-आरयू में जैकेट में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छिपाकर व कान में माइक्रो स्पीकर लगाकर दे रहा था एग्जाम

-कक्ष निरीक्षक ने आवाज आने पर पकड़ा, पुलिस और क्राइम ब्रांच ने की पूछताछ

BAREILLY: हाईकोर्ट के चपरासी के एग्जाम में मुन्नाभाई को गिरफ्तार किया गया है। मुन्नाभाई हाईटेक तरीके से जैकेट व बनियान में चार इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाने के साथ कान में माइक्रो फोन लगाकर एग्जाम दे रहा था, लेकिन आवाज आने पर कक्ष निरीक्षक को शक हो गया और उसे पकड़ ले गया। मामले की सूचना पर पहुंची पुलिस ने क्राइम ब्रांच के साथ मिलकर मुन्नाभाई से पूछताछ की। मुन्नाभाई ने आरयू के बाहर 5 हजार रुपए में एक युवक द्वारा जैकेट दे जाने की बात कबूली है। पुलिस को उसके पास से 4 डिवाइस, एक माइक्रोफोन, एक माइक्रो स्पीकर, व दो नए सिम बरामद हुए हैं। पुलिस इससे जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुट गई है।

परिवार की जिम्मेदारियों के लिए नौकरी

पुलिस गिरफ्त में आए मुन्नाभाई की पहचान अलीगढ़ के गोकुलपुर गभाना निवासी विजय वीर सिंह के रूप में हुई है। उसके परिवार में पिता गणेशपाल, छोटा भाई हरेंद्र और 5 बहनें हैं। उसके पिता खेती करते हैं। उसने दसवीं तक की पढ़ाई की है। परिवार में सबसे बड़ा होने के चलते उस पर काफी जिम्मेदारियां हैं इसलिए वह सरकारी नौकरी पाना चाहता है। इसी के चलते ही वह हाईकोर्ट के क्लास सी के तहत चपरासी का एग्जाम देने आया था।

ईसी-3 रूम में दे रहा था एग्जाम

बरेली में आरयू और बीसीबी में एग्जाम सेंटर बनाए गए थे। आरयू के ईसी-3 रूम में रोल नंबर 1170011169 पर विजयवीर एग्जाम दे रहा था। कक्ष निरीक्षक यतेंद्र कुमार को करीब 11 बजे रूम में आवाज सुनाई दी। जिसके बाद उन्होंने ध्यान से देखा तो पाया कि विजयवीर सिर तिरछा कर कुछ बोल रहा था। जिस पर उन्हें शक हो गया और वह विजयवीर के पास खड़े हो गए तो उन्हें सुनाई दिया कि इस सवाल का आंसर यह है। जिस पर उन्होंने विजयवीर से पूछा तो उसने डिवाइस खोलकर दिखा दीं। यतेंद्र ने पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पुलिस पहुंची और विजय वीर को पकड़ लिया।

हाईकोर्ट के चपरासी एग्जाम में मुन्नाभाई पकड़ा गया है। उसके पास से डिवाइस व माइक्रो स्पीकर मिले हैं। उससे पूछताछ कर पूरे नेटवर्क को खंगाला जा रहा है।

धर्म सिंह मार्छाल, सीओ िसटी थर्ड

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आखिर कौन है नेटवर्क का मास्टरमाइंड

आरयू में हाईकोर्ट के चपरासी के एग्जाम में मुन्नाभाई के पकड़े जाने के बाद एक बार फिर से एंट्रेस एग्जाम पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिए हाईटेक तरीके से मुन्नाभाई एग्जाम दे रहा था, उससे साफ है कि इसका कोई नेटवर्क है और कोई मास्टरमाइंड पूरे नेटवर्क को ऑपरेट कर रहा था। गिरफ्त में आए विजय वीर ने कुछ नाम पुलिस को बताए हैं, जिसके जरिए पुलिस मास्टर माइंड की तलाश में जुट गई है।

रात में आया था फोन

पुलिस पूछताछ में विजय वीर ने बताया कि लौसेरा लोधा अलीगढ़ निवासी उसके फुफेरे भाई विनोद ने उससे कहा था कि वह एग्जाम देने जा रहा है, तो उसके पास राजीव का फोन आएगा। राजीव जैसा कहे वह वैसा करे तो एग्जाम में पास हो जाएगा। विजय वीर ने बताया कि सैटरडे रात करीब साढ़े 12 बजे राजीव का फोन उसके पास आया था। राजीव ने उसे बताया था कि उसे एक युवक एग्जाम सेंटर के बाहर जैकेट देने आएगा। वह जैकेट पहन ले, जिसके बाद उसे आंसर बता दिए जाएंगे। राजीव के अनुसार ही वह सुबह 6 बजे आरयू के बाहर पहुंच गया। एक युवक बाइक से आया और उसे जैकेट, बनियान, माइक्रोफोन और माइक्रो स्पीकर देकर चला गया। उसने अपनी जैकेट पहन रखी थी लेकिन उसे बैग में रख लिया।

आधा घंटा तक डिवाइस रही बेकार

विजय वीर के मुताबिक करीब आधा घंटा तक उसकी डिवाइस ने काम ही नहीं किया। डिवाइस में सिर्फ सरसराहट की आवाज आ रही थी। करीब 11 बजे स्पीकर चालू हो गया तो फोन करने वाले ने उससे कहा कि वह गणित के सवाल ओपन करे। जब उसने सवाल ओपन किए तो उसे पहले क्वेश्चन का अंसर सी और दूसरे का बी बताया गया। इन आंसर पर उसने ब्लैक गोला कर दिया, लेकिन उसके बाद टीचर के शक होने पर वह पकड़ा गया।

कहीं पेपर तो आउट नहीं

जिस तरह से विजयवीर को फोन करने वाला सही आंसर बता रहा था। उससे साफ है कि कहीं न कहीं क्वेश्चन पेपर भी आउट हुआ होगा। क्योंकि बिना क्वेश्चन के वह आंसर कैसे बता रहा था। क्योंकि विजयवीर ने बताया कि वह सवाल नहीं बोल रहा था। उसके पास मिली डिवाइस में दो मोबाइल सिम मिले हैं जिनके जरिए ही काल आ और जा रही थी।

कितने लोगों को दी गई जैकेट

जैकेट देने वाले ने विजयवीर से सिर्फ 5000 रुपए ही लिए, लेकिन जिस तरह से उसमें डिवाइस लगी हुई थीं उनकी कहीं न कहीं कीमत ज्यादा ही रही होगी। इससे साफ है कि कहीं न कहीं बाद में भी विजय वीर से रुपए लिए जाते, लेकिन विजय वीर ने इससे साफ इनकार किया है। विजयवीर पहले से ही घर से 8 हजार रुपए लेकर आया था, लेकिन उसने रुपयों को अन्य खर्चो के बहाने लाने की बात कहकर टाल दिया। फिलहाल, फोन करने वाले राजीव, जैकेट पहुंचाने वाले युवक और विजय वीर के फुफेरे भाई विनोद की गिरफ्तारी के बाद ही साफ हो सकेगा कि असली गुनहगार कौन है।