गोरखपुर (ब्यूरो).बता दें, सीएम की प्राथमिकता वाली इस परियोजना में ताल के 29 हेक्टेयर हिस्से में सौंदर्यीकरण का कार्य होना है। इसके लिए किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई है। ड्रेजिंग के जरिए ताल को गहरा करने का काम हो रहा है। प्रस्तावित योजना के अनुसार गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर एक किलोमीटर लंबा बांध बनाया जाएगा। इस बांध पर 70 मीटर लंबा घाट और दो नौकायन जेटी बनाई जाएंगी। लोगों के बैठने के लिए पत्थर की सीढिय़ां बनाई जाएंगी। 500 मीटर लंबी सीसी रोड सोलर लाइटिंग की दूधिया रोशनी से जगमग होगी। 7 कियोस्क बनाए जाएंगे, लेकिन इस परियोजना को आगे बढ़ाने के बजाय सिर्फ रामगढ़ताल पर फोकस है। जबकि शहर के उत्तरी छोर पर विकास होने से गोरखनाथ, महेसरा, पीपीगंज, राजेंद्रनगर आदि एरिया के लोगों को सैर-सपाटे के लिए काफी सहूलियत होगी।

ये होना है काम

- 1 किलोमीटर लंबे बांध को लैंड स्केपिंग से आकर्षक बनाया जाएगा।

- सैर को आने वाले लोगों की सुविधा के लिए 15 सीट का शौचालय ब्लॉक बनेगा।

- झील के चारों ओर करीब 9 किलोमीटर की लंबाई में पॉथवे का निर्माण कराया जाएगा।

- पर्यावरण, पर्यटन, रोजगार, वाटर स्पोट्र्स व यातायात के लिहाज से चिलुआताल का सौंदर्यीकरण उपयोगी होगा।

ताल किनारे बनेगा 560 मीटर का घाट

चिलुआताल में 660 मीटर का बांध बनाया जाएगा। इसमें 560 मीटर का घाट होगा। 660 मीटर में बोल्डर पीचिंग कराई जाएगी और उसके ऊपरी हिस्से में ट्रैक बनाया जाएगा। घाट तक पहुंचने के लिए 500 मीटर का एप्रोच मार्ग भी बनेगा।

रामगढ़ताल की तर्ज पर चिलुआताल का भी सौंदर्यीकरण होगा। इस परियोजना को गति दी जाएगी। इसकी फाइल मंगवाकर देखने के बाद इस पर ठोस कार्यवाही की जाएगी।

कृष्णा करुणेश, डीएम गोरखपुर

टूरिज्म डिपार्टमेंट की तरफ से घाट बनाने का काम किया जाएगा। अभी लैैंड रिक्यूजिशन का काम चल रहा है। जल्द ही कास्तकारों से जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। एचयूआरएल की मदद से भी सीएसआर फंड लेकर विकास कार्य शुरू किया जाएगा। इन सबके लिए दो से तीन महीने का वक्त लग जाएगा।

रविंद्र कुमार मिश्रा, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी