-पति की मौत के बाद महिला दो बेटों को ले गई अपने साथ, बेटी को छोड़ गई अनाथालय

-मां बनकर मौसी बच्ची को रखने के लिए हुई तैयार, बोली पिता के साथ बच्ची को रखेंगी पास

बरेली: मां मरे मौसी जिए, मौसी 'मां' सी होएजी हां यह कहावत यहां पर बिल्कुल ठीक बैठती है। दरअसल, थर्सडे को सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट डॉ। डीएन शर्मा के पास एक महिला बुजुर्ग पिता के साथ पहुंची, और कुछ ऐसा ही वाकया बताया। बेटी के साथ सीडब्ल्यूसी पहुंचे बुजुर्ग ने बताया कि उसकी छोटी बेटी की शादी के बाद पति की मौत हो गई। उसके दो बेटा एक बेटी थी। कुछ समय बाद पति की मौत होने के बाद उसने दूसरी शादी कर ली और दोनों बेटों को साथ ले गई जबकि बेटी को अनाथालय छोड़ गई। तब से बेटी अनाथालय में रह रही थी, बुजुर्ग की बड़ी बेटी ने पिता के साथ पहुंचकर छोटी बेटी की बेटी को अपने साथ ले जाने के लिए गुहार लगाई तो मजिस्ट्रेट ने बच्ची को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया।

2017 से थी अनाथालय में

सुभाषनगर के कांधरपुर निवासी दाता राम ने बताया कि उनके दो बेटी थी। जिनमें बड़ी बेटी सुमन की शादी बीसलपुर तो छोटी बेटी कुसुम की शादी शहर के चकमहमूद में की थी। शादी के बाद कुसुम के दो बेटा और एक बेटी थे लेकिन पति की मौत हो गई। इसके बाद कुसुम ने दूसरी शादी अपनी मर्जी से कर ली, और वह दोनों बेटों को अपने साथ लेकर चली गई जबकि 4 वर्षीय बेटी कोमल को छोड़कर चली गई। परेशान होकर दाताराम ने कोमल को 2017 में अनाथालय में रखवा दिया, और वहीं खुद भी सेवा करने लगे। चार साल बाद कोमल की मौसी सुमन ने पिता दाताराम से बच्ची को अपने पास रखकर पढ़ाने लिखाने की इच्छा जाहिर की, तो दाताराम तैयार हो गए। इसके बाद सुमन पति और पिता दाताराम के साथ सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश हुए और बेटी कोमल को अपने साथ रखने की इच्छा जताई। जिस पर सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट डॉ। डीएन शर्मा ने कोमल को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया।

पढ़ लिखकर डॉक्टर बनूंगी

कोमल के बुजुर्ग नाना भी अनाथालय में रहकर सेवा करते थे। उन्होंने बताया कि वह कोमल को अपने साथ नहीं रख पाए इसीलिए उसे अनाथालय में मजबूर होकर रखा दिया। कोमल ने बताया कि वह पांचवी तक अनाथालय के ही स्कूल में पढ़ाई कर चुकी है और अब वह मौसी और नाना के साथ रहकर आगे की पढ़ाई कर डॉक्टर बनना चाहती है। वहीं कोमल को अपनी मौसी और नाना के साथ जाने की खुशी जरूर चेहरे पर साफ झलक रही थी। तो वहीं परिवार वाले भी उसे अपने साथ ले जाने के लिए उत्साहित थे।

बेटों से प्यार बेटी का तिरस्कार

बुजुर्ग दाताराम ने बताया कि बेटी कुसुम के पति की मौत के बाद वह दो बेटों को तो साथ ले गई लेकिन बेटी कोमल को अनाथालय छोड़ गई। जबकि बेटी को भी साथ ले जाती तो वह भी रह लेती। वहीं कोमल का भी यही कहना था कि मां उसको छोड़ गई। उसे बेटों से प्यार था इसीलिए दोनों बेटों को अपने साथ ले गई है।