ये तो chemical लोचा है

न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक जब किसी के ब्रेन में न्यूरो केमिकल्स सिरोटोनिन, न्यूरो एड्रिलिन और डोपामिन बनने का बैलेंस बिगड़ जाता है तो ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर के रूप में ही सामने आता है। इस डिसबैलेंस के चलते ही वह गल्र्स को घूरने के लिए ऑब्सेसिव हो जाते हैं। ऐसा मैक्सिमम केसेज में ब्वॉयज तभी करते हैं, जब वह कहीं अकेले होते हैं। केमिकल डिसबैलेंस होने पर ब्वॉयज का सेल्फ कंट्रोल कम होता जाता है और गलत जानते हुए भी वह इसे रिपीट करते हैं। जब वह स्टेयरिंग नहीं करते हैं, तो रेस्टलेस हो जाते हैं।

Mental stripping है खतरनाक

साइकेट्रिस्ट के मुताबिक, जब ऑब्सेशन की पैथोलॉजी काफी बढ़ जाती है तो इससे ग्रसित यूथ मेंटल स्ट्रिपिंग के शिकार होने लगते हैं। इस केस में वह किसी भी लड़की को देर तक घूरते हैं। इसे मेल गेज या ऊगल कहते हैं। तमाम केसेज में ऊगल एक अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि इस केस में इंटेंशंस रांग होते हैं। मेंटल स्ट्रिपिंग के के स में देर तक किसी लड़की को घूरने के बाद उसे न्यूड रूप में इमेजिन करने की कोशिश करता है। इमेजिनेशन में हिंड्रेंस आने पर इरिटेट होता है और क्रिमिनल ऑफेंस की ओर बढ़ जाता है।

Girls में बढ़ रहा डर

ब्वॉयज में इस तरह के बढ़ते डिसऑर्डर्स ने सिटी की गल्र्स में डर की भावना पैदा की है। वह घर से बाहर निकलती तो हैं, पर ब्वॉयज की गेजिंग आईज उन्हें डरा ही देती हैं। गल्र्स का मानना है कि इस तरह के मैटर्स में रिएक्ट करना भी ठीक नहीं होता है। जब गेजिंग की घटनाएं बढ़ती हैं तो गल्र्स इस तरह के  ब्वॉयज से दूर हटने की कोशिश करती हैं। वह ऐसे ब्वॉयज को वस्र्ट कैटेगरी में डाल देती हैं।

तो हो जाता है disorder

ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर होने की कई वजह हो सकती हैं। कुछ लोगों में यह बाई बर्थ होता है। ऐसे में पेशेंट्स में यह हेरिड्रिटियल होता है। जो पेरेंट्स के जींस के थ्रू उनमें पहुंचता है। वहीं इसके लिए सोशियो-कल्चरल एनवायरमेंट भी जिम्मेदार है। ब्वॉयज जो सोसाइटी में देखते-सुनते हैं, वहीं उनके  कैरेक्टर में डेवलप होने लगता है।

एनवायरमेंट का इंपैक्ट : ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर होने के केस में इस पर कल्चर और एनवायरमेंट का सबसे ज्यादा इंपैक्ट होता है। मसलन, ब्वॉयज में इस तरह का डिसऑर्डर होने पर वह समाज की सबसे बड़ी कुरीति महिला अपराध के रास्ते पर आगे बढऩे लगे हैं। जबकि, गल्र्स में यह डिसऑर्डर होने पर वह साफ-सफाई के प्रति ऑब्सेसिव हो जाती हैं।

Diagnose करना नहीं आसान

डॉक्टर्स के मुताबिक ब्रेन के इस केमिकल लोचे को डायग्नोज करना आसान नहीं होता है। आम तौर पर न्यूरो केमिकल का डिसबैलेंस होने पर यह किसी टेस्ट के जरिए पता नहीं लगता है। सभी टेस्ट नॉर्मल होते हैं और प्रॉब्लम बनी रहती है। ऐसे में डॉक्टर्स को पेशेंट की प्रॉब्लम समझ कर ही उसे ट्रीटमेंट देना होता है।

Counselling है best treatment

ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर के पेशेंट के लिए काउंसलिंग ही बेस्ट ट्रीटमेंट होता है। उन्हें काउंसलिंग सेशंस के जरिए और घर में बेहतर माहौल प्रोवाइड करके ही ठीक किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि ब्वॉयज को बचपन से ही गल्र्स की रेस्पेक्ट करना सिखाएं, ताकि यह प्रॉब्लम ना हो। प्रॉब्लम ज्यादा बढऩे पर उन्हें एंटी सिरोटोनिन मेडिसिन दी जाती है, जिससे न्यूरो केमिकल का बैलेंस ठीक हो जाता है।

पॉजिटिव चेंजेज भी होते हैं

ऐसा नहीं कि ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर्स के केस में केवल निगेटिव चेंजेज ही दिखाई देते हैं। आम तौर जब कोई स्टूडेंट ज्यादा स्टूडियस हो जाता है या किसी भी पॉजिटिव चीज के लिए ओवर डेडिकेशन रखता है तो यह भी कम्पल्सिव ही होता है। ऐसे डिसऑर्डर्स कई बार पेशेंट को बहुत परेशान कर देते हैं। उसकी लाइफ नॉर्मल नहीं रह जाती है।

"ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर की सबसे बड़ी वजह सोशियो-कल्चरल इंपैक्ट होता है। बढ़ते वीमेन क्राइम के सिनैरियो में ब्वॉयज में इस तरह के डिसऑर्डर होने पर वह ना चाहते हुए भी गल्र्स को घूरते हैं, इतना ही नहीं ऐसा ना करने पर उन्हें तकलीफ होने लगती है। हाल में, इस तरह के केसेज में कुछ बढ़ोतरी भी हुई है। इसके लिए न्यूरो केमिकल्स का डिसबैलेंस जिम्मेदार है"

डॉ। राम सिंह कुशवाहा, न्यूरोलॉजिस्ट

"बढ़ते वीमेन क्राइम के लिए ब्वॉयज में बढ़ रही मेंटल स्ट्रिपिंग सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। इसके लिए पेरेंट्स को प्रीकॉशन लेने की जरूरत है। ऐसा कोई बिहेवियर होने पर ब्वॉयज को काउंसलिंग की जरूरत होती है। उन्हें काउंसिल करके काफी हद तक ठीक किया जा सकता है."

डॉ। नवीन सहाय, साइकेट्रिस्ट

"ब्वॉयज की बिगड़ती हरकतों की वजह से सोसाइटी में वैल्यूज गिर रही हैं। ऐसे ब्वॉयज का नंबर कम ही होता है, पर जो भी होते हैं वह काफी इरिटेट करते हैं। हम जब भी बाहर निकलते हैं। ऐसे ब्वॉयज से अलर्ट रहते हैं। वास्तव में यह सोसायटी के लिए बहुत खराब है."

मनोरमा, स्टूडेंट

"यह सही है कि ब्वॉयज की गलत हरकतों से सोसाइटी का स्वरूप बिगड़ रहा है पर इसके  लिए गल्र्स को भी स्ट्रिक्ट होने की जरूरत है। वह ऐसे ब्वॉयज की कंप्लेन करें, उन्हें पनिश कराएं तो वे इस तरह की हरकतें करना छोड़ देंगे."

श्रद्धा, स्टूडेंट

Report By : Nidhi Gupta