नगर निकाय चुनाव में छिपे मुद्दे
नगर निगम चुनाव में तमाम मुद्दों को लेकर प्रत्याशियों में जंग छिड़ी हुई है। चर्चा परिचर्चा, आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन इन मुद्दों के अलावा कई ऐसे मुद्दे भी हैं, जिन पर किसी का ध्यान नहीं है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आज आपको ऐसे ही कुछ मुद्दों के बारे में बताएगा। जो इस कदर छिपे हुए हैं कि जिन पर किसी की निगाह तक नहीं पहुंच रही। पहले दिन आपको नगर निगम द्वारा संचालित दो स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर और एजुकेशन के बारे में बताएंगे। जहां से पढ़कर पूर्व में उपराष्ट्रपति, वर्तमान में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री, उप्र राज्य वित्त मंत्री एवं साहित्यकार बने हैं, लेकिन आज यह स्कूल खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। आइए बताते हैं कि आखिर क्या है स्थिति
BAREILLY:
बरेली का पहला स्कूल होने का गौरव ईस्ट मेमोरियल इंग्लिश स्कूल को हासिल है, जो वर्ष 1869 में बना था। जिसे अब मौलाना आजाद इंटर कॉलेज के नाम से जानते हैं। दूसरा, वेस्ट मेमोरियल इंग्लिश स्कूल 1870 में बना था। जिसे तिलक इंटर कॉलेज के नाम से पहचाना जाता है। तो वहीं, नगर निगम द्वारा संचालित कस्तूरबा गर्ल्स इंटर कॉलेज लीज की बिल्डिंग में संचालित हुआ है। करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह स्कूल आज खंडहर हो चुके हैं। देश की आजादी में अपना अहम योगदान देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी समेत बड़े नेताओं को पढ़ाने वाले शिक्षा के मंदिर उपेक्षा के किस कदर शिकार हैं, इनकी बिल्डिंग ही बयां कर रही है।
सब कुछ हो गया है जर्जर
सैटरडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने कॉलेजेज का रियलिटी चेक किया। बाहर से खंडहर की तरह दिखने वाले यह कॉलेज अंदर से भी जर्जर हो चुके हैं। इनमें मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। हैंडपंप सूख चुके हैं। जलकल के टैंक से प्यास बुझाई जा रही है। गंदगी के अंबार में लिपटे शौचालयों के दरवाजे टूटे हैं। क्लास रूम में प्लास्टर गिर रहा है। छत पर उगे पीपल के पौधों की जड़े छत तोड़कर क्लासरूम तक में पहुंच गई हैं। तो वहीं, कई क्लास रूम के अंदर भी पौधे उगे हुए हैं। बैठने के लिए फर्नीचर की उपलब्धता करीब 35 परसेंट कम है, जो हैं वह जर्जर स्थिति में हैं। लैब किसी कबाड़ रूम से लगते हैं। प्ले ग्राउंड में रोड़े और झाडि़यां उगी हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर
फर्नीचर - स्टूडेंट्स के सापेक्ष फर्नीचर करीब 40 परसेंट कम हैं। जो हैं वह जर्जर हो चुके हैं। 2 सौ नए स्टडी टेबल और चेयर की जरूरत है।
टॉयलेट - हाल ही में नए टॉयलेट बनाए गए हैं लेकिन वह बेहद गंदे हैं। दरवाजे टूटे हुए हैं। कई शौचालय प्रस्तावित हैं।
भवन - स्कूल बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर है। करीब 6 कमरों पर छत तक नदारद है। प्रिंसिपल कक्ष के अलावा सभी क्लास रूम जर्जर हैं।
पेयजल - शुद्ध पेयजल के नाम पर यहां सप्लाई और नगर निगम टैंक का पानी है। हैंडपंप हैं, लेकिन उनका दम फूल रहा है।
लाइब्रेरी - विद्यालय की लाइब्रेरी में किताबों का टोटा तो है ही साथ ही, जो हैं भी वह उचित रखरखाव न होने से गल रही हैं।
प्रैक्टिकल लैब - स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल नॉलेज के लिए बनाई गई लैब कबाड़घर हो चुकी है। स्कूल में लैब पर तालाबंदी है।
एजुकेशन
तिलक इंटर कॉलेज
- क्लास 6 से 12वीं
- 600 स्टूडेंट्स
- 24 टीचर्स व अन्य स्टाफ
- 2015-16 में सौ परसेंट रिजल्ट
- 2016-17 में हाईस्कूल 80 और इंटरमीडिएट 95 परसेंट
- इंटरमीडिएट में पीसीएम और कॉमर्स हैं सब्जेक्ट्स
मौलाना आजाद इंटर कॉलेज
- क्लास 6 से 12वीं
- 357 स्टूडेंट्स
- 23 टीचर्स व अन्य स्टाफ
- 2015-16 सत्र में सौ परसेंट रिजल्ट
- 2016-17 सत्र में सौ परसेंट रिजल्ट
- इंटरमीडिएट में पीसीएम और कॉमर्स हैं सब्जेक्ट्स
कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर जर्जर है लेकिन इसके रनोवेशन किया जा रहा है। अब तक 1 करोड़ की लागत से रेनोवेशन हुआ है। कुछ कमियां हैं जो ठीक की जा रही हैं।
डॉ। हरिओम मिश्र, प्रिंसिपल, तिलक इंटर कॉलेज
ज्यादातर क्लासरूम्स का रेनोवेशन हो चुका है। लैब और लाइब्रेरी अभी जर्जर है। क्लासेज का ओवरआल रिजल्ट बेहतर है। रेनोवेशन हो रहा है जल्द ही कॉलेज का कायाकल्प हो जाएगा।
डॉ। सुनीति शर्मा, प्रिंसिपल, मौलाना आजाद इंटर कॉलेज