आईवीआरआई से 22 हजार के केंचुए और टेक्नोलॉजी खरीदेगा कॉलेज

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बीसीबी में जूलॉजी स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल कराने और कैंपस में गिरने से पेड़ की पत्तियों सदुपयोग करने के लिए कैंपस में वर्मीकम्पोस्ट यूनिट डेवलप होगा। इसके लिए कॉलेज ने एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। शुरुआती दौर में इसे छोटे स्तर पर शुरू किया जा रहा है। सफलता मिलने पर बीसीबी एडमिनिस्ट्रेशन बड़े स्तर पर वर्मीकम्पोस्ट तैयार करेगा। प्रिंसिपल ने इसके लिए 40 हजार का बजट भी स्वीकृत कर दिया है। विभाग इसके लिए आईवीआरआई से जयगोपाल केचुएं खरीदेगा।

मिलेगा डबल फायदा

जूलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ। राजेन्द्र सिंह ने बताया कि कॉलेज कैंपस में वर्मीकम्पोस्ट की यूनिट नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स को खासी परेशानी उठानी पड़ती है। उन्हें वर्मी कम्पोस्ट के बारे में किताबी ज्ञान तो दे दिया जाता है, लेकिन प्रैक्टिकल नॉलेज नहीं हो पाता है। वहीं कॉलेज कैंपस पेड़ों की पत्तियां भी बेकार चली जाती हैं। वहीं पत्तियों को नष्ट करने के लिए आग लगाने से एयर पॉल्यूशन बढ़ता है। अब वर्मीकम्पोस्ट तैयार होने से जहां स्टूडेंट्स का प्रैक्टिकल होगा तो वहीं दूसरी ओर पत्तियों से वर्मीकम्पोस्ट यूनिट से वर्मीकम्पोस्ट भी तैयार होगी। विभाग के प्रपोजल को प्रिंसिपल डॉ। सोमेश यादव ने वेडनसडे को मुहर लगा दी है। उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट यूनिट खोलने के लिए विभाग को 40 हजार रुपए का बजट जारी किया है। इसमें से 22 हजार से डिपार्टमेंट आईवीआरआई से जयगोपाल नाम के केंचुए को खरीदने व टेक्नोलॉजी पर खचर्1 करेगा।

चिह्नित की जा रही जगह

प्रिंसिपल ने निर्माणाधीन परीक्षा भवन के पास, बॉटनी डिपार्टमेंट और बॉटनिकल गार्डन में किसी एक जगह वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनाने के निर्देश दिए हैं। जूलॉजी डिपार्टमेंट तय करेगा कि तीनों जगह में कौन सी जगह उपयुक्त है। इसके बाद पहले चरण में तीन गढ्डे खुदवाकर उनमें वर्मीकम्पोस्ट तैयार की जाएगी। दरअसल, बीसीबी मैनेजमेंट एक तीर से दो निशाने कर रहा है। एक तो वर्मी कम्पोस्ट यूनिट से स्टूडेंट्स को पै्रक्टिकल नॉलेज देगा। साथ ही इसके माध्यम से आगामी वर्ष में होने वाले नैक मूल्यांकन में अपनी ग्रेड में सुधार करेगा। प्रोफेसर ने बताया कि यूनिट में बनने वाली खाद का प्रयोग कॉलेज कैंपस में लगे पेड़-पौधों को हरा-भरा बनाने में प्रयोग किया जाएगा। साथ ही लोगों को खाद डोनेट करेगा।