AGRA : शासन स्तर से आम लोगों को राहत देने के लिए शुरू किया गया तहसील दिवस, अब फरियादियों को सबसे ज्यादा दर्द दे रहा है। यहां फरियादियों की समस्या का निस्तारण करना तो छोडि़ए, आला अधिकारी दिवस में पहुंचना भी मुनासिब नहीं समझ रहे। मंगलवार को सदर तहसील में कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई, जब तहसील दिवस में अधिकारियों की कुर्सी खाली पड़ी थी और फरियादी मायूसी के साथ लौट रहे थे।

महीने में दो बार आयोजन

महीने के पहले और तीसरे मंगलवार को तहसील दिवस का आयोजन किया जाता है। शासन के सख्त निर्देश हैं कि सभी विभागों के अधिकारी इसमें मौजूद रहें, लेकिन अधिकारी निर्देशों को ठेंगा दिखा रहे हैं। इसी की बानगी सदर तहसील में देखने को मिली, जहां सिर्फ फरियादी ही नजर आए, तहसील दिवस के लिए नामित किए गए पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों का कोई अता-पता नहीं था। इधर, फरियादी दिनभर उनकी राह देखते रहे।

नहीं पहुंचे ये अधिकारी

सदर तहसील दिवस की अध्यक्षता एडीएम सिटी राजेश श्रीवास्तव को करनी थी, लेकिन वे नहीं पहुंचे। इसके अलावा तहसील दिवस में एसडीएम ए दिनेश कुमार, तहसीलदार, नायब तहसील भी मौजूद नहीं रहे। तहसीलदार के बारे में बताया गया कि वे इलाहाबाद गए हुए हैं। ऐसे में अनुमान लगाना मुश्किल नहीं हैं कि जिम्मेदार अधिकारी तहसील दिवस को लेकर कितने गंभीर हैं।

गुहार लगाएं भी तो किससे!

धनौली की नेमवती ने बताया कि पति की मौत हो चुकी है। शासन से आर्थिक लाभ पाने के लिए वह आठवीं बार आई हैं, बस अधिकारी के दस्तखत होने हैं। बताया है कि दो बजे तहसीलदार आएंगे। वहीं, खाल-खलौआ से आए कालीचरन का कहना था कि सुबह से बैठे हैं, अभी तो कोई आया नहीं है। फरियादी रामहेत, सुशील, पप्पू, हरीकांत ने बताया कि कोई अधिकारी बैठा ही नहीं है, समस्या के निस्तारण के लिए गुहार लगाएं भी तो किससे।

'मैं तो पहले ही निकल आया था'

तहसील दिवस में प्राप्त शिकायती आवेदन के बारे में जानकारी के लिए एसडीएम किरावली अजित सिंह से बात की गई, तो उनका जवाब था कि मैं पहले ही निकल आया था, आप तहसीलदार से जानकारी ले लीजिए। तहसीलदार इन्द्र नंदन सिंह से बात की गई तो उनका जवाब था कि अभी पता करता हूं। इसके बाद फोन कट गया। अधिकारियों के जवाब तहसील दिवस को लेकर उनकी गंभीरता साफ व्यक्त कर रहे हैं।