-25 वर्ष पहले ही पूरी हो चुकी है रामगंगा रेलवे पुल की मियाद

- 24 वर्ष में मात्र एक बार रेलवे पुल को किया गया रेनोवेट

BAREILLY:

देश भर में रेलवे के 37,000 पुल 100 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं और उन पर ट्रेनों के संचालन से हादसे का डर बना रहता है। इस रिपोर्ट के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने बरेली और आसपास के इलाकों में रेलवे के ऐसे पुलों की पड़ताल की जो अंग्रेजों के जमाने के बने हैं, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 7 पुलों की स्थिति जर्जर है। इनमें से रामगंगा रेलवे पुल तो 25 वर्ष पहले अपनी मियाद पूरी कर चुका है। 24 वर्षो में इसकी एक बार सिर्फ मरम्मत हुई है। यही वजह है कि इन पुलों के पास पहुंचते ही ट्रेनें रेंगने लगती हैं। लिहाजा, ट्रेनों को कॉशन के भरोसे गुजारा जा रहा है। रेलवे अधिकारियों की इस लापरवाही के कारण इन जर्जर पुल पर किसी भी वक्त बड़ा रेल हादसा हो सकता है।

1853 में बना था रामगंगा रेलवे पुल

रामगंगा पुल से एनआर और एनईआर रेलवे की ट्रेनें गुजरती हैं। 670 मीटर लम्बे इस पुल पर ट्रेनों की गति मात्र 15 से 20 किमी। प्रति घंटा के बीच होती है। जबकि 1853 में जब इस पुल का निर्माण किया गया था, तब पुल पर ट्रेन की गति 50 से 60 के बीच में थी। 1993 में इस पुल की मियाद खत्म हो चुकी है। जिसके बाद 2005-2006 में इसे रेनोवेट किया गया, लेकिन पुल रेनोवेट कराने में अधिकारियों ने खेल कर दिया, जिसका नतीजा यह है कि 1993 से ट्रेनों को कॉशन पर गुजारा जा रहा है। जबकि, रामगंगा रेलवे पुल से रोजाना दो दर्जन से अधिक ट्रेनें अप-डाउन करती हैं। जिनमें 50 हजार से अधिक यात्री सवार रहते हैं। फिर भी रेलवे अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा है।

गर्डर हो गए हैं खराब

एनआर और एनईआर के अंतर्गत आने वाले रेल पुल का एक जैसा ही हाल है। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद वाया बरेली-लखनऊ रेलखंड के बहगुल, किला, नकटिया और गर्रा सहित अन्य रेल पुल की मियाद खत्म हो चुकी है। साथ ही एनईआर के बरेली-बदायूं रेलखंड के बितरोई, मानपुर, नकटिया और रामगंगा ओवरब्रिज के गार्डर खराब हो गये हैं। इन पर भी कॉशन लगा हुआ है। जिन पर बरेली से गंतव्य स्थान जाने के लिए रोजाना 200 से अधिक ट्रेनें गुजर रही हैं।

कॉशन से ट्रेनें हो रही लेट

कॉशन लगे होने की वजह से ट्रेनों की गति भी कम हो गई है। इन रेल पुल से 15-20 किमी। प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेनें कॉशन से गुजारी जा रही हैं। लिहाजा, ट्रेनों के लेट होने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रेल पुल की मरम्मत के लिए इंजीनियर्स की टीम ने मुख्यालय रिपोर्ट बना कर भेजी थी, लेकिन मुख्यालय से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया। लिहाजा रेल पुलों के जीर्णोद्धार का काम भी नहीं शुरू हो पा रहा है।

बॉक्स

- रामगंगगा, बहगुल, किला, नकटिया, गर्रा, बितरोई और मानपुर प्रमुख रेल पुल हैं।

- अधिकतर रेल पुलों के गार्डर हो चुके हैं खराब।

- 1853 में बनाया गया था रामगंगा रेलवे पुल।

- 670 मीटर है रामगंगा रेलवे पुल की लम्बाई।

- 1993 में मियाद हो चुकी हैं खत्म।

- 2005-2006 में किया गया था रेनोवेट।

- 15 से 20 किमी। प्रति घंटे के कॉशन से गुजरती हैं ट्रेनें।

जहां भी रेलवे ट्रैक कमजोर या खराब हैं, उसे सही किया जा रहा है। रेलवे पुल के रेनोवेट को लेकर भी मुख्यालय को अवगत कराया गया है।

विनय सिंह, पीडब्ल्यूआई, बरेली जंक्शन