प्रयागराज (ब्‍यूरो)। अगर आप गुड लुकिंग स्मार्ट दिखना चाहते हैं तो जाहिर है कि आपके ड्रेस की क्वालिटी हाईफाई होनी चाहिए। अब उत्तर प्रदेश सरकार भी चाहती है कि पुलिस चुस्त दुरुस्त स्मार्ट दिखे। मगर चुस्त दुरुस्त दिखने के लिए दिए जाने वाले भत्ते के बारे में जानकर सभी को हैरानी होगी। जी हां, पुलिस वालों को जितना वर्दी भत्ता मिलता है, उतने में तो सिलाई भी नहीं दी जा सकती है, मगर मसला सरकार का है, डिपार्टमेंट का है। ऐसे में कोई भी पुलिस वाला कुछ बोलने से कतराता है। नतीजा पुलिस वालों को अपनी वर्दी सिलाने के लिए जेब से रकम खर्च करनी पड़ती है। चूंकि मामला अनुशासन से जुड़ा है, ऐसे में कोई विरोध भी नहीं है। पर पुलिस वालों को भी लगता है कि वर्दी भत्ता बढऩा चाहिए। खैर, सरकार इतने कम से अच्छा है कि ये भत्ता ही बंद दीजिए।

पांच साल से नहीं बढ़ा भत्ता
मौजूदा समय में सिपाहियों को वर्दी भत्ता तीन हजार रुपया साल में मिलता है। अब बताइए, तीन हजार में साल भर की वर्दी कैसे बन सकती है। जबकि एक वर्दी सिलवाने का खर्च ही एक हजार रुपये कम से कम है। वरना वर्दी सिलने वाले टेलर 12 से पंद्रह सौ रुपये तक सिलाई लेते हैं। ऐसे में दो वर्दी की सिलाई ही दो से ढाई हजार रुपये हो जाती है। जबकि कपड़ा सहित वर्दी सिलवाई जाए तो एक वर्दी दो से ढाई हजार रुपये के बीच बनती है। जबकि एक सिपाही साल भर में चार वर्दी बनवाता है। गर्मी के लिए दो वर्दी और सर्दी के लिए दो वर्दी। दरअसल, लगातार वर्दी के इस्तेमाल से उसकी क्वालिटी ज्यादा समय तक मेनटेन नहीं रह पाती है। ऐसे में सिपाहियों को सर्दी और गर्मी के हिसाब से कम से कम चार वर्दी सिलवानी ही पड़ती है। सिपाहियों का वर्दी भत्ता जनवरी 2018 में बढ़ाकर तीन हजार रुपये किया गया। इसके पहले 2250 रुपये मिलता था।

सात साल से नहीं बढ़ा भत्ता
अब करते हैं, दारोगा और इंस्पेक्टर की। दारोगा और इंस्पेक्टर को वर्दी भत्ता साढ़े सात हजार रुपये मिलता है। वो भी पांच साल में एक बार। जबकि दारोगा और इंस्पेक्टर की एक वर्दी कम से कम तीन हजार रुपये में तैयार होती है। इसके बारे में टेलर बताते हैं कि दारोगा और इंस्पेक्टर के वर्दी का कपड़ा हजार रुपये मीटर से कम का नहीं होता है। पैंट शर्ट में कम से कम तीन मीटर कपड़ा लगता है। और सिलाई हजार से बारह सौ होती है। यानि एक वर्दी जिसमें केवल पैंट शर्ट ही चार हजार के करीब हो जाती है। दारोगा और इंस्पेक्टर भी साल भर में चार वर्दी सिलवाते हैं, दो सर्दी की, दो गर्मी की। अब अंदाजा लगाइए दारोगा और इंस्पेक्टर की साल भर की वर्दी का खर्च ही 16 हजार रुपये है, जबकि वर्दी भत्ता साढ़े सात हजार रुपये मिलता है वो भी पांच साल में। दारोगा, इंस्पेक्टर का वर्दी भत्ता 3 अगस्त 2016 को बढ़ाकर साढ़े सात हजार रुपये किया गया। इसके पहले वर्दी भत्ता पांच हजार रुपये मिलता था।

सिपाही की एक वर्दी का खर्च
2 हजार रुपये का एक सेट पैंट शर्ट।
1 हजार रुपये का जूता।
300 रुपये की टोपी।
250 रुपये की बेल्ट

दारोगा, इंस्पेक्टर की एक वर्दी का खर्च
4 हजार रुपये का एक पैंट शर्ट।
2 हजार रुपये का जूता।
1 हजार रुपये की टोपी।
250 रुपये की बेल्ट

सब नहीं सिल पाते वर्दी

ये भी चौंकाने वाली बात है। सामान्य टेलर वर्दी नहीं सिल पाते हैं। वर्दी सिलने वाले टेलर स्पेशल होते हैं। जो केवल वर्दी सिलने का ही काम करते हैं। करीब दस साल से वर्दी सिल रहे इंडियन पुलिस यूनिफार्म के टेलर नसीम अहमद की दुकान पुलिस लाइन गेट नंबर नौ के सामने है। नसीम ने बताया कि पुलिस वर्दी की फिटिंग सब नहीं दे पाते हैं। नसीम ने बताया कि उनके यहां सबसे कम एक हजार रुपये सिलाई लगती है, जबकि अन्य टेलर की सिपाई काफी महंगी है।