23 सितम्बर 1887 को बना देश का चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय

ALLAHABAD: आजादी के बाद से हमारे शहर में बहुत कुछ बदला तो बहुत कुछ ऐसी चीजें भी मौजूद हैं, जिन्हें हमने बहुत ही संजोकर रखा है। बात जब शहर की विरासत की हो तो पूरब के आक्सफोर्ड कहे जाने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद के बिना बात हमेशा अधूरी रहेगी। देश के पुरातन विश्वविद्यालयों में एक इस विश्वविद्यालय ने देश को कई प्रधानमंत्री दिए। यहां से पढ़कर निकले छात्रों ने हर क्षेत्र में मेधा का डंका न बजाया है।

इमरसन ने तैयार किया था मैप

इसके इतिहास में जाएं तो वर्ष 1866 में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना की गई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा था। 09 दिसम्बर 1873 को म्योर कॉलेज की आधारशिला टॉमस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेट्स सीएमएसआई द्वारा रखी गई। यह वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। इसका औपचारिक उद्घाटन 08 अप्रैल 1886 को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। इसका नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद् इमरसन ने बनाया था।

विजयनगरम् हाल का भी है अस्तित्व

वहीं 23 सितम्बर 1887 को एक्ट पास हुआ। जिसके बाद कलकत्ता, बम्बई और मद्रास विश्वविद्यालय के बाद उपाधि प्रदान करने वाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश का चौथा प्राचीन विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च 1889 में हुई थी। करेंट में इस विश्वविद्यालय में कला, विज्ञान, वाणिज्य एवं विधि संकाय स्थापित हैं। हाल ही में इस विश्वविद्यालय ने अपना 129वां स्थापना दिवस मनाया है। करेंट में यहां के कुलपति प्रो। आरएल हांगलू हैं। विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक विजयनगरम् हाल के अलावा छात्रसंघ भवन की भी अपनी ही महत्ता है। इसके अलावा यहां विज्ञान जगह के कई विद्वानों की चेयर भी स्थापित है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से नामी राजनेता, न्यायविद्, लेखक, शिक्षाविद्, पत्रकार, खिलाड़ी, साहित्यकार, वैज्ञानिक आदि पढ़कर निकले हैं। 129 साल के इतिहास में इविवि ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखी है। यह विश्वविद्यालय शोध कार्यक्रम समेत अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों में समाज की जरुरत के अनुसार परिवर्तन करता रहता है। यहां बहुत से नए विभाग बनाए गए और पुर्नस्थापित विभागों में उच्च शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए नए क्षेत्रों में शोध कार्य आरंभ किए हैं।

प्रोफेसर जेए अंसारी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी