- पूरे देश में एक साथ हड़ताल होने से बढ़ी मुसीबत

- 17 दिन में दो सौ करोड़ रुपए बैंकों में नहीं हुआ जमा

BAREILLY:

सर्राफा व्यापारियों की हड़ताल का असर अब बैंक्स में लेन-देन पर भी दिखने लगा है। कई बैंक्स में करेंसी चेस्ट खाली पड़ने लगी है। ऐसे में, कुछ दिन और हड़ताल जारी रही, तो बैंकों की मुसीबत और बढ़ सकती है। इस समय बैंक्स से बड़ी रकम निकल तो रही है, लेकिन जमा नहीं हो रहा है। क्लोजिंग का महीना होने बैंक्स अधिकारियों के पसीने छूटने लग गए है। कि वह इस स्थिति से कैसे निपटे।

बैंकों का हुअा बुरा हाल

पिछले 2 मार्च से सर्राफ व्यापारियों की हड़ताल जारी है। सर्राफा व्यापारियों के हड़ताल को दूसरे व्यापारी संगठनों का भी समर्थन मिलने लगा है। मार्केट बंद होने से बिजनेस पूरी तरह से ठप हो गया है। नतीजा यह है कि सर्राफ व्यापारियों और अन्य व्यापारियों द्वारा बैंकों में रोजाना जमा होने वाला करोड़ों रुपए भी रुक गया है। शहर में एक बहुत तबका ज्वैलरी और बुलियान का बिजनेस करता है। जो शहर के सरकारी और प्राइवेट बैंकों में 10 से 12 करोड़ रुपए रोजाना जमा करते है। लेकिन, पिछले 17 दिनों से यह पैसा बैंकों में नहीं पहुंचा है।

करेंसी चेस्ट हुए खाली

हड़ताल का असर यह है कि बैंकों का करेंसी चेस्ट खाली हो गया है। कुछ बैंकों के करेंसी चेस्ट में पैसे बचे भी हुए है, तो वहां भी संकट मंडराने लग गया है। चूंकि, सर्राफा वालों का यह हड़ताल पूरे देश में है तो, समस्या और गहरा गयी है। बैंक में डिपॉजिट होने वाले रुपए पर अचानक ब्रेक लग जाने से आरबीआई ने भी बैंकों के करेंसी चेस्ट को पैसा मुहैया नहीं कराया है। जिसका सबसे बड़ा कारण लगातार होने वाली हड़ताल है। क्योंकि, सर्राफ व्यापारियों से पहले बैंक्स कर्मचारियों ने भी हड़ताल किया था। जिसके चलते बैंको के सारे काम पूरी तरह से ठप था।

बॉक्स

- बैंकों में 17 दिन में नहीं जमा हुए दो सौ करोड़ रुपए।

- जबकि, रूपए विड्रॉ करने वालों की संख्या में नहीं हुई कमी।

- क्लोजिंग का महीना होने से सरकारी और प्राइवेट बैंकों की बढ़ी मुसीबत।

- सर्राफ के साथ दूसरे वर्ग के व्यापारियों के हड़ताल पर जाने से और गहराई समस्या।

बैंकों में रुपए जमा नहीं होने से समस्या बढ़ी है। करेंसी चेस्ट के अलावा बैंकों का लेन-देन भी प्रभावित हुआ है। आरबीआई ने भी करेंसी नहीं भेजी है।

राजेंद्र कुमार, डिप्टी मैनेजनर, करेंसी चेस्ट, एसबीआई

सर्राफा व्यापारियों की हड़ताल से बैंकों की कार्यप्रणाली पर प्रभाव पड़ा है। क्योंकि, यह वर्ग बैंकों में एक बड़े स्तर पर बैंकों में रुपए डिपॉजिट करता है।

संजीव मेहरोत्रा, उप महामंत्री, यूनियन बैंक स्टॉफ एसोसिएशन