-एनिमल्स साइंस विभाग ने गोद लिया गांव

-किसानों को किया जागरूक, जैविक खाद और बायो पेस्टीसाइड के प्रयोग पर दिया जोर

<-एनिमल्स साइंस विभाग ने गोद लिया गांव

-किसानों को किया जागरूक, जैविक खाद और बायो पेस्टीसाइड के प्रयोग पर दिया जोर

BAREILLY BAREILLY आरयू के एक छोटे से प्रयास ने ब्लॉक फरीदपुर की तकदीर बदल दी। वहां के किसान अन्य अन्नदाताओं के मुकाबले ज्यादा खुश हैं। क्योंकि वह जैविक खाद और बायो पेस्टीसाइड का प्रयोग करते हैं। इस कारण फसलों की लागत कम आती है और बम्पर उत्पादन होता है।

ख्007 से शुरू हुआ मिशन

रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के डीन फैकल्टी एप्लाइड साइंस एसएम सिंह ने बायो पेस्टीसाइड और जैविक खाद को बढ़ावा देने का इरादा ठाना। फिर उसे अमलीजामा पहनाने में जुट गए। उन्होंने ख्007 में कैंपस में बने एनिमल्स साइंस विभाग के केचुआ शोध केन्द्र को ब्लॉक फरीदपुर गोद दिलवाया। इसके बाद उन्होंने किसानों को अपनी मुहिम से जोड़ा। लगातार गोष्ठियां की। किसानों को रासायनिक पेस्टीसाइड और खाद के दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही बायो पेस्टीसाइड और जैविक खाद के फायदे गिनाए। किसानों ने भी उनकी इस मुहिम में दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने इसमें बढ़चढ़कर भाग लिया। जागरूक किसानों ने अन्य अन्नदाताओं को अवेयर किया।

रासायनिक खाद से बनाई दूरी

किसानों ने धीरे-धीरे रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड से दूरी बनाना शुरू कर दिया। वहीं बायो पेस्टीसाइड और जैविक खाद के प्रयोग को बढ़ावा दिया। किसानों का यह कदम रंग लाया। फसलों में बम्पर पैदावार हुई। प्रो। एसएम सिंह ही मेहनत का यह असर है कि फरीदपुर में किसानों ने रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड का प्रयोग पूरी तरह बंद कर रखा है।

मिलते हैं क्7 तत्व

प्रो। एसएम सिंह ने बताया कि रासायनिक खाद से फसलों को केवल तीन ही पोषक तत्व मिलते हैं। जबकि अच्छी पैदावार के लिए क्7 तत्वों की आवश्यकता है। जैविक खाद से फसलों को सभी जरूरी तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। जैविक खाद से पैदा हुए अन्न को खाने वाले रासायनिक के मुकाबले काफी तंदुरुस्त होते हैं।