- आरटीओ में दो दिन से इस मामले को लेकर जोरों पर चर्चा

- लोन के बाद भी ट्रांसफर हो गई गाड़ी, मालिक को भी नहीं चला पता

GORAKHPUR: आरटीओ ऑफिस में ऐसे-ऐसे मामले आते हैं जिन्हें सुनकर हर कोई चौंक जाता है। रहा सवाल विवादों का तो इससे भी आरटीओ विभाग का पुराना नाता रहा है। आए दिन किसी ना किसी मामले को लेकर सुलह समझौता यहां होता रहता है। इस समय एक नया मामला आया है जिसमें गाड़ी मालिक का आरोप है कि उसको पता ही नहीं चला और उसकी स्कॉर्पियो यहां से ट्रांसफर हो गई। तारामंडल एरिया के एक कार बाजार में अपनी गाड़ी देख वो चौंक गया। उसने आरटीओ में इस बात की जानकारी दी है।

आदर्श कार बाजार में देखी गाड़ी

पिपराइच के मूल निवासी अभिषेक सिंह तारामंडल एरिया में रहते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले दोस्त को अपनी स्कॉर्पियो किराए पर चलवाने के लिए दी थी। इस दौरान दोस्त ने सर्विसिंग कराने के लिए एक गैराज में गाड़ी दी। अभिषेक सिंह का आरोप है कि तारामंडल एरिया स्थित आदर्श कार बाजार की तरफ से गुजर रहे थे तो वहां उन्होंने अपनी गाड़ी देखी। अंदर जाकर पूछा तो पता चला कि गाड़ी बिकने के लिए लगी है।

अपनी कस्टडी में ली गाड़ी

अभिषेक ने बताया कि उन्होंने वहां तुरंत कागजात दिखाकर अपनी गाड़ी अपने कब्जे में ली। कार बाजार के मालिक ने बताया कि ये गाड़ी उन्होंने किसी संदीप श्रीवास्तव से 2.40 लाख में खरीदी थी। इसके बाद उन्होंने आरटीओ में कागज की जांच कराई तो गाड़ी उनके नाम ना निकलकर बल्कि किसी संदीप श्रीवास्तव के नाम पर शो कर रही थी। सारी बात बताने के बाद आरटीओ में उन्होंने इससे संबंधित फाइल मांगी तो उन्हें बाद में आने को कहकर लौटा दिया गया।

लोन पर है गाड़ी

स्कॉर्पियो पूर्वाचल ग्रामीण बैंक से लोन पर ली गई है। इस गाड़ी पर अभी छह लाख रुपए की देनदारी बाकी है। इसके बावजूद गाड़ी का ट्रांसफर होना विभाग की लापरवाही को दर्शाता है।

कहां से बनाते हैं नो ड्यूज

आरटीओ में पहले से फर्जी नो ड्यूज बनते रहे हैं। फर्जीवाड़ा करने वाले आखिर कहां से फर्जी नो ड्यूज बनवाते हैं इस बात का आज तक नहीं पता चल पाया है। इसके पीछे भी जिम्मेदारों की लापरवाही है। ये बार-बार ऐसे मामलों का समझौता कराकर केस बंद कर देते हैं। जिसकी वजह से आज तक फर्जीवाड़ा करने वालों का पता नहीं चल पाया है।

वर्जन

इस मामले में गाड़ी मालिक की भी गलती सामने आ रही है। उनके साथ ऐसा हुआ है तो उन्होंने आखिर शिकायत पत्र क्यों नहीं दिया। इसके पीछे पैसे के लेन-देन का मामला है जिसकी वजह से ये आरोप लग रहा है।

- श्याम लाल, आरटीओ प्रशासन