केसेस

1- विनोद आंनद अपनी पत्नी सीमा से शादी करने के बारे में बताते हैं कि उनका रिश्ता मैट्रीमोनियल एड से जुड़ा। दोनों परिवार एक-दूसरे से मिले और शादी के लिए लगभग हामी भी भर दी, लेकिन मैंने सीधे शब्दों में बोल दिया कि मैं सीमा को जानने के लिए वक्त चाहता हूं। ताकि शादी जैसे जिम्मेदारी भरे रिश्ते की शुरुआत किसी परिवारिक खुशी को पूरा करने के लिए न हो। सीमा और मैने 6 महीने तक बात की एक-दूसरे को जानने के लिए हमने फोन कॉल, फेसबुक और मैसेजेज का सहारा लिया। तब जाकर इंगेजमेंट करने का फैसला किया। फिर अभी पिछले महीने ही हमारी शादी हुई

है।

केस-2

ज्ञानेंद्र के लिए लड़की उनके पिता जयनेंद्र मिश्रा ने मैट्रीमोनियल वेबसाइट के जरिए ढूंढी। पिता को परिवार समझ आ गया, लेकिन ज्ञानेंद्र ने सिर्फ तस्वीर देखकर फैसला करने की जल्दबाजी नहीं दिखाई। गोरखपुर की साक्षी और बरेली के इंदिरानगर निवासी ज्ञानेंद्र के परिवार मिले और फिर तय हुआ कि दोनों को वक्त दिया जाए, ताकि एक-दूसरे को समझकर ये अपनी जिंदगी का निर्णय ले सकें। ज्ञानेंद्र अपनी वाइफ के बारे में बताते हैं कि जब मैंने साक्षी से फेसबुक के थ्रू बात की, तो मैं उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुआ। फिर धीरे-धीरे हम दोस्त बन गए और तय किया कि अब फेस टू फेस मिला जाए। तब कहीं जाकर हमने शादी करने का फैसला किया। अप्रैल में हमारी शादी हुई है, मैं पत्नी के साथ अभी दिल्ली रह रहा हूं और शादी में जल्दबाजी न करने के अपने फैसले से खुश हूं।

- ज्ञानेंद्र

व्हाट्सएप फेसबुक के जरिए चैटिंग करके एक दूसरे को समझने की कोशिश करते है युवा

शादी करने का फैसला झट से लेने पर नहीं करते विश्वास

BAREILLY:

बदले जमाने का वह दौर भी अब गुजर गया जब शादी से पहले लड़की-लड़के दो मिनट अकेले बात करने का मौका दिया जाता था और छोटी-सी मुलाकात में वह जीवन का बड़ा फैसला लिया करते थे। वजह यह भी थी कि रिश्ते ज्यादातर रिश्ते-नातेदारियों से ही आते थे। अब जब शादी के बंधन की डोर मेट्रीमोनियल एड से जुड़ रही है तो शादी पर अंतिम मुहर लगाने का लड़के-लड़कियों का तरीका भी बदल गया है। इसके लिए अब वह दो मिनट की बजाय सोशल साइट्स पर एक लंबा वक्त बिताकर एक-दूसरे को जानते-समझते हैं। फिर कहीं जाकर वह रिश्ते के लिए हामी भरते हैं।

चैटिंग बन रहा मददगार

अरेंज मैरिज करने में विश्वास रखने वाले युवक युवती जिंदगी का इतना बड़ा फैसला लेने में अब ज्यादा वक्त लेते हैं। ये न सिर्फ एक-दूसरे को वैचारिक स्तर पर परखना चाहते है, साथ ही उस व्यक्ति से भावनात्मक जुड़ाव की भी कोशिश करते हैं। इसके लिए युवक-युवती अब न सिर्फ कम से कम दो-तीन मीटिंग करते हैं। बल्कि, टेक्स्ट मैसेज से चैटिंग करके ये एक-दूसरे की पसंद नापसंद के बारे में जानकारी लेकर अपना फैसला ले रहे हैं।

फेसबुक फ्रैंडशिप के बाद बन रहे पार्टनर

अरेंज मैरिज करने वाले युवक-युवती अब फेसबुक फ्रैंडशिप के जरिए अपना फ‌र्स्ट कम्यूनिकेशन शुरू करते हैं। यहां से न सिर्फ ये एक-दूसरे की प्रोफाइल आसानी से जान पाते हैं। बल्कि इससे इन्हें एक-दूसरे के फ्रेंड व सोशल सर्किल को भी समझने का मौका मिलता है। इस बाबत मोहित कहते हैं, कि फेसबुक के पोस्ट से ही किसी भी व्यक्ति की पर्सनॉलिटी का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए मैंने अपनी वाइफ से शादी से पहले फेसबुक पर काफी दिन चैट की इसके बाद ही शादी का फैसला किया।

चैटिंग हेल्पफुल, लेकिन मीटिंग है जरूरी

कहते है कि किसी की आंखों में झांककर उसके अंदर की सच्चाई को समझा जा सकता है। इसलिए ही लोग सिर्फ फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज में चैटिंग करके ही फैसला करने में विश्वास नहीं कर रहे। बल्कि ये बाकायदा मिलने मीटिंग अरेंज करके एक-दूसरों को आपने सामने परखते हैं।