- शहर के रिटेलर्स बने दाल के मुनाफाखोर

- दाल मिलर्स मंगा रहे 145 रुपए प्रति केजी

- रिटेलर्स बेच रहे 110 से 142 रुपए केजी

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ:

अरहर की दाल मुनाफाखोरों के मुट्ठी में फंस गई है। सरकार के कड़े रुख से भले ही शहर में दाल के रेट में कमी आई है, लेकिन इसके रेट में व्यापारियों का खेल समझ से परे नजर आ रहा है। क्योंकि राहत केंद्र से लेकर बाजार में अरहर की दाल अलग-अलग रेट पर बिक रही है। 145 रुपए किलो मिल रही है। जबकि, बाजार में इससे भी कम रेट पर अरहर की दाल बिक रही है।

दुकानदार बने मुनाफा खोर

सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक दुकानदार ज्यादा मुनाफा पाने के चक्कर में ऐसा कर रहे हैं। जो, दाल थोक में दाल मिलर्स को 145 रुपए प्रति केजी मिल रही है वह रिटेलर्स के यहां इससे कम दाम में कैसे पहुंच रही है। ऐसा तो है नहीं कि दाल की सप्लाई करने वाले व्यापारी इन दाल मिलर्स से ज्यादा रिटेलर्स पर मेहरबान है। यह एक सोचने वाली बात होगी। न तो मुम्बई पोर्ट और न ही सरकार द्वारा जब्त दाल ही रिलीज हो सकी है। फिर, रिटेलर्स अपने मनमुताबिक रेट पर दालों की बिक्री कर रहे है।

तो मुनाफा खोरों की होगी बल्ले-बल्ले

खैर दाल के रेट को लेकर मामला चाहे जो भी हो लेकिन, इसका शिकार हर तरफ से पब्लिक हो रही है। परेशानियों का दौर यही थमने वाला नहीं है। यदि, सरकार द्वारा जब्त 75 लाख क्विंटल दाल जल्द ही रिलीज नहीं होते ही तो फिर जमाखोरों की और बल्ले-बल्ले होने वाली है। क्योंकि, जब्त दाल पब्लिक डिस्टिब्यूशन तक नहीं आ रही है। कानूनी प्रक्रिया के तहत दाल के रिलीज होने में अभी टाइम है। ऐसे में मुनाफा खोर पहले से होल्ड कर रखे दाल पर मनमाना रेट लोगों से वसूल सकते है।

जब्त अरहर की दाल सरकार से अभी रिलीज नहीं हुई है। हम लोग आस-पास के शहरों से 145 रुपए प्रति केजी दाल मंगा रहे है। दाल मिलर्स ने सिर्फ राहत सेंटर पर लोगों को 140 रुपए प्रति केजी दाल मुहैया कराने के लिए दिया है। मार्केट में 140 से भी नीचे दाल कैसे मिल रही है समझ रहे परे है।

सुरेश चंद्र जैन, महामंत्री, बरेली दाल मिलर्स एसोसिएशन