- जंक्शन के पीने के पानी में सबसे अधिक टीडीएस मिला

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ:

शहर के रेलवे स्टेशनों पर जिस पानी को आप शुद्ध समझकर पी रहे हैं, वह दूषित है। इस पानी को पीने के बाद पेट जनित बीमारियां होना तय है। सफर के दौरान इस पानी को पीकर लोग बीमार भी पड़ रहे हों तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पानी में टोटल डिजॉल्व सॉलिड (टीडीएस) की जो मात्रा है, वह आपको बीमार करने के लिए काफी है। इस बात का खुलासा दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट में हुआ, जिससे रेलवे प्रबंधन की पोल खुल गई

पीने योग्य नहीं जंक्शन का पानी

रेलवे जंक्शन का पानी पीने योग्य नहीं है। जिस पानी को रेलवे प्रबंधन ने शुद्ध पेयजल लिखा है, उसकी जांच की गई तो टीडीएस का लेवल नॉर्मल से तीन गुना अधिक 354 पाया गया। हैरत की बात है कि पानी की शुद्धता को लेकर अफसरों को ध्यान ही नहीं है।

सिटी स्टेशन के पेयजल में 'जहर'

सिटी स्टेशन पर तकरीबन दो दर्जन पानी के टैप लगे हुए है, जिन पर एक ही टैंक से पानी की सप्लाई की जाती है। इस पानी से प्यास बुझे न बुझे बीमार होना तय है। क्योंकि यहां भी पानी में टीडीएस लेवल 344 पाया गया।

डीआरएम के स्टेशन पर गड़बड़ी

इज्जतनगर स्टेशन के पानी में टीडीएस का लेवल 326 पाया गया। जो कि स्टैंडर्ड लेवल से दो गुना से अधिक है। स्टेशन पर पानी की शुद्धता का आलम तब है कि यहां डीआरएम से लेकर सभी अफसर बैठते हैं।

हार्डनेस अधिक होने से बीमारी का खतरा

पीने के पानी में कैल्शियम और मैग्नीशियम का परसेंटेज टीडीएस लेवल 40-120 से अधिक होता है उनमें हार्डनेस होती है। इस पानी को लगातार पीने से स्टोन का खतरा रहता है। इसके साथ ही लीवर कैंसर, गैस की प्रॉब्लम्स जैसी कई बीमारियां आ घेरती हैं। जंक्शन और स्टेशन के पानी में टीडीएस अधिक होने का कारण बैक्टीरिया मारक लिक्विड का इस्तेमाल समय-समय पर नहीं होना है। स्टोर पानी को कई दिनों तक बॉटलिंग किया जाता है। जबकि, वाटर टैंक की हर तीन-चार महीने पर साफ-सफाई होनी चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है।

50 हजार से अधिक यात्रियों का आवागमन

जंक्शन, सिटी और इज्ज्तनगर स्टेशन से होकर रोजाना 300 से अधिक ट्रेनें अपने गंतव्य स्थान को जाती है। अकेले जंक्शन से ही रोजाना 200 सुपरफास्ट, एक्सप्रेस और पैसेंजर्स ट्रेनें अप-डाउन करती हैं। इन ट्रेनों से 50 हजार से अधिक यात्री आते-जाते हैं। चूंकि, जंक्शन पर लगा वाटर वेंडिंग मशीन लाइसेंस फीस जमा नहीं होने से ताला लटक गया और प्लेटफॉर्म पर बिकने वाली विभिन्न कंपनियों के पानी की बोतल सब नहीं खरीद पाते हैं। लिहाजा, ज्यादातर यात्री प्लेटफॉर्म पर बने वाटर बूथ पर ही डिपेंड होते हैं।

रेलवे स्टेशन के पानी के सैंपल की जांच में टीडीएस अधिक पाया गया, जो कि पीने योग्य नहीं है। बरेली में करीब 65 परसेंट लोगों के घरों में ही आरओ लगे हुए हैं। बाकी लोग डायरेक्ट टैंक या हैंडपम्प का ही पानी पी रहे हैं। तीनों

मयंक अग्रवाल, एक्सपर्ट

स्टेशन पर रोजाना हजारों यात्री आते -जाते हैं। ऐसे में पानी की शुद्धता पर रेलवे प्रबंधन को ध्यान देना चाहिए। क्योंकि, ज्यादातर बीमारियां गंदा पानी पीने से ही होती हैं।

शकील कुरैशी

यात्रियों की वजह से रेलवे को काफी आमदनी होती है। ऐसे में उसकी सुविधा का भी ध्यान रेलवे को देना चाहिए। वाटर वेंडिंग मशीन पहले से ही बंद चल रही है। ऊपर से वाटर बूथ पर गंदा पानी सप्लाई की जा रही है।

नीरज अरोड़ा