-इस बार पितृ पक्ष में पंचमी क्षय रहेगी, 19 और 20 सितम्बर को रहेगी दो दिन अमावस्या

<-इस बार पितृ पक्ष में पंचमी क्षय रहेगी, क्9 और ख्0 सितम्बर को रहेगी दो दिन अमावस्या

BAREILLYBAREILLY:

पितृ पक्ष या महालया इस बार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा वाले दिन यानि म् सितम्बर से ही शुरू हो जा रहा है। चूंकि पूर्णिमा दिन में क्ख्:0म् बजे तक ही है। इसके बाद क्ख्:07 बजे प्रतिपदा लग जाएगी। उसी के साथ पितृ पक्ष का आरम्भ माना जाएगा, जो क्9 सितम्बर को सर्वपैत्रीय पितृ विसर्जन की आश्विन अमावस्या तक अनवरत चलेगा।

बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा ने बताया भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारम्भ करके आश्विनी कृष्ण अमावस्या तक क्म् दिन पितृों का तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध किया जाता है।

पंचमी तिथि का है क्षय

बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा ने बताया कि इस बार पितृ पक्ष 07 सितम्बर से आरम्भ हो रहा है। परन्तु 07 सितम्बर को मध्याह्न में प्रतिपदा न मिलने से प्रतिपदा का श्राद्ध 0म् सितम्बर को किया जाएगा। इस बार पंचमी तिथि क्षय है एवं अमावस्या दो दिन क्9 एवं ख्0 सितम्बर को है। क्9 सितम्बर को सर्वपैत्रीय पितृ विसर्जन की आश्रि्वन अमावस्या के श्राद्ध के साथ पितृ विसर्जन होगा। प्रतिमाह पड़ने वाली स्नान दान की अमावस्या का ख्0 सितम्बर को माना जाएगा।

लोहे के पात्र से न दें जल

श्राद्ध में सात महत्वपूर्ण चीजें हैं- दूध, गंगाजल, मधु, तसर का कपड़ा, दौहित्र, कुतुप (दिन का आठवां मुहूर्त) और तिल। श्राद्ध में लोहे के पात्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए, सोने, चांदी, कांस्य और तांबे के पात्र सबसे सही माने जाते हैं।

कैसे करें श्राद्ध:-

श्राद्धपक्ष में श्राद्ध वाले दिन प्रात:काल घर को स्वच्छ कर पुरुषों को सफेद वस्त्र एवं स्त्रियों को पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करना चाहिए। श्राद्ध का उपयुक्त समय कुतुपकाल मध्याह्न होता है। भोजन सामग्री बनाने के बाद हाथ में कुश, काले तिल और जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके संकल्प लेना चाहिए, जिसमें अपने पितृों को श्राद्ध ग्राह्य करने के लिए इनका आह्वान करने और श्राद्ध से संतुष्ट होकर कल्याण की कामना करनी चाहिए। तत्पश्चात् जल, तिल और कुश को किसी पात्र में छोड़ दें एवं श्राद्ध के निमित्त तैयार भोजन साम्रगी में से पंचवली निकालें। देवता के लिए किसी कण्डे अथवा कोयले को प्रज्ज्वलित कर उसमें घी डालकर थोड़ी-थोड़ी भोजन सामग्री अर्पित करनी चाहिए। शेष बलि जिनके निमित्त है उन्हें अर्पित कर देनी चाहिए। इसके पश्चात ब्राह्माणों को भोजन करवाना चाहिए, जिसमें ब्राह्माणों को अपना पितृ मानते हुए ताम्बूल और दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए और उनकी चार परिक्रमाएं करनी चाहिए, साथ ही श्रद्धा के अनुसार उन्हें दान करना चाहिए। श्राद्ध काल में इन मंत्रों का जाप करना पितृ दोष से शांति करवाता है। इन्हें श्राद्ध काल में प्रतिदिन क्08 बार जप करना चाहिए।

मंत्र - ऊं सर्व पितृ प्रं प्रसन्नों भव ऊँ।

ऊँ ह्मों क्लीं ऐं सर्व पितृभ्यो स्वात्म सिद्धये ऊं फट।