- सीपीएमटी में बेहतर रैंक पाकर रौशन किया शहर का नाम

- 46वीं रैंक पाने वाले रणविजय को है गांव से लगाव

<- सीपीएमटी में बेहतर रैंक पाकर रौशन किया शहर का नाम

- ब्म्वीं रैंक पाने वाले रणविजय को है गांव से लगाव

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: सपने तो सभी देखते हैं लेकिन उसे हकीकत में बदलने की कुव्वत कुछ में ही होती है। मंडे लेट नाइट डिक्लेयर हुए सीपीएमटी रिजल्ट में बेहतर रैंक पाकर शहर का नाम रौशन करने वाले कैंडिडेट्स ने ये कर दिखाया। उनकी इस सफलता पर पैरेंट्स ही नहीं यार-दोस्त भी फूले नहीं समाए। इनमें से कोई काबिल डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई देश की सेवा का जज्बा मन में पाले बैठा है। आइए मिलाते हैं ऐसे ही रैंकर्स से-

क्-किसान का बेटा संवारेगा गांव की किस्मत

प्रतापगढ़ के छोटे से गांव जमुआ के किसान हरिकेश के बेटे रणविजय पटेल ने सीपीएमटी में ब्म्वीं रैंक पाई है। इलाहाबाद में रहकर एग्जाम की तैयारी करने वाले रणविजय ने बताया कि वह फ्यूचर में अपने पेशे के जरिए गांव में हॉस्पिटल खोलना चाहते हैं, जहां गरीब और जरूरतमंदों का बेहतर इलाज किया जा सके। पहले अटैम्प्ट में ही उन्होंने ओबीसी कैटेगरी में क्म्वीं रैंक हासिल की है। सफलता का श्रेय उन्होंने माता-पिता के साथ टीचर्स को दिया है।

थ्योरी से ज्यादा सॉल्व किए टेस्ट पेपर्स

ख्- इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील बंशराम मिश्रा के बेटे आदित्य ने भी पहले ही अटेम्प्ट में सीपीएमटी में जनरल फ्फ्9 रैंक हासिल की है। उनकी एआईपीएमटी में म्क्भ् रैंक थी। आदित्य की मानें तो उन्होंने लास्ट टाइम पर थ्योरी से ज्यादा टेस्ट पेपर्स को तवज्जो दी। कभी कोई टेस्ट मिस नहीं किया। यही उनकी सफलता का राज है। बेसिकली गोंडा के रहने वाले आदित्य की मदर प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं। वह गरीब मरीजों की सेवा करना चाहते हैं।

फ्- हिम्मत नहीं हारी तो मिली सफलता

देश में अच्छे सर्जन की बेहद कमी है। अक्सर ऑपरेशन के लिए मरीजों को अपना नंबर आने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। जनरल में ब्ब्भ् और ओबीसी में क्78वीं रैंक पाने वाले देवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि उनका लक्ष्य भविष्य में काबिल सर्जन बनने का है। इलाहाबाद में रहकर उन्होंने एग्जाम की तैयारी की और थर्ड अटेम्प्ट में सफलता पाई है। वह बेसिकली गोंडा के रहने वाले हैं।

ब्-कीर्ति को बनना है न्यूरो सर्जन

ब्वॉयज के साथ ग‌र्ल्स भी कंधे से कंधा मिलाकर हर मोर्चे पर खड़ी हैं। सीपीएमटी रिजल्ट में फ्म्7 जनरल रैंक पाने वाली कीर्ति शुक्ला की ऐसी ही सोच है। वह एमबीबीएस करने के बाद कार्डियोलॉजिस्ट या न्यूरोसर्जन बनना चाहती हैं। वह कहती हैं कि ये दोनों स्पेशल कैटेगरी हैं और इसी में उनका इंट्रेस्ट भी है। नैनी की रहने वाली कीर्ति के पिता विजय शंकर शुक्ला रामानुज इंटर कॉलेज कोहड़ार के प्रिंसिपल हैं। सफलता का श्रेय वह पैरेंट्स के साथ टीचर्स को देती हैं।

भ्- घर में तैयार होगी पांचवी डॉक्टर

सिविल लाइंस की रहने वाली राधिका सिंह की दो बहनें और जीजा पहले से डॉक्टर हैं। सीपीएमटी में 79क्वीं रैंक लाकर वह भी इसी श्रेणी में शामिल हो गई हैं। उनके फादर करन सिंह पॉवर कारपोरेशन में एसडीओ हैं। वह कहती हैं कि घर में पहले से चार डॉक्टर होने से उनको भी इस फील्ड में आने की इंस्पीरेशन मिली है। वह काबिल डॉक्टर बनकर पूरे व‌र्ल्ड का भ्रमण करना चाहती हैं।

म्- घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं

हाईकोर्ट एडवोकेट अशोक दुबे की बेटी प्रिंयका दुबे ने सीपीएमटी जनरल में ब्8ख्वीं और ग‌र्ल्स कैटेगरी में ख्00वीं रैंक पाकर माता-पिता का नाम रौशन किया है। उनकी इस सफलता पर घरवाले भी फूले नहीं समा रहे हैं। वह कहती हैं कि भविष्य में अच्छा डॉक्टर बनना ही उनका सपना है। इसके जरिए वह समाज और देश की सेवा करना चाहती हैं। उनका लक्ष्य आर्थोपेडिक सर्जन बनने का है।