यूपी से सेलक्टेड 12 स्मार्ट सिटीज में एक को भी पहली लिस्ट में जगह नहीं

चुनावी राजनीति का शिकार होने की आशंका, पिछड़ जाएगी स्मार्टनेस की अलख

BAREILLY:

केन्द्र सरकार की ओर से देश की पहली 20 स्मार्ट सिटीज की लिस्ट जारी किए जाने के साथ ही बरेली की उम्मीदें भी फिलहाल टूट गई हैं। वहीं यूपी से चुने गए कुल 12 शहरों में से एक का भी स्मार्ट सिटी की पहली लिस्ट में शामिल न हो पाना प्रदेश के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा। वजह चाहे प्लानिंग में कमी रही हो या फिर राजनीतिक दांव पेंच, बहरहाल सुरमे के शहर बरेली को स्मार्ट बनते देखने की जनता और सरकारी मशीनरी की हसरतें भी इन्हीं टूटी उम्मीदों का हिस्सा बन गई हैं। इसी के साथ ही बरेली को पिछले एक साल से बेहतर बनाने की योजनाओं को भी झटका लगा है। इससे स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद में बरेली में शौचालय, सफाई और सौन्दर्यीकरण की मुश्किल से जो अलख जगी थी, इस पर भी असर पड़ना तय है।

क्वालिटी ऑफ लाइफ में फिसले

केन्द्र सरकार की ओर से 97 में से जिन 20 शहरों को पहले फेज में स्मार्ट सिटीज चुना गया है, उनका चयन डेवलेपमेंट और प्लानिंग के आधार पर किया जाना बताया गया है। इसमें शहरी जनता को क्वालिटी ऑफ लाइफ मिलने, शहर में इनवेस्टमेंट और रोजगार के अवसर तीन मुख्य कारण हैं। क्वालिटी ऑफ लाइफ के तहत लोगों को कम लागत में आवासीय सुविधा मिलने, शहर में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर होने, लोगों को 24 घंटे बिजली-पानी की सुविधा, प्रॉपर सेफ्टी, एंटरटेनमेंट व स्पो‌र्ट्स के साधन, आस पास के एरियाज से तेज कनेक्टिविटी और एजुकेशन समेत हॉस्पिटल की सुविधा भी रखी गई। जिनमें से सेफ्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली-पानी, एजुकेशन, किफायती आवासीय सुविधा व एजुकेशन समेत रोजगार के मुद्दों पर बरेली मानकों पर खरा नहीं उतरा।

एलईडी-सीसीटीवी रहा सपना

बरेली को स्मार्ट सिटी का अमली जामा पहनाने के लिए जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया उसे बनाने की जिम्मेदारी अहमदाबाद की अर्बन मैनेजमेंट सेंटर एजेंसी को दी गई। एजेंसी ने कई वर्कशॉप के बाद जनता से मिले सुझावों के आधार पर रामगंगा आवासीय योजना को डेवलेप किए जाने, पैन सिटी डेवलेप करने और स्ट्रीट लाइट्स के तौर पर एलईडी लाइट्स समेत सीसीटीवी के यूज को प्रोजेक्ट में प्रियॉरिटी लिस्ट में रखा। बरेली के पहली लिस्ट में शामिल न होने से एलईडी-सीसीटीवी व वाई फाई की सुविधा फिलहाल सपना ही रहेगी। वहीं बीडीए की रामगंगा आवासीय योजना को करोड़ों के निवेश से और भी बेहतर बनाने की योजना भी फिलहाल अटक गई है।

बेकार गई जन-जागरुकता

केन्द्र सरकार ने स्मार्ट सिटी चुने गए शहरों के प्रोजेक्ट में जनता की भी सीधी भागीदारी तय की थी। इसके लिए केन्द्र सरकार के mygov.in पोर्टल पर स्मार्ट सिटी चुने गए शहरों के लिए पब्लिक पोलिंग, डिबेट और निबंध लेखन की व्यवस्था की गई। जिसके जरिए जनता को अपने शहर को स्मार्ट बनाने के सुझाव देने थे। निगम ने कॉलेज व स्कूल लेवल से लेकर व्यापारी वर्ग, सरकारी विभागों और समाज के अन्य वर्गो को स्मार्ट बरेली बनाने के लिए सुझाव देने को अवेयरनेस मुहिम भी चलाई। इसी कड़ी में निगम की ओर से प्राइज तक बांटे गए। लेकिन निगम की यह सारी मुहिम परवान न चढ़ सकी और धरी की धरी रह गई।

राजनीित निगल गई स्मार्ट सिटीज

देश के जिन 20 शहरों को स्मार्ट सिटीज में शामिल किया उनमें यूपी ही नहीं बिहार, उत्तराखंड, झारखंड और पं। बंगाल से भी एक भी शहर शामिल नहीं है। इनमें झारखंड को छोड़ किसी भी राज्य में भाजपा के विपक्षी दलों की सरकार है। वहीं भाजपा शासित मध्य प्रदेश के तीन शहरों जबलपुर, इंदौर व भोपाल को स्मार्ट सिटीज की पहली लिस्ट में जगह मिल गई है। इससे स्मार्ट सिटीज के चयन पर केन्द्र सरकार का फैसला सवालों के घेरे में आ गया है। स्मार्ट सिटी की लिस्ट को बिहार विस चुनाव में भाजपा का हालिया हार और इस साल पं। बंगाल व अगले साल यूपी में होने वाले विस चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा।

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स्मार्ट सिटीज चुनने का क्राइटिरिया क्या रहा यह साफ होना चाहिए। यूपी, बिहार समेत पं। बंगाल व उत्तराखंड से एक भी शहर का न चुने जाने के पीछे राजनीतिक वजह हो सकती है। यूपी से कम से आगरा व बनारस को तमाम मानकों से इतर हेरिटेज सिटीज के आधार पर ही चुना जाना चाहिए था। आगामी चुनावों को देखते हुए लिस्ट में भेदभाव से इंकार नहीं किया जा सकता।

- डॉ। आईएस तोमर, मेयर