- सदन की बैठक में निगम प्रशासन ने स्ट्रीट लाइट पर दी दलील

- नई लाइट फिटिंग खरीदने की है मनाही, पुरानी नहीं हो रहीं रिपेयर

आगरा। शहर में नई स्ट्रीट लाइट लगाना तो दूर, पुरानी की मरम्मत भी 100 प्रतिशत नहीं हो सकती। ये नगर निगम सदन की बैठक में शनिवार को स्पष्ट कर दिया गया। आयुक्त ने शासन का आदेश का हवाला देते हुए फिलहाल नई स्ट्रीट लाइट लगाने पर हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में अभी अंधेरे में ही स्मार्ट सिटी बनाएंगे।

81 प्रस्ताव पटल पर रखे

नगर निगम में सदन की बैठक हुई। इसमें 81 प्रस्तावों को पटल में रखा गया। इस बीच त्योहारों में भी बंद स्ट्रीट लाइटों पर पार्षदों ने जमकर नाराजगी जाहिर की और हंगामा किया। पार्षदों का आरोप था कि नई स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई जा रही हैं। अगर 25 लाइटें खराब हैं, तो महज पांच की ही मरम्मत की जा रही है। ऐसे में अंधेरे की समस्या वैसी ही बरकरार है। नगर निगम आयुक्त इंद्र विक्रम सिंह ने जवाब में बताया कि शासन का आदेश है कि नई फिटिंग लाइटें नहीं खरीदी जाएंगी। नगर निगम व्यवस्था को बनाने के लिए बंद लाइटों को सुधारने के नाम पर लाइटें, वायर, चोक सहित अन्य सामानों की खरीदारी करता है। इस वजह से नई लाइटों पर रोक और मरम्मत की संख्या में कमी आ रही है। इस पर पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। आदेश के प्रस्ताव को सदन से बदलने का सुझाव भी दिया। लेकिन ये आवाज हंगामे में ही दबकर रह गई। सदन की बैठक दोपहर 1.30 बजे शुरू हुई, जो शाम पांच बजे तक चली।

अब लगानी हैं एलईडी

स्ट्रीट लाइटों को एलईडी से बदलना है। इसका आदेश शासन से आ चुका है। नगरायुक्त ने एलईडी लगाने के लिए टेंडर जारी होने की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि हम मरम्मत में ही अधिकांश राशि खर्च कर देते हैं। इस कारण नई लाइटें नहीं लग पाती हैं।

सब इंजीनियर पर फूटा गुस्सा

सदन की बैठक में निर्माण कार्यो में बरती जा रही अनियमितता, लापरवाही पर एक सब इंजीनियर विजेता श्रीवास्तव को घेरा गया। पार्षद संदीप उपाध्याय ने मुद्दा उठाया कि पिछले सदन पर इंजीनियर के कामकाज को लेकर चर्चा हुई थी। एक जांच भी चल रही थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले पर पूरे सदन ने समर्थन किया, तो एसई श्रीवास्तव को दो पार्षदों के वार्डो से हटा दिया गया। उन्हें कार्यालय में अटैच करने की भी बात कही जा रही है।

फिर नहीं पहुंची जलकल की जीएम

ये सदन प्रमुख रूप से जलकल विभाग के कामकाज को लेकर बुलाया गया था, लेकिन इसमें जलकल की जीएम मंजूरानी गुप्ता ही नहीं पहुंची। उन्होंने वायरल का कराण बताते हुए प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर पार्षदों ने महापौर के संरक्षण का भी आरोप लगाया। ये विषय बहस और हंगामे के बीच खत्म हो गया। जीएम की अनुपस्थित में निर्णय नहीं हो सका।