- स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के मौके पर ऑर्गनाइज कैंप में प्लाज्मा डोनेशन के लिए नहीं पहुंचा कोई

- ब्लड डोनेशन में भी थोड़ा बहुत ही इंटरेस्ट दिखा रहे हैं लोग

GORAKHPUR: गोरखपुर में कोरोना के गंभीर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए जरूरी प्लाज्मा डोनेट करने में लोग इंटरेस्ट नहीं दिखा रहे हैं। गुरुवार को स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के मौके पर एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट की ओर से लगाए गए प्लाज्मा डोनेट कैंप में कैंडिडेट्स का खास इंटरेस्ट नहीं दिखा। कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा काफी अहम माना जा रहा है। इसके बाद भी अब तक कोरोना को मात दे चुके लोगों ने प्लाज्मा डोनेशन में इंटरेस्ट नहीं दिखाया है। अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक की तरफ से गोरखपुर के अलावा दूसरे जिले से प्लाज्मा डोनेशन के लिए कैंप लगाना शुरू कर दिया है, जिससे कि लोग प्लाज्मा डोनेट करें और कोविड मरीजों को राहत मिल सके।

अब तक चार लोगों ने डोनेट किया प्लाज्मा

बीआरडी के ब्लड बैंक प्रभारी ने इनिशिएटिव लेवल पर कोरोना संक्रमित योद्धाओं के प्लाज्मा डोनेट करने के लिए पहल शुरू करने की बात कही थी। अब तक डाक्टर समेत चार लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया है। जिसमें सर्जन डॉ। नीरज श्रीवास्तव, साइकियाट्रिस्ट इंटर्न डॉ। ज्ञानेंद्र राय व प्राइवेट हॉस्पिटल के मैनेजर अमित वर्मा ने प्लाज्मा डोनेट कर मिसाल पेश की। जिम्मेदारों का मानना है कि धीरे-धीरे लोगों में इंटरेस्ट बढ़ेगा। स्वैच्छिक रक्दान दिवस के मौके पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। सुरेश सिंह प्लाज्मा डोनेट के लिए सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं। लेकिन इसके लिए खास लगाए गए कैंप में कोई भी प्लाज्मा डोनेट करने के लिए नहीं आया। ब्लड बैंक की तरफ से ब्लड डोनेट करने वाली सात एजेंसियों को सम्मानित किया है।

क्या है वजह

गोरखपुर में प्लाज्मा डोनेट न किए जाने की जो सबसे बड़ी सामने आई है वह है लोगों में अवेयरनेस की कमी है। कोरोना से जंग जीतने के बाद खुद को अस्वस्थ महूसस करते हुए बॉडी को बेहतर ढंग से स्वस्थ होने के बाद ही प्लाज्मा डोनेट की बात कह रहे है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ। राजेश राय बताते हैं कि जैसा डोनेशन होना चाहिए, वैसा अभी नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि कैंपस के ब्लड बैंक में ही जो एफेरेसिस मशीनें लगाई गई हैं, उसकी मदद से प्लाज्मा थिरेसिस कर सकते है। इसके लिए कोरोना पाजिटिव मरीज के स्वस्थ होने पर उसके एंटीबॉडी से 500 एमएल ब्लड लेकर प्लाज्मा आसानी से निकाल सकते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

- कोरोना बीमारी से ठीक हो चुके व्यक्ति के खून से एंटीबॉडीज लेकर बीमार व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर करने से मरीज में बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ती है। एंटीबॉडी को इम्युनोग्लोब्युलिन भी कहा जाता है। यह शरीर द्वारा तैयार प्रोटीन होता है, जो एंटीजन नामक बाहरी नुकसानदायक तत्वों से लड़ने में मदद करता है।

- अब दुनिया के कई देशों में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल हो रहा है। अमेरिका, स्पेन, दक्षिण कोरिया, इटली, तुर्की और चीन समेत कई देशों में इस थेरेपी इस्तेमाल हो रहा है।

- मेडिकल एक्सपर्ट की मानें तो एक व्यक्ति का प्लाज्मा 2 मरीजों का इलाज कर सकता है और किसी डोनर के शरीर से प्लाज्मा लेने के बाद उसे तकरीबन एक साल तक 60 डिग्री सेल्सियस के तापमान में स्टोर करके रखा जा सकता है।

कौन दे सकता है प्लाज्मा

- कोरोना से ठीक हो चुके 18 से 60 साल की उम्र लोग कोरोना दान कर सकते हैं।

- दानदाता का वजन 50 किलोग्राम से ज्यादा होना चाहिए और उसे कोरोना से ठीक हुए कम से कम 14 दिन होने चाहिए।

- गर्भवती हो चुकी महिलाएं प्लाज्मा नहीं दे सकतीं।

- शुगर मरीज, हाइपरटेंशन की बीमारी या जिनका ब्लड प्रेशर 140 से ज्यादा है, वे प्लाज्मा नहीं दे सकते।

- किडनी हार्ट की बीमारी वाले लोग प्लाज्मा दान नहीं कर सकते।