नमी से प्रदूषित गैसें, धूल के कण जमकर पहुंच रहे शरीर में

नाक, गले की दिक्कत के साथ ही ब्रोंकियस अस्थमा का खतरा बढ़ा

BAREILLY:

रात होते ही घना कोहरा और सुबह चंद घंटों के लिए खिली धूप, पिछले कुछ दिनों से बरेली में मौसम का यही मिजाज है, लेकिन धूप खिलने और कोहरा छंटने के बावजूद इस मौसम में सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। घने कोहरे के बाद तापमान में अचानक होने वाली कमी से जो ओस जमीन पर गिरती है, वह लोगों को बीमार करने की वजह बन रही है। कोहरे के चलते हवा में ठहर गई खतरनाक गैसें ओस की नमी में घुलकर शरीर में पहुंच रही। जिससे लोग सांस की बीमारियों समेत खतरनाक अस्थमा की चपेट में आ रहे।

धूल के कण बने कैरियर

हवा में धूल व कार्बन के कणों अलावा खतरनाक कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड गैसें भी होती हैं। कोहरे वाले मौसम में ओस गिरने पर धूल के कणों पर नमी जम जाती है। इस नमी में ही खतरनाक गैसें घुल जाती हैं। सांस लेने के दौरान धूल के कण भी फेफड़ों में चले जाते हैं। धूल के कणों पर जमी ओस के साथ घुली गैसें म्यूकस मेंबरेन से निकलने वाले म्यूकस के साथ घुल जाती है। जिससे जुकाम, खांसी, बलगम और ब्रोंकियल अस्थमा की बीमारी बढ़ रही।

निशाने पर बच्चे-बुजुर्ग ज्यादा

कोहरे वाले मौसम की बीमारियों के खतरे में बच्चे व बुजुर्ग ज्यादा हैं। बच्चों व बुजुर्गो की इम्यूनिटी कमजोर होने के चलते उनका शरीर पॉल्यूटेंट्स के बुरे प्रभाव से खुद को बचा नहीं पाता। ऐसे में एक्सपर्ट कोहरे वाले मौसम में बच्चों का सुबह-शाम बाहर खेलना व बुजुर्गो का टहलना खतरनाक मानते हैं। वहीं दिन में खिली धूप के बावजूद नवजात बच्चों को ज्यादा देर तक धूप में खुले में रखने से बचने की हिदायत देते हैं।

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जहरीली गैसें ओस में घुलकर धूल के कणों के जरिए शरीर में पहुंचकर सांस की दिक्कत व अस्थमा की वजह बन रही है। बच्चों व बुजुर्गो को कोहरे में बाहर निकलते हुए खास सावधानी बरतनी चाहिए।

- डॉ। सुदीप सरन, फिजिशियन

सर्दियों में सांस की बीमारी के केसेज बढ़ जाते हैं। हवा में मौजूद पॉल्यूटेंट्स व खतरनाक गैसे फेफड़ों में पहुंचकर अस्थमा की वजह बन रहे। सांस की बीमारियों के मरीज बढ़े हैं।

- डॉ। अजय मोहन सक्सेना, फिजिशियन