प्रयागराज (ब्‍यूरो)। देश में एक ओर रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर स्टार्टअप का कल्चर तेजी से बढ़ रहा है। आए दिन लोग अपनी किसी यूनीक आइडिया के साथ-साथ कोई न कोई काम शुरू करते रहते हैं। लेकिन लाखों लोगों को लगता है स्टार्टअप शुरू करने के लिए लाखों रुपये की जरूरत पड़ती है लेकिन ऐसा नहीं है एक अच्छे आइडिया के साथ बेहतर उत्पादों के साथ एक छोटा सो बिजनेस शुरू किया जा सकता है। जो आगे चलकर बड़ा हो जाएगा। कुछ इसी तरह का सपना संजोए हुए युवाओं के सपने को साकार करने क लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सेण्टर ऑफ फैशन डिजाइन मे वार्षिक खादी प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। सेण्टर आफ फैशन डिजाइन संस्थान की छात्राओं के द्वारा खादी से बनी हुई वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई है। जिसे देखने और खरीदने के लिए लोगों की काफी भीड़ लग रही है। यहां लगाए गए उत्पादों को देखकर काफी तारीफ तो मिल रही है साथ ही छात्रों को भी आगे का हौसला बुलंद हो रहा है।

इंटरनेशनल लेवल पर ले जाना है
मूलत: प्रतापगढ़ की रहने वाली सानिया बानों सेंटर आफ फैशन डिजाइन के तृतीय सेमेस्टर की छात्रा है। इन्होंने खादी और वेस्ट मटेरियल से नेक पीस की प्रदर्शनी लगाई है। पहले इसे शौकिया तौर पर करती थी पर अब इसे प्रोफेशनली करने के लिए पढाई कर रही है। सानिया बताती है की वेस्ट प्रोडक्ट और खादी से बनी वस्तुओं को ये पांच वर्षो से बना रही है। इनके दादा जी इस कला के प्रेरणा स्त्रोत है। इनके दादा जी खाट बिनने का काम किया करते थे। वहीं से इनके अंदर इस कला को सीखने की चाह जगी। सानिया पहले इसे शौकिया तौर पर करती थी। पढाई पर ज्यादा फोकस रहता था। ताकि किसी अच्छे संस्थान मे प्रवेश सुनिश्चित कर सके। सेंटर पर आने के बाद पता चला की खादी और वेस्ट मटेरीयल से वस्तु को बनाना एक कला। तो यहां आने के बाद इनको सही दिशा निर्देश मिला। जिससे अभी ये इस क्षेत्र मे अच्छा काम कर रही है।

बहुत बारीक काम है
सानिया जब घर पर इस काम को करती थी तो बहुत आसान लगता था। मगर जब सेंटर ऑफ फैशन डिजाइन मे प्रवेश लिया तब जाकर मालूम हुआ। की इसे बनाने के लिए कई सारी बारीकियों को ध्यान मे रखते हुए सब्र के साथ काम करना पड़ता है। सानिया ने बताया की खादी के कपड़े पर कढाई करते वक्त इस बात का ध्यान रखना पड़ता है। की कही एक डोरा दूसरे डोरे के ऊपर न चढ़ जाए। नहीं तो पूरी डिजाइन खराब हो जाएगी। एक नेक पीस को बनाने मे कम से कम पांच से छह से घंटे का वक्त लगता है। इतनी देर बैठ कर लगातार कढ़ाई करना आसान नहीं होता है। इसके लिए बहुत सब्र रखना पड़ता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है डिमांड
जब सेंटर पर आई तब इसके बारे मे सर्च किया। तो सानिया ने पाया की इंटरनेशनल मार्केट मे इसकी काफी डिमांड है। जिसको देखते हुए सानिया इस कला को और अच्छे से सीखने का प्रयास कर रही है। यह कला रोजगार का एक अच्छा जरिया है। इससे खुद को रोजगार मिलने के साथ साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकते है। आगे सानिया अपनी खुद की एक कंपनी खोल इस काम को इंटरनेशनल मार्केट तक ले जाना चाहती है। जिसके लिए ये अभी से तैयारी कर रही है।