इलाज के साथ बढ़ गई बीमारी,

बीच में इलाज छोड़ने से एमडीआर का खतरा बढ़ा,

BAREILLY:

बीते कुछ साल में जानलेवा बीमारी माने जाने वाली टीबी का इलाज आसान और बेहतर हुआ है। बावजूद इसके इस बीमारी ने अपनी जड़ों को गहरा किया है। इलाज न कराने और लापरवाही बरतने के चलते टीबी के मरीजों की तादाद में इजाफा हो रहा। बरेली की तस्वीर भी इस हकीकत से इतर नहीं। बरेली में बीते 5 साल में टीबी मरीजों की तादाद बढ़कर 5,321 हो गई है। वजह इस बीमारी का खतरनाक पहलू इसका एयरबॉर्न डिजीज होना यानि हवा के जरिए तेजी से फैलना है। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक टीबी से इंफेक्टेड एक मरीज साल भर में औसतन 18 लोगों में इस बीमारी के बैक्टीरिया ट्रांसफर करता है।

डॉट सेंटर्स में चूक

टीबी मरीजों के रेगुलर इलाज के लिए सरकार की ओर से डाइरेक्टली ऑब्स‌र्व्ड ट्रीटमेंट, डॉट की योजना शुरू की गई। इसके लिए बनाए गए डॉट सेंटर में मरीजों को सामने ही दवा खिलाने और टीबी का कोर्स कराने की मंशा रही। लेकिन कई डॉट सेंटर में मरीज महीने भर का दवा स्टॉक एक साथ ले जा रहे और कुछ दिन ट्रीटमेंट के बाद सही होने पर कोर्स अधूरा छोड़ रहे। डॉट सेंटर्स की इस चूक और मरीजों की लापरवाही से पिछले कुछ साल में डिस्ट्रिक्ट बरेली टीबी ऑफिस में नए 1215 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।

एमडीआर बनी खतरनाक

टीबी के इलाज के लिए 6 महीने का कोर्स होता है। हर दो महीने में टीबी मरीज की जांच होती है। जिसमें टीबी बैक्टीरिया के होने की पुष्टि होती है। इसके बावजूद अगले 4 महीने तक कोर्स जारी रहता है। लेकिन ज्यादातर मरीज दो महीने तक इलाज के बाद ठीक महसूस होने पर ट्रीटमेंट जारी नहीं करते। इससे मल्टीपल ड्रग रजिजस्टेंस एमडीआर का खतरा बढ़ गया है। जिसमें टीबी की दवा असर नहंी करती। यह एक जानलेवा स्थिति है। पिछले दो साल में बरेली में एमडीआर मरीजों की तादाद 314 के पार पहुंच गई है।

निक्षय से इलाज की मॉनीटरिंग

रिवाइज्ड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम, आरएनटीपीसी के जरिए सरकार टीबी की रोकथाम पर काम कर रही। इसी कवायद के तहत निक्षय प्रोग्राम शुरू किया गया है। बरेली में इस प्रोग्राम के जरिए सभी निजी हॉस्पिटल्स को नोटिफिकेशंस जारी किए गए है। जिसमें निजी हॉस्पिटल्स को अपने यहां आने वाले मरीजों का ब्योरा डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिस में देना जरूरी है। इसके जरिए उन टीबी मरीजों की मॉनीटरिंग भी हो सकेगी जो निजी हॉस्पिटल में इलाज करा रहे। ऐसे मरीजों को भी मुफ्त में जांच व इलाज की सुविधा दी जा रही।

----------------------------

यह जीते तो आप क्यों नही

एक ओर जहां टीबी की बीमारी का कोर्स बीच में ही छोड़ एमडीआर के खतरे के मुहाने पर खड़े मरीज हैं। तो वहीं कई ऐसे भी हैं, जिन्होंने दिक्कतों के बावजूद टीबी से जंग लड़ने की हिम्मत टूटने न दी और पूरा कोर्स कर टीबी को जड़ से मिटाया। करगैना निवासी वीरधर पटेल उम्र 47 साल को अप्रैल 2015 में टीबी की बीमारी हुई। वीरधर ने शुरुआती जांच और इलाज के बाद नवंबर तक टीबी का रेगुलर कोर्स किया और ठीक हुए। वहीं ठिरिया निजावत खां निवासी रहीम उम्र 39 को सितंबर 2015 में कटेगरी टीबी 1 की दिक्कत हुई। इन्होंने 6 महीने तक टीबी कोर्स किया। इसी मार्च में यह पूरी तरह फिट हो गए।

-------------------------

टीबी के लक्षण

- दो हफ्ते से ज्यादा की खांसंी

- इलाज के बावजूद खांसी में राहत नहीं

- रात को पसीना आना

- बुखार होना

- भूख न लगना

- लगातार वजन घटना

----------------------

टीबी में जरूरी जांच

खून की जांच, बलगम की जांच, एक्स-रे, ब्लड शुगर जांच, एचआईवी जांच

ीबी से बचाव

टीबी मरीज के संपर्क में न रहें

मरीज को मास्क पहनाएं, अलग रखें।

छींकने, खांसने के दौरान रुमाल का यूज करें

भीड़ भाड़ वाले एरियाज में जाने से बचें

टीबी का कोर्स बीच में न छोड़ें, पूरा इलाज कराएं

---------------------------------बरेली में 5,321 टीबी मरीजों की शिनाख्त, हजारों अब भी इलाज से बाहर

314 से ज्यादा एमडीआर मरीज