बसपा छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी की ओर झुकाव से केशव समर्थकों में मची खलबली

विरोधी हुए मुखर, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के रुतबे पर ग्रहण लगा सकता है स्वामी का कद

ALLAHABAD: बसपा छोड़कर बीजेपी में घुसने की जुगत लगा रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की इस चाल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के समर्थकों में खलबली मच गई है। अभी तक उप्र विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद को आगे लेकर चलने वाली भाजपा के पास स्वामी प्रसाद जैसा मजबूत विकल्प आने की उम्मीदों के चलते समर्थकों की इस चिंता को वाजिब माना जा रहा है। उधर, स्वामी प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के कयासों के बीच केशव विरोधी खेमे ने एक बार फिर सिर उठाना शुरू कर दिया है, जिससे बीजेपी में आपसी गुटबाजी का चेहरा एक बार फिर उजागर होने लगा है।

मजबूत करने की कोशिशों को झटका

उप्र चुनाव से ठीक पहले फूलपुर सांसद केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने पिछड़ा वर्ग के तुष्टीकरण की राजनीति के संकेत दे दिए थे। जिसका असर भी धीरे-धीरे दिखने लगा। सपा और बसपा को अपना पिछड़ा वोट बैंक खिसकने का डर सताने लगा, जिससे केशव के कद में बढ़ोतरी होना तय माना जा रहा था। इस बीच बसपा के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का संकेत केशव के समर्थकों को कहीं न कहीं अखर रहा है। स्वामी भाजपा का दामन थामते हैं तो भाजपा को यूपी में चुनाव में केशव या स्वामी में से किसी एक विकल्प को ही चुनना होगा। फिलहाल, प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते केशव प्रसाद का पलड़ा भारी है।

लगातार संपर्क में हैं स्वामी प्रसाद

बसपा से अलग होते ही स्वामी प्रसाद मौर्य की गतिविधियों ने प्रदेश की सियासी हलचल को बढ़ाने का काम किया है। खुद स्वामी प्रसाद ने भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर समेत राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और संघ और भाजपा के बीच की कड़ी माने जाने वाले कृष्ण गोपाल से मुलाकात कर इस आंच को हवा दे दी। इससे केशव के विरोधी खेमे को बल मिला है। उन्होंने स्वामी प्रसाद को यूपी में भाजपा का चेहरा बनाने की अपनी आवाज को तेज कर दिया है। इससे समर्थकों में हलचल मची हुई है। हालांकि, पार्टी के स्थानीय नेताओं ने इस बात से इंकार किया है। उनका कहना है कि पार्टी ने पहले ही केशव प्रसाद के हाथों में यूपी चुनाव की बागडोर सौंप दी है। ऐसे में स्वामी प्रसाद को आगे करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। वैसे भी भाजपा अभी स्वामी प्रसाद के साथ बसपा छोड़कर आए विधायकों की संख्या पर नजर गड़ाए बैठी है।