सरकार की अर्जी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचियों से मांगा जवाब, सुनवाई 17 को

अवैध खनन की जांच सीबीआई से न कराने की मांग लेकर पहुंची उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने करारा झटका दिया है। कोर्ट ने सरकार को राहत देने से इंकार करते हुए जांच सीबीआइ के सौंपने के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने सीबीआइ जांच के आदेश को स्थगित रखने की मांग में दाखिल राज्य सरकार की अर्जी पर याचियों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सीबीआइ अपनी रिपोर्ट 8 सितंबर को कोर्ट में पेश करेगी। सरकार की अर्जी की सुनवाई 17 अगस्त को होगी।

राजनीति से प्रेरित याचिकाओं का हवाला

यह आदेश चीफ जस्टिस डीवी भोसले तथा जस्टिस यशवन्त वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह का कहना था कि याचिकाएं राजनीति प्रेरित है, कुछ याचियों के खनन पट्टे का नवीनीकरण नहीं होने पर उन्होंने जनहित याचिका दाखिल की। जिस याचिका पर आदेश हुआ उसमें सीबीआइ जांच की मांग नहीं की गयी है। राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले में टीम बना दी है जो अवैध खनन की निगरानी कर रही है। सीबीआइ अधिकारियों को परेशान करेगी। याचिकाओं को अंतिम रूप से निर्णित होने तक सीबीआइ जांच रोकी जाए।

अवैध खनन दुर्भाग्यपूर्ण

कोर्ट ने टिप्पणी की कि अवैध खनन होना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह उत्तर प्रदेश ही नहीं अन्य राज्यों में भी हो रहा है। सीबीआइ से कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है। कार्यवाही का अधिकार नहीं दिया है। यदि अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट आती है तो इससे सरकार को चिंतित नहीं होना चाहिए। यह रिपोर्ट सरकार के खिलाफ नहीं होगी। वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी सिंह शेखर का कहना था कि सिंडीकेट है, जिसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

अवैध खनन होना दुर्भाग्यपूर्ण है। सीबीआई से कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है। कार्यवाही का अधिकार नहीं दिया है। यदि अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट आती है तो इससे सरकार को चिंतित नहीं होना चाहिए।

हाई कोर्ट, इलाहाबाद