैं। ऐसे ही दो मामले प्रकाश में आए हैं, जिसमें कारोबारी स्पूफिंग के शिकार हो गए।

फेसबुक आईडी हैक कर दोस्तों से ऐंठे रुपये

थाना ताजगंज में एक कारोबारी फेसबुक पर अधिक एक्टिव रहते हैं। साथ ही ऑनलाइन गेम भी खेलते थे। हैकर्स ने इस बात का फायदा उठाया। उनके फेसबुक पर एक पूल गेम का लिंक भेज दिया। कारोबारी ने तुरंत लिंक पर क्लिक कर गेम डाउनलोड कर लिया। इससे कम्प्यूटर में वायरस आ गया.र फेसबुक अकाउंट की इमेज फाइल बन कर साइबर के शातिर के पास चली गई। अकाउंट की सारी इंफॉर्मेशन शातिर के पास पहुंच गई। कारोबारी की फ्रेंड लिस्ट से दोस्तों के मोबाइल नंबर ले लिए। वह दोस्तों से कारोबारी बन कर रुपया मंगवाने लगा। साइबर शातिर ने कई दोस्तों को मैसेज भेज व कुछेक को कॉल कर कहा कि वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। उसके अकाउंट में दो हजार रुपये जमा करा दें। कई ने रुपये जमा करा दिए। शातिर ने फिर से मैसेज किया, तो एक दोस्त ने कॉल कर सीधे पूछ लिया कि क्या परेशानी आ गई। इस पर कारोबारी चौंक गया। रुपये की बात सामने आई, तो उसका सिर चकरा गया। चूंकि फेसबुक तो वही चला रहा था। इस मामले की शिकायत साइबर सेल में गई। टीम मामले की छानबीन कर रही है।

बीमारी का बहाना बना जमा कराए रुपये

हरीपर्वत क्षेत्र में रहने वाले कारोबारी के साथ भी यहीं हुआ। साइबर शातिर ने सोशल मीडिया पर एक लिंक भेजा। उसने जैसे ही क्लिक किया, उसके कुछ घंटे बाद ही दोस्तों को मैसेज जाने शुरू हो गए। शातिर ने बीमार और रुपयों की कमी का बहाना लगाकर दोस्तों से रुपया जमा करा लिया। जब एक दोस्त ने संपर्क कर जानकारी मांगी तो भेद खुला। साइबर शातिर जब भी रुपया मंगाता तो एक अकाउंट नंबर भेजता था। उसमें दोस्त रुपया जमा कराते थे। साइबर की टीम ने जब जांच की तो अकाउंट नंबर दिल्ली और झारखंड के निकले। टीम ने दोनों के फेसबुक अकाउंट ब्लॉक किए। साथ ही बैंक अकाउंट को ब्लॉक करने के लिए बैंक से संपर्क किया है।

कैसे होती है स्पूफिंग

दोनों ही मामलों में साइबर शातिरों ने स्पूफिंग का इस्तेमाल किया। इसके लिए हैकर्स इंटरनेट यूजर्स को इस तरह से चकमा देते हैं कि वह पहचान ही नहीं पाते कि उनके साथ क्या हो रहा है। हैकर्स एक जैसे ईमेल से लिंक भेजते हैं। देखने में लगता है कि असली ईमेल है। एकदम से देखने में आप एड्रेस को पहचान नहीं सकते। लेकिन जब आप गौर से देखेंगे तो उस एड्रेस में एक स्पेलिंग का अंतर होगा, जिसे लोग नहीं समझ पाते।