- बिजली विभाग का अभियान बना मजाक कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

-24 टीमें दस दिनों में शहर में सिर्फ एक बिजली चोर को पकड़ने में हुई कामयाब

>BAREILLY:

शहर में जिस शोर शराब के साथ बिजली विभाग ने कटियाबाजों पर नकेल कसने के लिए अभियान शुरू किया उसकी हवा भी उतनी ही तेज निकल गई। अभियान का शोर होते ही बिजली चोर 'लापता' हो गए। इसकी हकीकत खुद बिजली विभाग का अभियान बयां कर रहा है। पिछले दस दिनों में बिजली विभाग की 24 टीमें पूरे जोन में महज तीन कटियाबाजों को ही पकड़ सकी हैं। जबकि, लाइन लॉस तो उसी तरह हो रहा है। ऐसा भी नहीं है कि कटियाबाज न मिलने से बिजली की चोरी में कोई कमी आई है। लाइन लॉस की स्थिति पहले जैसी ही है। ऐसे में विभाग के अभियान और उसकी मंशा पर सवाल उठता है कि टीमें बिजली चोरों को पकड़ नहीं रही हैं या फिर लाइन लॉस की वजह कुछ और ही है।

गांव से लेकर श्ाहर 'चोर'

बिजली विभाग के मुताबिक सिर्फ शहर में 450 मेगावॉट बिजली आपूर्ति की जाती है। जबकि बिजली चोर इसमें से करीब 30 फीसदी बिजली पर कुंडली मार कर बैठ जाते हैं। जबकि ग्रामीण इलाकों में भी लाइन लॉस करीब 30 फीसदी है। इससे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि शहर से लेकर रूरल एरिया तक बिजली चोर सक्रिय हैं, लेकिन विभाग के हाथ बिजली चोर नहीं आ रहे हैं। यही हाल पूरे जोन यानि शाहजहांपुर और बदायूं में भी है। बिजली चोरी हो रही है लेकिन विभाग अभियान चलाने के बावजूद बिजली चोरी रोकने में नाकामयाब साबित हो रहा है।

तीन पर लिया एक्शन

शासन के निर्देश पर बिजली विभाग ने लाइन लॉस रोकने के लिए 24 टीमों का गठन किया है। इसमें तीन एक्सईएन, 6 एसडीओ, 14 जेई परमानेंट और संविदा मिलाकर 122 लाइनमैन कर्मचारी लगाए गए हैं। टीमों ने गत 21 जुलाई से अभियान शुरू कर दिया है और यह कॉम्बिंग 21 सितम्बर तक चलनी है। अब तक 9 दिनों तक अभियान चला है। इसमें बिजली विभाग को जो कामयाबी मिली है। वह ऊंट के मुंह में जीरा जैसी है। अभियान के दौरान बिजली विभाग को बमुश्किल पूरे बरेली में सिर्फ एक बिजली चोर मिला है। जबकि पूरे जोन में तीन बिजली चोर विभाग के हाथ आया है और विभाग ने उनपर कार्रवाई की। जबकि टीम ने अब तक 13 फीडर के अंतर्गत टोटल 770 उपभोक्ताओं घर चेकिंग की है।

ऐसे कैसे पकड़े जाएंगे चोर

अभियान की रफ्तार से देखकर यह साफ हो गया है कि न तो लाइन लॉस रुकेगा और न ही बिजली का बिल देने वाले उपभोक्ताओं को ज्यादा बिजली मिलेगी। विभाग के पास लाइन लॉस रोकने और बिजली चोरों पर कार्रवाई करने के लिए दो महीने का वक्त मिला है। इसमें अभियान में लगी टीम घर-घर जाकर 9 दिन में महज 770 लोगों के यहां जाकर ही चेकिंग कर सकी है। इस हिसाब से पूरे महीने में टीम ज्यादा से ज्यादा 3 हजार लोगों के यहां की चेकिंग कर पाएगी। वहीं दो महीने में यह आंकड़ा 6 हजार होगा। जबकि, सिर्फ डिस्ट्रिक्ट में ही विभाग के 4 लाख से अधिक उपभोक्ता हैं। अब ऐसे में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि विभाग अभियान महज खानापूर्ति और शासनादेश मानने भर तक सीमित है।

कैसे रुकेगा लाइन लॉस

विभाग को जिम्मेदारी मिली है कि 30 परसेंट लाइन लॉस को रोके और इसे कम से कम 15 परसेंट करे लेकिन जिस हिसाब से अभियान चल रहा है। उससे तो लाइन लॉस एक दो फीसदी भी नीचे नहीं आ सकेगा। जबकि पूरी डिस्ट्रिक्ट में कटिया का जाल बिछा हुआ है। लेकिन विभाग को बिजली चोर मिल ही नहीं रहे हैं।

इनके भराेसे अभियान

- बरेली जोन में टोटल कर्मचारी- 240

- 24 टीम

- 3 एक्सईएन शहर में

- 6 एसडीओ

-14 जेई

- 122 लाइनमैन

यहां होती है ज्यादा चोरी

शहर - शाहमतगंज, कटराचांद खां, बड़ा बाजार, नॉवेल्टी, जगतपुर, कोहाड़ापीर। मठ की चौकी।

रूरल - आंवला टाउन, फरीदपुर, नवाबगंज, जलालाबाद, बीसलपुर, उझानी और तिलहर।

शहर को रोजाना मिल रही बिजली - 450 मेगावॉट।

- टोटल लाइन लॉस - सप्लाई का 30 परसेंट।

- 10 परसेंट टेक्निकल और 20 परसेंट बिजली चोरी।

घर-घर जाकर अभियान चलाने से समय ज्यादा लग रहा है। बरेली जोन में 240 कर्मचारी कॉम्बिंग में शामिल हैं। कॉम्बिंग का मेन मकसद लाइन लॉस को रोकना है।

वीके शर्मा, चीफ इंजीनियर, बिजली विभाग